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डायबिटीज से उबरना है तो कच्चे कद्​दू का करें सेवन, जानिए ये कैसे मदद करता है 

पंपकिन या कद्​दू में कार्बोहाइड्रेट और शुगर की पर्याप्त मात्रा होने के बावजूद यह ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल कर सकता है।
Published On: 10 Jun 2022, 09:30 am IST
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Jaanein kaddu ke fayde
बीज से लेकर गूदे तक कद्दू पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो त्वचा के लिए जरूरी होता है।चित्र: शटर स्टॉक

कद्​दू, काशीफल या कोंहड़ा (Pumpkin) को भारतीय रिवाजों में सबसे शुद्ध और पवित्र माना गया है। शादी-विवाह के अवसर पर यह सब्जी जरूर पकती है। लगभग सभी एशियाई देशों में इसे खूब खाया जाता है। अब तो स्क्वाश, पास्ता आदि में भी इस सब्जी का खूब प्रयोग होता है। पर क्या आप जानती हैं कि ये सबसे सुलभ भारतीय सब्जी आपकी डायबिटीज कंट्रोल करने में भी मदद कर सकती है। जी हां, आपने सही पढ़ा। आइए जानते हैं शुगर कंट्रोल करने में कैसे मददगार है कद्दू (Pumpkin benefits for diabetes)। 

  कद्दू से चीन में होता है डायबिटीज का इलाज 

चीन में ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए कद्​दू के अर्क का इस्तेमाल घरेलू उपचार के तौर पर किया जाता था। कुछ समय पहले शंघाई के ईस्ट चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी में इस पर शोध किया गया। शोध के आधार पर यह पाया गया कि प्री-डायबिटिक लोगों पर कद्​दू का अर्क तो असरकारक है ही, साथ ही जो डायबिटीज पेशेंट हैं, उन पर भी यह काम करता है। 

कैसे किया गया शोध 

शोधकर्ताओं ने चूहों पर रिसर्च किया था। उन्होंने पाया कि जिन डायबिटिक चूहों को कद्​दू का अर्क नहीं दिया, उनकी तुलना में डायबिटीज से प्रभावित चूहों को जब कद्​दू के अर्क से ट्रीट किया गया, तो उनका ब्लड शुगर लेवल कम था और इंसुलिन का सीक्रेशन भी अधिक हुआ। 

उनके शरीर में इंसूलिन प्रोडक्शन वाले बीटा सेल्स भी अधिक पाए गए। बाद में यह रिसर्च चीन की पत्रिका जर्नल ऑफ द साइंस ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर में प्रकाशित किया गया।

चीन में तो डायबिटीज पेशेंट में ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए इसके अर्क का प्रयोग किया जाता है। क्या ये सही है फैक्ट चेक करने के लिए हमने बात की न्यूट्रीशनिस्ट ऐंड वेलनेस एक्सपर्ट डॉ. कृतिका अवस्थी से। 

पहले जानिए कद्​दू की न्यूट्रीशनल वैल्यू

 ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर: 75 (अधिकतम 100)

ग्लाइसेमिक लोड स्कोर:3 (अधिकतम 7)

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कद्दू के प्रत्येक 100 ग्राम में शामिल हैं:

 कार्बोहाइड्रेट 6.5 ग्राम

शुगर 1.36 ग्राम

फाइबर 0.5 ग्राम

फैट 0.1 ग्राम

विटामिन ए 369 माइक्रोग्राम

मैग्नीशियम 12 मिलीग्राम

फास्फोरस 44 मिलीग्राम

पोटेशियम 340 मिलीग्राम

 कच्चा कद्दू है ज्यादा फायदेमंद (Raw pumpkin benefits)

रिसर्च बताते हैं कि कद्दू ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकता है। डॉ. कृतिका अवस्थी के अनुसार, नारंगी या पीले कद्​दू की बजाय हरा, जो पका नहीं होता है, डायबिटीज पेशेंट को खाने के लिए देना चाहिए। इसमें पके कद्​दू की अपेक्षा कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा कम होती है।

कद्दू में विटामिन और मिनरल्स भरपूर पाए जाते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट भी अधिक होता है। आमतौर पर डायबिटीज पेशेंट को कार्बोहाइड्रेट और हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों से बचने को कहा जाता है। कद्दू में मौजूद फाइबर और मैग्नीशियम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के प्रभावों का मुकाबला करने में मदद करते हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है।

 कद्दू के बीज भी हैं फायदेमंद 

फलों के अलावा, कद्दू के बीज भी डायबिटीज मैनेजमेंट में मदद कर सकते हैं। कद्दू के बीज मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल कम करने में मदद मिल सकती है। पिछले एक दशक में कद्​दू और कद्दू के बीज का सेवन बढ़ा है। स्मूदी, दलिया, स्नैक्स आदि में कद्​दू के बीज का प्रयोग किया जा सकता है।

Kaddu aankhon ki roshni ke liye faydemand hai.
कद्​दू के बीज भी डायबिटीज पेशेंट के लिए फायदेमंद होते हैं। चित्र:शटरस्टॉक

यह भी ध्यान रखें 

डायबिटीज के पेशेंट इस बात को लेकर जरूर सावधान रहें कि कद्दू से तैयार होने वाले मीठे व्यंजन जैसे कि हलवा, पेस्ट्री, केक आदि का सेवन न करें। इससे घटने की बजाय ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।

ज्यादा खाया तो उठाना पड़ सकता है नुकसान 

कद्दू में विटामिन ई और कैरोटीनॉयड भरपूर पाया जाता है। इसलिए यह पावरफुल एंटीऑक्सिडेंट है। जो कोशिकाओं को हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाता है और हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, लेकिन कभी-भी इसे ज्यादा मात्रा में न खाएं। यदि अधिक मात्रा में कद्​दू का सेवन किया जाता है, तो कद्दू और इसके बीज कॉन्सटिपेशन और ब्लोटिंग के कारण बन सकते हैं। इसका सेवन नाश्ते के दौरान या दोपहर के भोजन में करें।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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