Decaf coffee : आपकी रेगुलर कॉफी से ज्यादा फायदेमंद है डिकैफ कॉफी, एक न्यूट्रीशनिस्ट बता रही हैं कैसे
कॉफी दुनिया के सबसे लोकप्रिय ड्रिन्क्स में से एक है। कई लोग कॉफी पीना तो बहुत पसंद करते हैं, लेकिन वे स्वास्थ्य कारणों से अपने कैफीन का सेवन सीमित करना चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए, डिकैफ कॉफी एक बेहतरीन विकल्प है। डिकैफ कॉफी पारंपरिक काॅफी के जैसी ही होती है, सिवाय इसके कि इसमें से कैफीन हटा दिया जाता है। आज हेल्थशॉट्स में हम जानेंगे क्या है डिकैफ कॉफी, कैसे करी जाती है तैयार और क्या हैं आपकी सेहत के लिए इसके फायदे।
क्या है डीकैफ कॉफी?
डिकैफ का मतलब है कॉफी के उन बीन्स का जो कैफीन की मात्रा को कम करने की प्रक्रिया से गुज़रे हैं। इसका स्वाद और रूप पारंपरिक कॉफी के समान होता है, लेकिन इसमें कैफीन का स्तर कम होता है।
अब हम जानते हैं कि यह कहाँ से आई?
डिकैफ कॉफी पहली बार 1906 में जर्मनी में व्यावसायिक रूप से प्रयोग में आई। ये लुडविग रोसेलियस ने बनाई थी, क्योंकि उन्हें लगा कि उनके पिता की मृत्यु बहुत अधिक कैफीन के कारण हुई थी, तो उन्होंने एक ऐसा मिश्रण बनाने का लक्ष्य बनाया जिसमें बिना किसी ‘ज़हर’ यानी नुकसान देने वाले पदार्थ के सभी स्वाद मौजूद हों।
कॉफ़ी बीन शिपमेंट के दौरान एक बॉक्स समुद्री पानी में डूबा हुआ था। जब इन बीन्स से कॉफी बनाई गई तो पता चला कि पानी ने बीन्स से अधिकांश कैफीन सामग्री हटा दी थी। इस खोज के कारण रोसेलियस ने कैफीन को निकालने के लिए कॉफ़ी को भाप देने का एक तरीका पेटेंट कराया। आज भी डिकैफ कॉफी के लिए यही प्रक्रिया आजमाई जा रही है।
कैफीन को कॉफी से कैसे निकाला जाता है?
पारंपरिक कॉफी की ही तरह, डिकैफ़ बनाने के लिए भी कॉफी बीन्स प्रयोग किए जाते हैं। यह प्रक्रिया हरे, बिना भुने बीन्स के रूप में शुरू होती है। फिर बीन्स को गर्म किया जाता है और कैफीन को घोलने और निकालने के लिए भिगोया जाता है।
कैफीन-मुक्ति के लिए तीन विधियां हैं, केवल पानी का उपयोग, पानी और सुपरक्रिटिकल कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग, या पानी और अन्य सौल्वेंट्स के मिश्रण का उपयोग। यह भी पढ़ें: लो ब्लड प्रेशर में मददगार हो सकती है कॉफी, जानिए कब और कितनी पीनी चाहिए कॉफी
एक्सपर्ट भी कर रहे हैं डिकैफ कॉफी की सिफारिश
धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली में चीफ डाइटिशियन पायल शर्मा, कहती हैं कि “डिकैफ़ कॉफ़ी उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प है जिन्हें कैफ़ीन से जुड़ी समस्याएँ होती हैं। पारंपरिक कॉफ़ी में कैफ़ीन की मात्रा अधिक होती है, जो कई लोगों में घबराहट, नींद की समस्या, या एसिडिटी जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है।
खासकर जो लोग हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग या तनाव की स्थिति से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए कैफ़ीन नुकसानदायक हो सकता है। डिकैफ़ कॉफ़ी में कैफ़ीन की मात्रा बेहद कम होती है, जिससे इन समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा जो लोग कॉफ़ी का स्वाद पसंद करते हैं, लेकिन कैफ़ीन से बचना चाहते हैं, उनके लिए भी डिकैफ़ कॉफ़ी अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी कैफ़ीन से परहेज़ करने के चलते डिकैफ़ कॉफ़ी की सलाह दी जाती है।”
डिकैफ काॅफी में हैं रेगुलर काॅफी के सारे गुण
इसके न्यूट्रिएंट्स की वैल्यू बताते हुए डाॅ. पायल आगे जोड़ती हैं कि “कॉफी, जिसमें डिकैफ काॅफी भी शामिल है, एंटीऑक्सीडेंट का एक प्रमुख स्रोत है खासकर पश्चिम में। हालांकि, डेकैफिनेशन प्रक्रिया के कारण, डेकैफ में पारंपरिक कॉफी की तुलना में लगभग 15% कम एंटीऑक्सीडेंट हो सकते हैं।
डिकैफ काॅफी और पारंपरिक कॉफी दोनो में ही प्रमुख रूप से एंटीऑक्सीडेंट्स हाइड्रोसिनामिक एसिड और पॉलीफेनॉल होते हैं। कॉफी के एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने में मदद करते हैं, जिससे शरीर में होने वाले ऑक्सीडेटिव नुकसान को कम किया जा सकता है। और बीमारियों के जोखिम को संभावित रूप से घटाया जा सकता है, जैसे हृदय रोग, कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज आदि।
एक कप डिकैफ कॉफी दैनिक जरूरतों का 2.4% मैग्नीशियम की, 4.8% पोटेशियम, और 2.5% नायसिन (विटामिन B3) प्रदान करती है। डिकैफ कॉफी के कई कप पीने से इन पोषक तत्वों की मात्रा में महत्वपूर्ण योगदान मिल सकता है।”
चलते चलते
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डिकैफ़ काॅफी पूरी तरह से कैफ़ीन-मुक्त नहीं होती, इसमें मामूली मात्रा में कैफ़ीन होती है। इसलिए, यदि किसी व्यक्ति को कैफ़ीन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं, तो डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करना चाहिए।
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