मक्के की रोटी काफी हेल्दी और ग्लूटेन फ्री होती है। इसलिए इसे काफी हेल्दी भी माना जाता है। पंजाब में मक्के की रोटी के साथ सरसों के साग को काफी पसंद किया जाता है। जिसके बाद अब ये पूरे भारत में लोकप्रिय हो चुका है। कई बार वजन कम करने के लिए रोटी या ब्रेड जिसमें काफी कार्ब होता है, उसे छोड़ना पड़ता है। लेकिन मक्के की रोटी में कार्ब नहीं होता है। जिससे ये वजन कम करने वाले लोगों के लिए काफी अच्छा माना जाता है। तो चलिए एक आहार विशेषज्ञ से जानते हैं गर्मियों में भी क्यों आपके लिए एक हेल्दी ऑप्शन है मक्की की रोटी (makki ki roti benefits)।
मक्का देश के उत्तरी भाग में सर्दियों के समय उगने वाली फसल है। यह सर्दियों के दिनों में काफी पसंद की जाती है और जो लोग गेंहू के आटे की रोटी खाना पसंद नहीं करते, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है। इसमें प्रोटीन और स्टार्च की मात्रा अधिक होती है। मक्का आयरन, फॉस्फोरस, जिंक और विभिन्न विटामिनों से भी भरपूर होता है।
इस बारे में जानने के लिए हमने बात की डायटिशियन और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट शिखा कुमारी से।
शिखा कुमारी बताती है कि “मक्की की रोटी गर्मियों के लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकती है, क्योंकि यह मक्के के आटे से बनी होती है। जो फाइबर और आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर होती है। यह ग्लूटेन फ्री भी है, जो इसे सीलिएक रोग या ग्लूटेन इंटॉलरेंस वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त बनाता है।”
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“हालांकि, किसी भी अन्य भोजन की तरह, मक्के की रोटी का सारा पोषण मूल्य इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे तैयार और परोसा जाता है। इसे दाल, सब्जियों या सलाद जैसे पौष्टिक साइड डिश के साथ परोसना चाहिए और घी और गुड़ जैसी उच्च कैलोरी वाली चीजों का इसके साथ सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए।”
शिखा कुमारी कहती है कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मक्की की रोटी अन्य प्रकार की ब्रेड की तुलना में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट में अपेक्षाकृत अधिक होती है। इसे आम तौर पर समृद्ध और स्वादिष्ट संगत के साथ परोसा जाता है जैसे कि सरसों का साग , घी (मक्खन) और गुड़ (अपरिष्कृत गन्ना चीनी), जो इसकी कैलोरी सामग्री को बढ़ा सकते हैं।
मक्के के आटे में सोडियम की मात्रा काफी कम होती है। जिससे आपको उच्च रक्त चाप और स्ट्रोक का जोखिम कम होता है। जिन लोगो को भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है या जो लोग वृद्ध है उन लोगो को अपनी डाइट में मक्के के आटे को जरूर शामिल करना चाहिए।
मक्के का आटा कब्ज का समस्या से छुटकारा दिला सकता है। यह मल त्याग को बेहतर कर सकता है। क्योंकि मक्के का आटा फाइबर से भरपूर होता है इसलिए ये बाउड सिस्टम और पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद करता है।
मक्के का आटा फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत है। गर्भवती महिलाओं में फोलिक एसिड की काफी जरूरत होती है क्योंकि इससे बच्चे के रीढ़ की हड्डी को मस्तिष्क के विकास में कोई बाधा नही आती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को फोलिक एसिड से भरपूर आहार लेने की सलाह दी जाती है।
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कस्टमाइज़ करेंमक्के के आटे में आयरन, फोलेट, विटामिन बी-9 जैसे कुछ आवश्यक विटामिन पाए जाते हैं। यह एनिमिया यानि खून की कमी को भी पूरा करता है। एनिमिया की स्थिति में आपके बल्ड में लाल रक्त कोशिकाएं कम हो जाती है।
शिखा कुमारी बताती है कि “मक्की की रोटी गर्मियों के लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकती है, खासकर जब पौष्टिक साइड डिश जैसे दाल या रायता (दही-आधारित डिप) के साथ इसका सेवन किया जाए। हालांकि, इसकी कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट सामग्री को ध्यान में रखते हुए, एक संतुलित आहार के हिस्से के रूप में इसका सेवन कम मात्रा में किया जाना चाहिए।”
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