क्या शुगर बच्चों को बना देता है हाइपरएक्टिव, जानिए क्या होता है बच्चों पर ज्यादा चीनी खाने का असर

बच्चों के इर्द गिर्द शुगर को जोड़ कर एक बात अक्सर टहलती रहती है कि शुगर इंटेक (Too much sugar effect on children) बच्चों को हाइपरएक्टिव बना देता है। यह सही है कि शुगर इन्स्टेन्ट एनर्जी के लिए कारगर है लेकिन हाइपर एक्टिव वाली बात कितनी सही है?
Updated On: 13 Jan 2025, 02:15 pm IST

अंदर क्या है

  • एक दिन में कितना शुगर जरूरी 
  • शुगर से बच्चों को नुकसान 
  • क्या शुगर बनाता है बच्चों को हाइपरएक्टिव?

ज्यादा शुगर (Too much sugar effect on children) का इंटेक तो किसी के लिए भी सही नहीं है। चाहे वो बच्चा हो, अडल्ट हो या कोई बुजुर्ग। लेकिन बच्चों के इर्द गिर्द शुगर को जोड़ कर एक बात अक्सर टहलती रहती है कि शुगर इंटेक बच्चों को हाइपरएक्टिव बना देता है। यह सही है कि शुगर या शुगर से जुड़ा कोई प्रोडक्ट इन्स्टेन्ट एनर्जी के लिए कारगर है लेकिन हाइपर एक्टिव वाली बात कितनी सही है? आज इसी बात की पड़ताल करेंगे। साथ ही जानेंगे कि बच्चों के शरीर पर शुगर इंटेक का असर किस तरह होता है।

शुगर की जरूरत कितनी ( How much sugar in a day)

यह सही है कि शरीर के अलग-अलग अंग ठीक ढंग से काम करें उसके लिए शुगर बहुत जरूरी है। हमारे खाने के पाचन के लिए, ब्रेन हेल्थ के लिए या फिर शरीर में जरूरी ऊर्जा के लिए भी शुगर काम आता है। लेकिन एक तय मात्रा में ही इसका इस्तेमाल सही है।
इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विसेस के अनुसार एक प्रौढ़ व्यक्ति को दिन भर में 50 ग्राम शुगर ही खाना चाहिए। बच्चों में इसकी मात्रा और कम होती है। दिन भर में ये सुनिश्चित करें कि बच्चा 25 ग्राम से ज्यादा शुगर ना ले रहा हो। वरना इसके (Too much sugar effect on children) नुकसान हो सकते हैं।

शुगर से बच्चों को नुकसान (harmful effects of sugar in children)

1. मोटापा और वजन बढ़ना (Obesity and weight gain)

शुगर से भरपूर चीजों से बच्चों का वजन बढ़ सकता है। बच्चे अक्सर कैंडीज, बिस्किट या सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसी चीजें खाते रहते हैं। इससे उनका कैलोरी इंटेक बढ़ जाता है। इससे वजन बढ़ना स्वभाविक है। इसके अलावा कैलोरीज बढ़ने से बच्चों को कई पोषक तत्व भी नहीं मिल पाते। अगर लगातार बच्चों का ज्यादा शुगर इंटेक (Too much sugar effect on children) बना रहे तो इससे उनका मोटापा भी लंबे समय तक रह सकता है। फिर कई बीमारियां भी जन्म ले लेती हैं जिनमें – जैसे टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, और दिल की बीमारियां कॉमन है।

2. दांतों की समस्याएं (Teeth Problems )

बच्चों में अक्सर दांतों की समस्याएं देखी जाती हैं। पेरेंट्स ज्यादा देर तक बच्चों को शुगर से भरी हुई चीजें जैसे टॉफी, मिठाई,चॉकलेट या कोल्ड ड्रिंक्स से दूर नहीं रख पाते। इसी वजह से बच्चों को दांतों से जुड़ी समस्याएं होती हैं। ऐसी स्थिति में उनके दांतों में दर्द या दांतों में सेंसिटीविटी जैसी समस्याएं होती हैं। अगर ठीक से ध्यान न दिया जाए तो उनके दांतों में सड़न भी पैदा हो सकती है।

3. टाइप 2 डायबिटीज का खतरा (Type 2 Diabetes)

अगर बच्चे बहुत ज्यादा शुगर खाते हैं, तो उनका शरीर इंसुलिन (जो शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है) का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता, जिससे धीरे-धीरे डायबिटीज की बीमारी हो सकती है।

Too much sugar effect on children
ज्यादा शुगर से बच्चों में डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है। चित्र: शटरस्टॉक

यह समस्या उम्र के साथ बढ़ती जाती है और शरीर पर लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं। यही कारण है कि इन दिनों बच्चों में डायबिटीज के केसेस ज्यादा मिलने लगे हैं। पहले ये समस्या केवल बढ़ती उम्र के साथ ही दस्तक देती थी।

4. हार्ट की समस्याएं (Heart Problems)

शुगर का बहुत ज्यादा इंटेक (Too much sugar effect on children) बच्चों की हार्ट हेल्थ पर असर डाल सकता है। ए.एस.ए. जर्नल्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा शुगर इंटेक शरीर में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को जन्म देता है और जिससे शरीर में सूजन होने लगती है। सूजन की वजह से शरीर में खून के थक्के बनने लगते हैं जिससे बच्चों में हार्ट प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

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क्या शुगर से बच्चे हाइपरएक्टिव हो जाते हैं? ( does sugar make children Hyperactive)

यह सवाल बहुत बार पूछा जाता है, और इसका जवाब थोड़ा कठिन है। आप से शुगर और बॉडी एनर्जी में कनेक्शन को जान कर समझ सकते हैं। WHO के अनुसार शुगर का इंटेक शरीर की एनर्जी दस प्रतिशत तक बढ़ा देता है। आपने अक्सर देखा होगा कि अब भी घरों में कोई बाहर से आता है तो उसे पानी के साथ मीठा दिया जाता है। इसका कारण यही होता है ताकि एनर्जी लेवल में इजाफा हो। फिर से वापस मूल सवाल पर लौटते हैं। तो शुगर एनर्जी लेवल बढ़ाता है जिससे बच्चे ज्यादा फुर्तीला महसूस कर सकते हैं। लेकिन यह उन्हें हाइपरएक्टिव बना देता है, ऐसा नहीं है। और यह एनर्जी लेवल का बढ़ना भी केवल कुछ ही वक्त के लिए ही होता है।

Too much sugar effect on children
शुगर बच्चों को इंस्टेंट एनर्जी दे सकता है। चित्र – अडोबी स्टॉक

हालांकि अगर किसी बच्चे को पहले से ही ADHD (अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) है, तो शुगर उसका असर थोड़ा और बढ़ा सकती है। ऐसी स्थिति में बच्चे ज्यादा हाइपर एक्टिव हो सकते हैं। लेकिन फिर वही बात है कि यह केवल थोड़े देर के लिए होता है।

शुगर से जुड़ी और समस्याएं ( Problems caused by sugar)

1. मूड स्विंग्स (Mood swings caused by Sugar)

शुगर या शुगर से बने खाने की चीजों के बाद बच्चों को थोड़ी देर के लिए अच्छा लगता है लेकिन जैसे ही शुगर का असर खत्म होता है, उनके अंदर चिड़चिड़ापन या थकान हो सकती है। ऐसा अगर लंबे समय तक हो तो बच्चे जल्दी गुस्से में आने वाली समस्या से जीवन भर जूझ सकते हैं।

2.पाचन में दिक्कत ( too much Sugar affects in children during digestion)

ज्यादा शुगर (Too much sugar effect on children) से बच्चों को खराब पाचन, पेट में दर्द, गैस, या कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर अगर वे फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करते हैं। दरअसल इन सब खानों में मिलने वाला शुगर हाइड्रोजेनेटेड होता है और बच्चे जिनका इम्यून सिस्टम अभी पूरी तरह से डेवलप नहीं हुआ होता, वे पेट की समस्यों के आसानी से शिकार हो जाते हैं।

3. इम्यून सिस्टम पर भी असर ( Large quantity of sugar intake affects immunity)

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रीवेंशन की रिपोर्ट के मुताबिक बहुत ज्यादा शुगर इंटेक (Too much sugar effect on children) शरीर में सूजन को जन्म देता है और ब्लड को ज्यादा गाढ़ा बना देता है। इसकी वजह से शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। शरीर के सारे अंग इसी वजह से ज्यादा काम करने लगते हैं और इम्यून सिस्टम भी ऐसा ही करता है। अगर इम्यून सिस्टम को उस वक्त ज्यादा काम करना पड़े जब वो पूरी रह से डेवलप भी ना हुआ हो, खासकर बच्चों का, तब उसके कमजोर हो जाने के आसार और बढ़ जाते हैं। इसी वजह से बच्चे ज्यादा आसानी से किसी भी बीमारी और इन्फेक्शन के शिकार हो जाते हैं।

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लेखक के बारे में
राेहित त्रिपाठी
राेहित त्रिपाठी

गोरखपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक और लिखने-पढ़ने की आदत। रेख्ता, पॉकेट एफएम, राजस्थान पत्रिका और आज तक के बाद अब हेल्थ शॉट्स के लिए हेल्थ, फिटनेस, भारतीय चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान पर रिसर्च बेस्ड लेखन।

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