आयुर्वेद में तरह-तरह के उपचारों के बारे में विश्लेषण किया गया है। आयुर्वेद के कुछ उपचारों को चमत्कार समझा जाता है। इन्हीं में से एक है सन चार्ज्ड वॉटर। क्या अब से पहले आपने इसके बारे में सुना था? नहीं! तो आपको इसके बारे में जानकारी लेना बहुत जरूरी है। क्योंकि यह पानी आपकी सेहत को दुरुस्त करने में सक्षम है। आइए जानते हैं इस खास पानी के बारे में और यह कैसे आपकी सेहत को फायदा पहुंचा सकता है।
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह सूरज की रोशनी से तैयार किया गया पानी होता है। जो चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल होता है। इसीलिए आयुर्वेद में इसे सूर्य चिकित्सा के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद ‘सूर्यांशु संतप्तम’ पानी के उपयोग पर जोर देता है। जिसका अनुवाद ‘सौर ऊर्जा में शुद्ध पानी’ है। आयुर्वेद का मानना है कि यह एक कुछ रोगों का एक गहरा और सरल उपचार है। अथर्व वेद में भी सूर्य की किरण चिकित्सा के बारे में जानकारी साझा किया गया है।
इस पूरी प्रक्रिया में पानी को सूरज की रोशनी से चार्ज किया जाता है जो सेहत के लिए लाभदायक बन जाता है। आयुर्वेद का मानना है कि सूर्य की किरणें एक खराब पानी को भी स्वच्छ और सेहतमंद बनाने में सक्षम है।
सूर्य की किरणों से तैयार किए गए इस सन चार्ज्ड वॉटर (Sun charged water) के बारे में आयुर्वैदिक एक्सपर्ट डॉ इप्सिता चटर्जी से विस्तार में समझते हैं, कि आखिर यह पानी क्या है और यह सेहत के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकता है।
चटर्जी बताती हैं, यदि आप बोतल में भी सूर्य की किरणों में पानी रखती हैं] तो सूरज की रोशनी पानी के आवेशों में समा जाती है और ‘जीवन’ को वापस लाती है। सूर्य के प्रकाश की यूवी किरणों के कारण माइक्रोबियल लोड कम हो जाता है। इसके अलावा, गर्मी और प्रकाश पानी को उबालते हैं और ऑक्सीकरण करते हैं, जिससे यह ऊर्जा से उज्ज्वल हो जाता है। सन-चार्ज्ड पानी समग्र स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक तारकीय मार्ग है। यह आपके ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने और आपके शरीर में सूजन को कम करने के लिए जाना जाता है।
सूर्य की किरण में सात प्रकार के रंग होते हैं। प्रत्येक रंग शरीर में कुछ न कुछ लाभ पहुंचाता हैं। हालांकि आयुर्वेद पर हर एक रंग की विशेषता का विश्लेषण किया गया है कि कौन सा रंग का इस्तेमाल कब होना चाहिए। रंगीन कांच की बोतलों में पानी रखकर यह तैयार किया जाता है।
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