कुंदरू (Ivy Gourd) को पहले जंगली सब्जी माना जाता था। पर जबसे इसके फायदों को जाना गया, इसे खेतों के अलावा घर के बगीचों, गमलों में भी उगाया जाने लगा। कुंदरू के साथ-साथ इसके पत्ते, जड़ भी बेहद उपयोगी हैं। यह इन्फेक्शन को खत्म करने सहित कई तरह के बीमारियों को रोकने में भी कारगर है। आपको यह जानकार आश्चर्य लगेगा कि मधुमेह के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं में आइवी गोर्ड यानी कुंदरू का उपयोग किया जाता रहा है। आइये जानते हैं कि डायबिटीज पर नियन्त्रण के लिए कैसे खाया जा सकता है कुंदरू।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार, जो लोग कुंदरू नियमित रूप से खाते हैं, उन्हें कभी एनीमिया नहीं हो सकता है। इसकी स्किन तरबूज की तरह चकत्तेदार होती है। तरबूज़ की तरह इस सब्जी का अधिकांश भाग पानी से बना होता है। इसमें सबसे अधिक मात्रा में आयरन पाया जाता है। इसके अलावा, कैल्शियम, विटामिन बी1, विटामिन बी2 और आहार फाइबर भी होता है। यह बीटा-कैरोटीन से भी भरपूर होती है। यह हृदय की कार्यप्रणाली को मजबूत करती है और हृदय रोगों से बचाती है।
न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, मेटाबोलिज्म सक्रिय नहीं होने पर मधुमेह हो सकता है। कुंदरू में थियामिन पाया जाता है। यह एक पोषक तत्व है, जो कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में परिवर्तित करता है। यह शरीर में ऊर्जा के स्तर को ऊंचा रखता है और कुंदरू चयापचय को नियंत्रित (Metabolism Control) करता है। कुंदरू का सेवन करने पर थायमिन ब्लड प्लाज्मा में प्रवेश करता है जो अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है। यह पोषक तत्व लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण (Red Blood Cell Building) में भी मदद करता है। यह गुर्दे की पथरी से निपटने में मदद करता है।
आयुर्वेद जर्नल ऑफ़ हेल्थ के अनुसार, कुंदरू और कुंदरू की पत्तियां ग्लूकोज सहनशीलता बढ़ाने (glucose tolerance) में मदद करती हैं। सप्ताह में कुछ बार अपने आहार में कुंदरू की सब्जी खाने से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने (control blood sugar level) में मदद मिल सकती है।
आयुर्वेद जर्नल ऑफ़ हेल्थ बताता है कि मोटापा के कारण भी डायबिटीज हो सकता है। इसमें मोटापा-रोधी गुण होते हैं। इसलिए यह वेट लॉस डाइट (Kundru for weight loss) में शामिल होता है। यह प्री-एडिपोसाइट्स को फैट सेल्स में परिवर्तित होने से रोकता है। यह चयापचय दर को बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित करता है। यह गुर्दे की पथरी से निपटने में मदद करता है। इस लिए इसका उपयोग कई भारतीय व्यंजनों में किया जाता रहा है।
कुंदरू को अच्छी तरह धो लें। एक टी स्पून तेल में राई और करी पत्ता चटका लें। एक मीडियम साइज़ का प्याज काटकर भून लें। इसमें अच्छी तरह धोकर और काटकर कुंदरू डाल दें। लो फ्लेम पर भून लें। धनिया पत्ती के साथ गार्निश कर कुंदरू की सब्जी खाएं।
कुंदरू को रॉ काटकर भी खाया जा सकता है।
गाजर, शिमला मिर्च, मटर के दाने, प्याज, टमाटर के साथ कुंदरू को भी काटकर एक साथ भून लें। यह मिक्स वेज हेल्दी होने के साथ टेस्टी भी होगी।
कुंदरू पौधे के तने और पत्तियों को भी पका कर खाया जाता है। इसमें टमाटर डालकर सूप भी बनाया जा सकता है। इसे पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाया जा सकता है या सीधे टॉनिक के रूप में सेवन किया जा सकता है। इसके फायदों को देखते हुए अब कुंदरू के टेबलेट भी उपलब्ध हैं।
आम तौर पर यह हमारे लिए फायदेमंद होती है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। व्यक्ति को एलर्जी हो सकती है। कुछ लोगों को इसके कारण त्वचा पर घाव हो जाते हैं। चिकित्सकों की मदद से एलर्जी को सुरक्षित रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। यदि त्वचा पर कोई भी प्रतिक्रिया दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
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