हमारा दिमाग 24 घंटे काम करता रहता है। यह हमारे विचारों, सांस और दिल की धड़कन और पूरे शरीर का ख्याल रखता है। यह नींद में भी कड़ी मेहनत करता रहता है । इसका मतलब यह हुआ कि ब्रेन को ईंधन की निरंतर आपूर्ति की जरूरत होती है। यह ईंधन खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से आता है। इन फूड्स का दिमाग पर सीधा असर पड़ता है। हम जो खाते हैं वह सीधे मस्तिष्क की संरचना, कार्य और मूड को प्रभावित करता है। कई शोध बताते हैं कि प्रोसेसड फ़ूड एंग्जाइटी, डिप्रेशन और कोगनिटिव डिक्लाइन से जुड़े हुए (processed food affect mental health) हैं।
वर्ष 2022 में संयुक्त राज्य अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी द्वारा 10 000 से अधिक लोगों पर अध्ययन किया गया । इस अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया कि जिन लोगों ने जितना अधिक प्रोसेस्ड फ़ूड खाया, उतना ही अधिक उन्होंने हल्के अवसाद या चिंता की भावनाओं की रिपोर्ट की। जरूरी मात्रा से 60 प्रतिशत या उससे अधिक कैलोरी खाने वालों के लिए यह मानसिक रूप से अस्वास्थ्यकर था। इस शोध में हाई अल्ट्राप्रोसेसड फ़ूड की खपत और संज्ञानात्मक गिरावट के बीच संबंध पाया गया। अल्ट्राप्रोसेसड फ़ूड को केमिकल के साथ और अधिक प्रोसेस किया जाता है।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है। यह नींद और भूख को नियंत्रित करने, मूड को ठीक करने और दर्द को कम करने में मदद करता है। सेरोटोनिन का लगभग 95% गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में उत्पन्न होता है। स्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट एक सौ मिलियन तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरॉन्स के साथ होता है। इससे पाचन तंत्र की आंतरिक कार्यप्रणाली केवल भोजन पचाने में मदद ही नहीं करती है, बल्कि इमोशंस के प्रकट करने में भी भूमिका निभाती है।
नयूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, न्यूरॉन्स का कार्य और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन अरबों अच्छे बैक्टीरिया से प्रभावित होता है। ये आंतों के माइक्रोबायोम को बनाते हैं। ये बैक्टीरिया स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे आंतों की लाइनिंग की रक्षा करते हैं। वे सुनिश्चित करते हैं कि विषाक्त पदार्थों और खराब बैक्टीरिया के खिलाफ एक मजबूत अवरोध उत्पन्न हो। वे सूजन को सीमित करते हैं। वे यह सुनिश्चित हैं कि भोजन से पोषक तत्वों को कितनी अच्छी तरह अवशोषित किया जाए। ये तंत्रिका मार्गों को सक्रिय करते हैं जो आंत और मस्तिष्क के बीच फ्लो करते हैं।
हार्वर्ड हेल्थ के अध्ययन में यह दिखाया गया है कि पारंपरिक आहार, जैसे मेडिटेरिनियन डाइट और पारंपरिक जापानी आहार पश्चिमी आहार की तुलना में बढिया होते हैं। इनमें प्रोसेस्ड फ़ूड को शामिल नहीं किया जाता है। इसलिए पारंपरिक आहार खाने वालों में अवसाद का जोखिम 25% – 35% तक कम होता है।
वैज्ञानिकों ने माना कि ताज़ी सब्जियों, फलों, अनप्रोसेस्ड अनाज, मछली और समुद्री भोजन प्रसंस्कृत और परिष्कृत खाद्य पदार्थ और शर्करा से भी रहित होते हैं। इनमें कई असंसाधित खाद्य पदार्थ फर्मेंटेड होते हैं। इसलिए ये प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स के रूप में कार्य करते हैं। अच्छे बैक्टीरिया न केवल पोषक तत्व आंत से अवशोषित करते हैं, बल्कि पूरे शरीर में सूजन की डिग्री को प्रभावित करते हैं। साथ ही, मूड और ऊर्जा के स्तर को भी प्रभावित करते हैं।
नयूट्रिएंट जर्नल के अनुसार, स्वस्थ आहार खाने से अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाने के हानिकारक प्रभावों की भरपाई हो सकती है। एक स्वस्थ आहार का पालन करना जरूरी है। साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, नट्स, जामुन, मछली, चिकन और ऑलिव आयल से भरपूर माइंड आहार अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के सेवन से जुड़े डिमेंशिया के जोखिम को बहुत कम कर देता है। .
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