भारत व्रत, उपवास और त्योहारों का देश है। विविधताओं से भरे इस देश के हर कोने में आध्यात्मिकता देखने को मिलती है। वहीं, इन्हीं आध्यात्मिक मूल्यों में व्रत-उपवास की भी अहम जगह है। देश में हर जगह लोग अलग-अलग तीज-त्योहार में व्रत रखते हैं और अपने आराध्य को पूजते है। व्रत के दौरान अन्न खाने की मनाही होती है, इसलिए लोग फलाहारी आहार लेना पसंद करते है और साथ ही उन्हीं फलाहारी चीज़ों से अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाते हैं।
इन्हीं फलाहारी चीज़ों में सबसे आगे ‘आलू’ का नाम आता है। देश के हर कोने में व्रत-उपवास में आलू का प्रयोग होता ही है। आलू से लोग मनपसंद चीज़े बना कर खाते हैं। लेकिन व्रत-त्योहार से परे साधारण दिन में भी आपके पेट की भूख मिटाने वाले ‘आलू’ (Potato benefits) के बारें में आप कितना जानते हैं।
तमाम तरह के पोषक तत्वो का भंडार आलू स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन इसके अत्यधिक सेवन से कई तरह की समस्याएं (benefits and side effects of Potato) भी हो सकती है।
अगर शोध की मानें, तो सितंबर 2022 में जर्नल ऑफ न्यूट्रिशनल साइसेंज में छपे बॉस्टन यूनिवर्सिटी के एक शोध में पता चला कि सीमित मात्रा में आलू खाने का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होता , फिर चाहे आप इसे साधारण तरह से खाते है या फ्राई करके (जैसे आमतौर पर व्रत-उपवास में खाया जाता है)।
इस शोध में कुल 2523 लोगों पर यह प्रयोग किया गया और इस शोध में यह पता चला कि प्रत्येक सप्ताह चार या पांच कप सफेद आलू या शकरकंद खाने से हाई ब्लड प्रेशर और डिस्लिपिडेमिया जैसी किसी भी स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया।
आयुर्वेद में भी आलू को बहुत फायदेमंद बताया गया है। आयुर्वेद के जानकार आचार्य बालकृष्ण बताते है कि आलू व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। वे कहते है कि आलू में विटामिन C, विटामिन B6, फाइबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम, और फॉस्फोरस जैसे पोषण संबंधी तत्व होते हैं जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। साथ ही आलू कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने और रोकथाम के लिए भी फायदेमंद होता है।
आलू को संतुलित मात्रा में खाने से यह पाचन संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। आलू में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिससे आपके शरीर को ऊर्जा मिलती है और पाचन क्रिया भी दुरुस्त होती है। साथ ही आलू में फाइबर और विटामिन सी भी होता है, जो मेटाबॉलिज़्म को बूस्ट करने के साथ-साथ कब्ज़ की समस्या को भी खत्म करता है।
आलू में कई महत्वपूर्ण पोषण तत्व होते हैं जो हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। आलू में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के साथ-साथ हार्ट के स्वस्थ फ़ंक्शन को सुनिश्चित करता है। इसके साथ ही आलू में विटामिन C और विटामिन E जैसे आंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं और दिल के रोग के खतरे को कम करते हैं।
इसमें विटामिन B6 की भरपूर मात्रा होती है, जो होमोसिस्टीन के स्तर को कम करके हार्ट के स्वस्थ्य फ़ंक्शन को सुनिश्चित कर सकता है। होमोसिस्टीन खून में मौजूद एक तत्व होता है, जिसका बढ़ जाना हार्ट रोग के खतरे को बढ़ा सकता है।
न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, आलू में एंटीऑक्सिडेंट होते है, जो व्यक्ति के शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले खतरनाक कणों से शरीर का बचाव करते है। जिसके कारण शरीर में होने वाली तमाम क्रोनिक डिसीज़ जैसे हार्ट अटैक और कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है।
आलू में कैल्शियम, मैग्नीशियम, और विटामिन C होते हैं, जो हड्डियों और दांतों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन याद रहे कि सभी फायदे आलू को मानक और मान्यता पूर्वक सेवन करने पर होते हैं, और आपको अत्यधिक संख्या में इसे नहीं खाना चाहिए।
अक्सर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि आलू के पोषक तत्वों को नष्ट होने से बचाने और पूरी तरह से ग्रहण करने के लिए इसे किस तरह से खाना चाहिए। WHO के अनुसार व्यक्ति के एक दिन में जितने विटामिन B6 की आवश्यकता होती है, उसमें से आधी सिर्फ एक आलू में ही पाई जाती है।
अगर पोषक तत्वों को पूरी तरह प्राप्त करने के लिए आलू का सेवन कर रहे हैं, तो इसे छिलके सहित खाने से बहुत अधिक पोषण मिलता है। छिलके वाले आलू में बिना छिलके वाले आलू के मुकाबले ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स होते है।
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार पोषक तत्वों के लबरेज़ आलू को आज गलत तरह से पकाए जानें के कारण इसके फायदों के बजाय इसके नुकसान देखने को मिलने लगे है। आजकल आलू के अलग-अलग व्यंजनों के कारण इसे तेल, मसालों सहित अन्य हानिकारक चीज़ों के साथ मिलाया जाता है, जिससे इसके गुण खत्म हो गए है। इसके कारण व्यक्ति का वजन बढ़ने जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती है।
आलू में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसका सेवन करने से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। इसीलिए डायबिटिक लोगों को कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को नियंत्रित रखने की सलाह दी जाती है। साथ ही यह कार्बोहाइड्रेट अगर ज्यादा मात्रा में लिया जाएं, यानी यदि आलू को ज्यादा मात्रा में खाया जाएं तो गठिया का रोग होने का संभावना भी बहुत अधिक बढ़ जाती है।
अक्सर आलू जब काफी समय पुराने हो जाते हैं, तो उसमें अंकुर निकल आते हैं या नीले हो जाते है। ऐसे आलू को खाने से सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम भी हो सकती है। इसीलिए अंकुरित आलू को सफाई से तैयार करना आवश्यक है, क्योंकि वे फंगस और कीटाणु की आशंका होती है। इस तरह के आलू को खाने से संक्रमण का खतरा हो सकता है।
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