हॉर्मोन की गड़बडियों के कारण होता है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) । यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो किसी भी महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को प्रभावित कर देता है। पीसीओएस में महिला का शरीर सामान्य से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन का उत्पादन करता है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम बहुत आम है । 10 में से 8 महिलाओं को पीसीओएस हो सकता है। यह महिलाओं में फर्टिलिटी एज में अधिक होता है। यह 13-14 साल की उम्र से लेकर 45-50 साल की उम्र तक हो सकता है। शोध बताते हैं कि यदि खानपान में सुधार (Millets for PCOS) किया जाये, तो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) से उबरने में मदद मिल सकती है।
पीसीओएस का सही कारण पता कर पाना मुश्किल है। कई शोध बताते हैं कि पीसीओएस जेनेटिक या फिर स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल की वजह से हो सकता है। इसके कारण महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, गर्भधारण करने में परेशानी, अनचाहे बालों की ग्रोथ ज्यादा होना, मुंहासे, वजन बढ़ना जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है।
जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल मेडिसिन मेडिका के शोध निष्कर्ष के अनुसार, पीसीओएस वाली महिलाओं के आहार में परिवर्तन कर क्लिनिकल टेस्ट किया गया। इस संदर्भ में सकारात्मक परिणाम आए। पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने से उनके लक्षणों में सुधार देखा गया। अच्छी डाइट लेने के साथ ही महिलाओं को रोजाना एक्सरसाइज़ और वॉक के लिए भी कहा गया। इससे न केवल पीरियड साइकिल, बल्कि एण्ड्रोजन लेवल में भी सुधार देखा गया।
2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष(International Millet Year) के रूप में घोषित किया गया है। मेडिका जर्नल के अनुसार, मिलेट्स यानी बाजरा फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। बाजरे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है। इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इससे इंसुलिन रेसिस्टेंस में भी सुधार हो सकता है। फाइबर बोवेल मूवमेंट में मदद कर आंतों को किसी भी तरह के इंफेक्शन से मुक्त रखता है। बाजरा सूजन की समस्या को कम करने में भी मदद करता है। इससे पीसीओएस से जुड़े लक्षणों में कमी आ सकती है।
न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, बाजरा चावल और गेहूं की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है और यह ग्लूटेन-फ्री होता है। इसके फाइबर चीनी को पचाने और इंसुलिन स्पाइक को कम करने में मदद करते हैं। यह धीरे-धीरे शुगर रिलीज करता है और लंबे समय तक तृप्त रखता है। बाजरा हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इसके विटामिन, प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट और मैग्नीशियम, आयरन, कॉपर, जिंक जैसे खनिज इसे हार्मोन-अनुकूल अनाज बनाता है। पोटेशियम और मैग्नीशियम तनाव को कम करने में मदद करता है।हाई फाइबर एस्ट्रोजेन चयापचय में मदद करता है।
न्यूट्रिसनिष्ट डॉ. शिखा द्विवेदी के अनुसार, पीसीओएस वाली महिलाओं को हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है, जिससे आयरन की कमी हो जाती है। बाजरा आयरन, जिंक, मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम का अच्छा स्रोत है। पीसीओएस महिलाओं के वजन घटाने के लिए यह सबसे बढ़िया है। यह पोषक तत्वों से भरपूर है और कैलोरी और जीआई में कम है। इससे स्किन में निखार लाता है और दर्द भी कम होता है।
डॉ. शिखा बताती हैं, ‘कोदो बाजरा अनियमित मासिक धर्म चक्र (Millet for Irregular Period) में मदद कर सकता है। कोदो बाजरा में उच्च पोटेशियम सामग्री मासिक धर्म चक्र के दौरान पेट की ऐंठन को कम करने में मदद कर सकती है।
पीसीओएस के लिए सबसे बढ़िया बाजरा रागी, ज्वार, बाजरा और फॉक्सटेल हैं। ये कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ये प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-मुक्त होते हैं, जो पीसीओएस के लिए सही है।’
बाजरे के अधिक सेवन से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसमें गोइट्रोजन होता है। यह एक ऐसा पदार्थ है, जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन में हस्तक्षेप करता है। यह थायरॉयड ग्रंथि से आयोडीन के अवशोषण और उपयोग को रोकता है।
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