दालें भारतीय भोजन का प्राथमिक इंग्रीडिएंट है। रोज की डाइट में अलग-अलग ढंग से दाल तैयार की जाती है। अच्छी बात यह है कि यह उत्तर भारत, दक्षिण, पूर्व या पश्चिम भारत में भी खाई जाती है। इनमें फाइबर की मात्रा अधिक और कैलोरी की मात्रा कम होती है। इसलिए मसल्स हेल्थ के साथ-साथ यह पूरे शरीर को फायदा पहुंचाती है। इन दिनों पॉलिश्ड दाल की बजाय अनपॉलिश्ड दाल खाने का चलन (health benefits of unpolished pulses) तेजी से बढ़ा है। खासकर फिटनेस फ्रीक तो कभी भी पॉलिश्ड दाल नहीं खाना चाहते हैं। सबसे पहले जानते हैं दोनों के बीच के अंतर को।
हर साल 27 फरवरी को इंटरनेशनल प्रोटीन डे मनाया जाता है। प्रोटीन आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स में से एक है, जो मानव शरीर के ब्लॉक बनाने में मदद करता है। प्रोटीन का सबसे बढ़िया स्रोत दाल है। इसलिए भोजन के लिए दाल का चुनाव करते समय स्टार्क रहना चाहिए। इंटरनेशनल प्रोटीन डे 2024 का थीम है ‘प्रोटीन का अधिकार (Right To Protein)’, जो भोजन में प्रोटीन की मात्रा को सुनिश्चित करने पर जोर देता है।
यदि आप सुपरमार्केट में खरीदारी कर रही हैं, तो आप अलग-अलग प्रकार की दालें पा सकती हैं। यदि आप ध्यान से देखें, तो कुछ प्रोडक्ट चिकनी, चमकदार सतह वाले, तो कुछ खुरदरी चमक वाले मिल सकते हैं। चिकनी और चमकदार सतह वाली पॉलिश्ड और खुरदरी चमक वाली अन पॉलिश्ड दाल (health benefits of unpolished pulses) है।
सेहत के लिए अनपॉलिश्ड दालें पॉलिश्ड दालों से ज्यादा फायदेमंद होती हैं। असल में दालों को विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके पॉलिश किया जाता है, जिसमें पानी, तेल, मार्बल पाउडर (marble powder) और लेदर के साथ प्रोसेस किया जाता है।
यदि कोई व्यक्ति शाकाहारी है, तो उसे इन दालों का सेवन नहीं करना चाहेगा सकता, क्योंकि इसे प्रोसेस करने में लेदर का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, अनहाइजेनिक पानी के उपयोग से अक्सर इम्पुरिटी जुड़ जाती हैं। यह इसे अनहेल्दी बना देती हैं। इन दालों को पकाने में भी काफी समय लगता है क्योंकि पॉलिश करने के दौरान इनमें तमाम परतें जुड़ जाती हैं।
इनके अलावा पॉलिशिंग प्रक्रिया मिलिंग प्रक्रिया के माध्यम से बाहरी भूसी को हटा देती है। इसके कारण कुछ पोषक तत्वों और फाइबर सामग्री का नुकसान होता है। यह ग्लाइसेमिक इंडेक्स को भी बढ़ाता है, जिसके सेवन के बाद ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि हो सकती है।
बिना पॉलिश की हुई दाल सॉल्युबल और इन सॉल्युबल फाइबर से भरपूर होती है। अनपॉलिश्ड दाल में प्रोटीन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन, जिंक और थायमिन जैसे पोषक तत्व भी अधिक मात्रा में होते हैं। यह बेहतर स्वाद भी बरकरार रखता है।
पॉलिशिंग प्रक्रिया से इन दालों की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है। आठ महीने तक इसे स्टॉक में रखा जा सकता है। इसके अलावा, यदि कोई स्टॉक पुराना हो जाता है, तो अक्सर दालों को फिर से पॉलिश कर दिया जाता है। पॉलिश करने से दाल की ऊपरी परत से कीटनाशक निकल जाते हैं।
बिना पॉलिश की हुई दालें स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित (health benefits of unpolished pulses) हैं। पॉलिशिंग एजेंट खतरनाक हो सकते हैं, क्योंकि आयल कोटिंग वाले भोजन में अधिक वसा होती है।
दाल की बाहरी सतह को पॉलिश करने के बाद पॉलिश की हुई दाल का स्वाद बिना पॉलिश की हुई दाल के स्वाद से कम होता है।
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कस्टमाइज़ करेंपॉलिश की गई दाल को पकाने में भी काफी समय लगता है, बिना पॉलिश की हुई दाल समय और ईंधन बचा सकती है।
दालों को विभिन्न प्रकार के पोषण संबंधी लाभों (health benefits of unpolished pulses) के लिए जाना जाता है। वे फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, पॉलीफेनोल्स और प्रोटीन से भरपूर होते हैं। पॉलिशिंग प्रक्रिया के दौरान दालें अक्सर महत्वपूर्ण मात्रा में फाइबर और पोषक तत्व खो देती हैं।
खरीदते समय बिना पॉलिश की हुई और ऑर्गेनिक रूप से उगाई गई दालें (health benefits of unpolished pulses) चुनें। इससे स्वास्थ्य को भरपूर लाभ मिल सकता है।
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