भारत डायबिटीज का कैपिटल कंट्री बन चुका है। डायबिटीज के बढ़ते मामलों ने भारतीय खानपान पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इसके बढ़ते आंकड़ों को रोकने के लिए सबसे जरूरी है खानपान के प्रति ध्यान देना। क्या आपको डायबिटीज है और आप चावल खाना चाहती हैं? हालांकि, चावल ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है, ऐसे में आपको पूरी तरह से इससे परहेज रखना पड़ता है। तो क्यों न व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस ट्राई की जाए (Brown rice benefits in diabetes)।
पोषक तत्वों से भरपूर ब्राउन राइस को पॉलिश नहीं किया जाता इसलिए इसमें फाइबर सहित कई अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद होते हैं। वहीं दूसरी ओर व्हाइट राइस को तमाम पॉलिशिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसकी वजह से इसकी गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। तो चलिए आज इस लेख के माध्यम से जानेंगे आखिर डायबिटीज में ब्राउन राइस खा सकते हैं या नहीं। साथ ही जानेंगे सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस किस तरह होता है बेहतर (Brown rice benefits in diabetes)।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ब्राउन राइस में प्रोटीन, फाइबर, मैंगनीज, मैग्नीशियम, सेलेनियम, फॉस्फोरस, विटामिन b1 और विटामिन B6 की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। यह सभी पोषक तत्व इसे खास बनाते हैं। ब्राउन राइस पाचन में आसान होने के साथ डायबिटीज वेट लॉस के साथ ही अन्य शारीरिक समस्याओं का भी एक बेहतरीन उपचार है।
खाद्य पदार्थ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) यह मापता है कि यह खाद्य स्रोत ब्लड शुगर लेवल को कितना बढ़ा सकता है। साथ ही यह बताता है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
उच्च जीआई वाले खाद्य पदार्थ मध्यम या निम्न जीआई वाले खाद्य पदार्थों की तुलना में ब्लड शुगर लेवल के स्तर को अधिक और तेजी से बढ़ाते हैं। वहीं मध्यम और निम्न जीआई वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन भी ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। ब्राउन राइस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 होता है। व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस का सेवन अधिक फायदेमंद रहेगा।
यह भी पढ़ें : बैली फैट कम करना है तो नाश्ते में खाएं एवोकाडो सैंडविच, एक्सपर्ट बता रहीं हैं इसके फायदे
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार डायबिटीज की स्थिति में व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस का सेवन अधिक फायदेमंफ रहेगा। व्हाइट राइस में कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्रा मौजूद होती है साथ ही इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी अधिक होता है, जो ब्लड शुगर लेवल में तेजी से स्पाइक्स का कारण बनता है।
यह डायबिटीज के जोखिम को भी बढ़ा देता है। ब्राउन राइस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, साथ ही यह धीरे-धीरे पचता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल में हल्का परिवर्तन होता है।
सफेद चावल और अन्य कार्बोहाइड्रेट से युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि सफेद ब्रेड दुनिया भर में तरह तरह के व्यंजनों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। चीन में अत्यधिक पॉलिश किए गए सफेद चावल को संपन्नता और ब्राउन राइस को गरीबी के प्रतीक के रूप में देखा जाने लगा है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार फाइबर से भरपूर ब्राउन राइस का सेवन टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद होता है। इसे खाने के बाद ब्लड शुगर का स्तर सामान्य रहता है या बदलाव काफी धीमा होता है। डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए सबसे जरूरी है ब्लड शुगर लेवल पर ध्यान देना।
पब मेड सेंट्रल द्वारा टाइप 2 डायबिटीज वाले 16 वयस्कों पर अध्ययन किया गया। सफेद चावल खाने वालों की तुलना में ब्राउन राइस की 2 सर्विंग खाने से खाने के बाद के ब्लड शुगर लेवल को घटता हुआ पाया गया।
एक दूसरे शोध में टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित 28 वयस्कों को 8 हफ्ते के लिए अध्ययन में शामिल किया गया। उन्हें हफ्ते में कम से कम 10 बार ब्राउन राइस खाने को कहा गया। परिणामस्वरूप उनके ब्लड शुगर के स्तर और एंडोथेलियल फंक्शन में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला। ब्राउन राइस वेट मैनेज करते हुए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण रखने में मदद करता है।
यह भी पढ़ें : पिकनिक को बनाएं हेल्दी पिकनिक, इन 10 हेल्दी स्नैक्स आइडिया के साथ