आमतौर पर उपवास में इस्तेमाल होने वाले मखाने हेल्दी स्नैकिंग का हिस्सा रहे हैं। इसके लाभकारी गुण और स्वाद इसकी लोकप्रियता को बढ़ाते हैं। अभी हाल ही में मिथिला के मखानों की जीआई टैगिंग की गई है। यानी कुछ तो खास है मिथिला के मखानों में, जो इसे औरों से खास बना देता है। तो आइए जानते हैं क्यों खास हैं मिथिला के मखाने और क्या हैं इसके स्वास्थ्य लाभ।
मखानों ने मिथिला को पूरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया है। जीआई टैगिंग (GI tagging) के बाद बिहार के इस मखाने को पूरी दुनिया में मिथिला मखाना के नाम से जाना जाएगा। जीआई कुछ उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला नाम या संकेत हैं, जो उस प्रोडक्ट के मूल भौगोलिक स्थान से मेल खाता है।
मिथिला के मखाने अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए प्रख्यात है। भारत के 90% मखानों का उत्पादन यहीं से होता है। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि मिथिला ही क्यों? यह दुनिया की एकमात्र फसल है, जिसे नदी में उगाया जाता है। इस फसल को बहुत कठिनाई से उगाया जाता है।
यह रीढ़ की हड्डी और किडनी को मजबूत करने में मदद करते हैं। अखरोट, काजू और अन्य सूखे मेवों की तुलना में इसके पोषक तत्व बहुत खास होते हैं।
इसके पोषक तत्वों की बात करें तो फॉक्स नट्स यानी मखाने की तुलना में सब फ़ीकें पड़ जाते हैं। भारतीय व्यंजन इनका भरपूर उपयोग करते हैं। स्वादिष्ट उपचार प्रदान करने के लिए उन्हें मसालों के साथ भुना जा सकता है।
सुपरफूड मखाना प्रोटीन और फाइबर से भरपूर और वसा में कम होता है। 100 ग्राम मखाने से लगभग 347 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।
मखाने में करीब 9.7 ग्राम प्रोटीन और 14.5 ग्राम फाइबर होता है। यह कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत है। इनमें मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस भी अच्छी मात्रा में होते हैं। मखाने में कुछ विटामिन कम मात्रा में भी मौजूद होते हैं।
यह अनुमान लगाया गया है कि 100 ग्राम मखाना में लगभग 347 कैलोरी होती है। इसके अलावा, 100 ग्राम मखाना की पोषण सामग्री में 9.7 ग्राम प्रोटीन, 0.1 ग्राम वसा, 76.9 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 14.5 ग्राम फाइबर शामिल हैं। इसका मतलब है कि आपको अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त मात्रा में उपभोग करने की आवश्यकता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप वजन घटाने का लक्ष्य रखते हैं, तो रोजाना 30 ग्राम फॉक्स नट का सेवन करना फायदेमंद होता है। हालांकि, अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर मखाना के दैनिक सेवन को जानने के लिए, पोषण विशेषज्ञ या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
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