त्योहारों के मौके पर ऑयली फूड और मिठाइयों के सेवन से कैलोरी इनटेक बढ़ जाता है, जिससे वेटगेन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर किसी हेल्दी आहार की खोज कर रहे हैं, तो कुट्टू का आटा एक बेहतरीन विकल्प है। अक्सर व्रत के दिनों में खाया जाने वाला कुट्टू का आटा (buckwheat benefits) स्वास्थ्य को पोषण प्रदान करता है।
यूं तो आहार में दाल, चावल और गेहूं के आटे का प्रयोग किया जाता है। मगर कुट्टू में मौजूद पोषक तत्व स्वाद के साथ सेहत का भी ख्याल रखते है। इसमें पाई जाने वाली फाइबर और प्रोटीन की मात्रा जहां गट हेल्थ को बूस्ट (tips to boost gut health) करती है, तो वहीं विटामिन और मिनरल्स शरीर को हाइड्रेट रखते हैं। इससे शरीर में कैलोरी स्टोरेज़ का खतरा कम होने लगता है और शरीर एक्टिव रहता है। जानते हैं कुट्टू का आटा किस प्रकार से वेटलॉस में हैं मददगार (buckwheat for weight loss)।
जर्नल ऑफ द साइंस ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अनुसार कुट्टू के आटे से शरीर को फॉसफोरस, पोटेशियम और मैग्नीशियम समेत कई ज़रूरी मिनरल्स की प्राप्ति होती है। इसमें मौजूद फाएटिक एसिड टिशू बिल्डिंग में मदद करते हैं। इसमें दाल, चावल, कॉर्न और गेंहू की तुलना में अधिक मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं। इसके अलावा लाइसिन और आर्जिनिन जैसे अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं।
इस बारे में डायटीशियन व सर्टिफाइट डायबिटीज़ एजुकेटर डॉ अर्चना बत्रा बताती हैं कि कुट्टू के आटे में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंटस और अमीनो एसिड की उच्च मात्रा पाई जाती है। इससे पोषक तत्वों के एब्जॉर्बशन में मदद मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (immune system) बढ़ जाती है। इसमें हाई प्रोटीन और लो ग्लाइसेमिक इंडैक्स पाया जाता है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे कैलोरीज़ इनटेक को नियंत्रित किया जा सकता है। कुट्टू का आटा (buckwheat benefits) ग्लूटन फ्री है, जिससे ग्लूटन इंनटॉलरेंस से भी बचा जा सकता है। इसमें मौजूद प्रोटीन की मात्रा से न केवल वेटलॉस में मदद मिलती है बल्कि गॉल स्टोन, कोलन कैंसर और शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल से बचा जा सकता है।
कुट्टू के आटे के सेवन से शरीर को प्रोटीन, फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स की प्राप्ति होती है। एपिटाइट को नियंत्रित करने वाले कुट्टू के आटे की रोटी खाने से पेट देर तक भरा हुआ महसूस होता है। कुट्टू का आटा ग्लूटन फ्री है, जिससे पोषक तत्वों के एब्जॉर्बशन में मदद मिलती है। इसके सेवन से शरीर में एंप्टी कैलोरीज़ का खतरा कम होने लगता है।
पोषण से भरपूर कुट्टू के आटे में सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल दोनों प्रकार के फाइबर पाए जएाते हैं। इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हार्मोन को प्रभावित करती है। इससे पाचन में सुधार आने लगता है और शरीर में ब्लोटिंग अपच और पेट दर्द का खतरा कम हो जाता है।
इसमें मौजूद नियासिन की मात्रा पाचन में मदद करती है, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और कैलोरीज़ को एकत्रित होने से रोका जा सकता है। इसमें प्रीबायोटिक्स पाए जाते हैं, जिससे गुड गट बैक्टीरिया का उत्पादन बढ़ जाता है। हेल्दी बैक्टीरिया से गट हेल्थ बूस्ट होती है।
आहार में कुट्टू के आटे को शामिल करने से इंसुलिन के रिलीज़ को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसका ग्लोइसेमिक इंडैक्स लो होता है, जिससे डायबिटीज़ को बढ़ने से रोका जा सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद कॉम्प्लेक्स कार्बस डाइजेशन को स्लो करके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार इसमें डी कायरो .इनोसिटोल कंपाउड पाया जाता है। रिसर्च के अनुसार ये घुलनशील कार्ब ब्लड सेल्स को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। ये हार्मोन ब्लड सेल्स में शुगर एब्जॉर्ब करने से बनता है।
शरीर को स्वस्थ रखने और हृदय रोगों से बचने के लिए कुट्टू के आटे का सेवन फायदेमंद साबित होता है। इसमें मौजूद रुटिन, मैग्नीशियम, आयरन, प्रोटीन और फाइबर समेत कई हेल्दी कंपाउड पाए जाते हैं। इससे हृदय संबधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। इससे लिपिड प्रोफाइल इंप्रूव होता है और ब्लड क्लॉट के जोखिम से बचा जा सकता है।
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