गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पानी पीने के अलावा रसीले फलों का सेवन किया जाता है। इन्हीं फलों में से एक है तरबूज़। 90 फीसदी पानी से भरा तरबूज अपने लाल रंग के कारण खूब आकर्षित करता है। पर यह सिर्फ लाल ही नहीं होता, बल्कि हरा, सफेद और पीले रंग का तरबूज भी इन दिनों खूब पसंद किया जा रहा है। इन सभी में पोषक तत्वों का भंडार होता है। उत्तर भारत में लाल तरबूज सबसे ज्यादा खाया जाता है। मगर पीले रंग का तरबूज भी आजकल मॉल और ऑनलाइन स्टोर पर आसानी से मिलने लगा है। क्या यह भी आपके लिए उतना ही हेल्दी है? आइए चेक करते हैं, पर इससे पहले जानते हैं क्या है लाल और पीले तरबूज के बीच (Red vs yellow watermelon) अंतर।
इस बारे में न्यूट्रीशनिस्ट आर्या जगुश्ते बताते हैं कि पीले तरबूज (Yellow watermelon) में बीटा.कैरोटीन, विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट का स्तर कम होता हैं। इसके सेवन से शरीर का इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है। पीले रंग का तरबूज पूरी तरह से नेचुरल है। 5000 साल पहले अफ्रीका में यह तरबूज पाया गया था। 1 कप पीले तरबूज में 46 कैलोरीज़ पाई जाती हैं।
लाल तरबूज में लाइकोपीन की मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा हृदय रोग को रोकने में मदद करते हैं। इसके सेवन से इम्यून सिस्टम को मज़बूती मिलती है। लाल और हल्के गुलाबी तरबूज पूरी तरह से नेचुरल हैं। ये सबसे पहले नार्थ इस्टर्न अफ्रीका में पाए गए।
इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि जहां पीला तरबूज़ अपनी मिठास के लिए मशहूर है, वहीं लाल तरबूज आसानी से मिलने वाला सुपरफूड है। इस फल के सेवन से शरीर को ज़रूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है और शरीर निर्जलीकरण की समसया से बचा रहता है। वहीं पीला तरबूज लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन से भरपूर होता है। मगर लाल तरबूज में पाए जाने वाले पोषक तत्व पीले तरबूज से ज्यादा शरीर को फायदा पहुंचाते हैं।
फूड एंड साइटीफिक रिपोर्ट के अनुसार पीले तरबूज में लाल तरबूज (Red watermelon) की तुलना में ज्यादा बीटा.कैरोटीन पाया जाता है। इस एंटीऑक्सिडेंट की मदद से शरीर में कैंसर और आंखों से संबधी बीमारियों से बचा जा सकता है। पीला तरबूज लाल तरबूज़ से 16 से 18 फीसदी ज्यादा मीठा होता है। इसमें लाइकोपीन, अमीनो एसिड, विटामिन सी, ई, के, आयरन और पोटेशियम पाया जाता है।
पीले तरबूज में विटामिन ए और सी की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से शरीर में संक्रमण का प्रभाव कम होने लगता है। इसके सेवन से शरीर को मैग्नीशियम, सिलेनियम, फासफोरस, प्रोटीन और नियासिन की प्राप्ति होती है। पीले तरबूज में मौजूद विटामिन सी आयरन को एब्जॉर्ब करने में मदद करता है। वहीं विटामिन ए आंखें और त्वचा के लिए फायदेमंद है।
एनआईएच के अनुसार तरबूज में साइट्रलाइन होता है, जो एक फाइटोन्यूट्रिएंट है। इसकी नियमित मात्रा शरीर को हाई ब्लड प्रेशर के खतरे से बचाने में मदद करती है। रक्तचाप को कम कर सकता है। साइट्रलाइन को कई एंजाइमों की मदद से आर्जिनाइन में परिवर्तित किया जाएगा। इससे शरीर में ब्ल्ड प्रेशर नियमित बना रहता है।
हेल्थ के अलावा स्किन के लिए भी पीला तरबूज़ फायदेमंद है। इसमें पाई जाने वाले विटामिन ए, बी6 और सी की मात्रा से त्वचा की इलास्टीसिटी को बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे शरीर में ब्लड का फ्लो नियमित बना रहता है और डेड स्किन सेल्स को रिपेयर करने में भी मदद मिलती है।
तरबूज में 90 फीसदी पानी की मात्रा पाई जाती है। वेटलॉस के लिए इस लो कैलोरी फूड का सेवन करने से शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरीज़ की समस्या से बचा जा सकता है। यूएसडीए के अनुसार पीले तरबूज की 100 ग्राम सर्विंग में केवल 30 कैलोरी पाई जाती हैं। इसके सेवन से शरीर को आर्जिनिन नाम के अमिनो एसिड की भी प्राप्ति होती है, जो कैलोरीज़ को बर्न करने में मददगार साबित होता है।
वहीं लाल तरबूज में लाइकोपीन की उच्च मात्रा पाई जाती है। लाइकोपीन एक ऑर्गेनिक पिगमेंट है, जो लाल फलों और सब्जियों में पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर में कैंसर, अस्थमा और आंखों से जुड़ी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंतरबूज में विटामिन और मिनरल्स के अलावा फाइबर की भी मात्रा पाई जाती है। इससे डाइजेशन बूस्ट होता है और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। शरीर को एसिडिटी, ब्लोटिंग और अपच से राहत मिलती है और बॉवल मूवमेंट नियमित बना रहता है।
लाल तरबूज में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से शरीर को मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन ए,बी और सी पाया जाता है। इससे शरीर में स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार तरबूज में साइट्रलाइन पाया जाता है। ये अमिनो एसिड शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को बढ़ाता है। इससे रक्त वाहिकाओं को ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
इस सुपरफूड में बीटा.क्रिप्टोक्सैंथिन नाम का एक नेचुरल पगिमेंट पाया जाता है। इससे जोड़ों में बढ़ने वाले दर्द और इंफ्लामेशन से राहत मिलती है। इसके नियमित सेवन से शरीर ऑस्टियोपोरोसिस या रूमेटोइड जैसी अर्थराइटिस जैसी समस्याओं से बच जाता है।
इस पौष्टिक फल में कई प्लांट कंपाउड पाए जाते हैं। इसमें मौजूद लाइकोपीन और कुकुर्बिटासिन ई शरीर में कैंसर के प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं। एनआईएच के अनुसार लाइकोपीन को आहार में शामिल करने से शरीर में प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर की संभावना कम हो जाती है।
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