लॉग इन

मैग्नीशियम एंग्ज़ाइटी को भी कर सकता है कंट्रोल, जानिए इसके फायदे और मेंटल हेल्थ से कनेक्शन

रोजमर्रा के जीवन में अधिकतर लोगों को तनाव का सामना करना पड़ता है। छोटी सी बात उनकी चिंता का कारण बनने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए शरीर को मेडिटेशन के अलावा मैग्नीशियम की भी आवश्यकता होती है
ब्लड में मैग्नीशियम कमी से न्यूरोट्रांसमीटर की मात्रा में परिवर्तन आने के अलावा कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ का सामना करना पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 12 Sep 2024, 10:00 am IST

शरीर को पोषण प्रदान करने के लिए विटामिन और मिनरल की आवश्यकता होती है। इससे न केवल शारीरिक गतिविधियों में मदद मिलती है बल्कि तनाव और अनिद्रा को भी दूर (tips to deal with insomnia) किया जा सकता है। रोजमर्रा के जीवन में अधिकतर लोगों को तनाव का सामना (causes of stress) करना पड़ता है। छोटी सी बात उनकी चिंता का कारण बनने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए शरीर को मेडिटेशन के अलावा मैग्नीशियम की भी आवश्यकता होती है। जानते हैं तनाव को कैसे मैग्नीशियम की मदद से किया जा सकता है दूर (Magnesium reduce anxiety)

मैग्नीशियम और एंग्ज़ाइटी में क्या है कनेक्शन

इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि मैग्नीशियम की कमी (Magnesium deficiency)  से शरीर में न्यूरोमसक्यूलर डिसफंक्शनिंग का सामना करना पड़ता है। इससे ब्रेन तक मैसेज नहीं पहुंचा पाता है, जिससे ब्रेन हाइपरएकि्अव होने लगता है। इसके चलते एंग्ज़ाइटी और तनाव बढ़ने लगता है। शरीर में मैग्नीशियम का एब्जॉर्बशन नहीं हो पाने से शरीर में प्रोटीन की कमी बढ़ने लगती है।

ब्लड में मैग्नीशियम कमी से न्यूरोट्रांसमीटर की मात्रा में परिवर्तन आने के अलावा कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ का सामना करना पड़ता है। इसके लिए आहार में प्लांट बेस्ड और डेसरी बेस्ड प्रोटीन प्रोडक्टस को शामिल करे। इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। साथ ही अंडा, मछली और मांस से भी शरीर को मैग्नीशियम की प्राप्ति होती है।

मैग्नीशियम की कमी से शरीर में न्यूरोमसक्यूलर डिसफंक्शनिंग का सामना करना पड़ता है चित्र : अडॉबीस्टॉक

मैग्नीशियम ब्रेन फंक्शनिंग को कैसे प्रभावित करता है

साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार मैग्नीशियम ब्रेन फंक्शनिंग में मदद (Magnesium for brain functioning) करता है। इसके सेवन से तनाव और चिंता को कम किया जा सकता हैं। इसके सेवन से मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस नामक हिस्से पर असर नज़र आता है, जो पिट्यूटरी और एड्रेनल ग्लेंडस को रेगुलेट करने में मदद करता है। इसकी मदद से तनाव को कम (tips to regulate stress) किया जा सकता है। मैग्नीशियम शरीर में न्यूरोट्रांसमीटर को रेगुलेट करता है, जिससे मैसेज ब्रेन तक पुंहचता है और न्यूरोलॉजिकल हेल्थ पर उसका असर नज़र आने लगता है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मैग्नीशियम 300 से अधिक एंजाइम प्रणालियों में एक कोफ़ेक्टर के रूप में कार्य करता है जो शरीर में बायोकेमिकल रिएक्शंस को नियंत्रित करता है। इसकी मदद से प्रोटीन सिंथीसिज़, मसल्स एकड नर्व फंक्शन, ब्लड ग्लूकोज़ नियंत्रण और ब्लड प्रेशर रेगुलेशन शामिल हैं। इसके अलावा ऊर्जा बढ़ाने, ऑक्सीडेटिव फास्फारिलीकरण और ग्लाइकोलाइसिस के लिए भी शरीर में मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है।

मैग्नीशियम 300 से अधिक एंजाइम प्रणालियों में एक कोफ़ेक्टर के रूप में कार्य करता है चित्र : अडोबी स्टॉक

मैग्नीशियम से एंग्ज़ाइटी के स्तर को कैसे किया जा सकता है कम (Benefits of magnesium)

1. कॉर्टिसोल लेवल को करे रेगुलेट

शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ने से तनाव और डिप्रेशन का सामना (reasons of depression)करना पड़ता है। ऐसे में मैग्नीशियम का सेवन करने से कॉर्टिसोल को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। साथ ही मेलाटोनिन के स्तर को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके सवेन से न्यूरोएंडोक्राइन मार्गों को ब्लॉक किया जाता है, ताकि ब्रेन में कॉर्टिसोल के स्त्राव को नियंत्रित किया जा सके।

2. न्यूरोट्रांसमीटर को करे नियंत्रित

न्यूरोट्रांसमीटर की मदद से ब्रेन को मैसेज पहुंचाने और शांत रखने में मदद मिलती है। मगर इनकी कम मात्रा तनाव और एंग्ज़ाइटी का कारण बनने लगती है। मैग्नीशियम को आहार में शामिल करने से गामा.अमीनोब्यूटिरिक एसिड जैसे न्यूरोट्रांसमीटर को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। इसके अलावा उत्तेजक न्यूरोट्रांसमीटर ग्लूटामेट के लेवल को कम किया जा सकता है। मैग्नीशियम के नियमित सेवन से मूड रेगुलेट करने, एकाग्रता बढ़ने और एनर्जी के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

3. स्लीप क्वालिटी को बढ़ाए

इस मिनरल के सेवन से नींद न आने की समस्या से बचा जा सकता है। मैग्नीशियम से मसल्स में बढ़ने वाले तनाव को कम करके बोन हेल्थ को बूस्ट करने और नींद की क्वालिटी को बढ़ाने में मदद मिल जाती है। इसके लिए आहार में डार्क चॉकलेट, पालक, तिल, मछली और सोयाबीन को शामिल करने से मदद मिलती है।

मैग्नीशियम से मसल्स में बढ़ने वाले तनाव को कम करके बोन हेल्थ को बूस्ट करने और नींद की क्वालिटी को बढ़ाने में मदद मिल जाती है।

4. मसल्स में ऐंठन को कम करने में मददगार

मैग्नीशियम की कमी न्यूरोमसक्यूलर डिसफक्शनिंग का कारण बनने लगती है। इससे जोड़ों में दर्द और शारीरिंग अंगों में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। शरीर में थकान बढ़ने से मांसपेशियों में कमज़ोरी महसूस होती है। ऐसे में मैग्नीशियम की उच्च मात्रा मसल्स को रिलैक्स रखने में मदद करती है। इससे तनाव और चिंता से राहत मिलती है।

ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख