यदि समय पर और सही मात्र में डाइट ली जाए, तो व्यक्ति को शारीरिक समस्याएं न के बराबर हो सकती हैं। शरीर को माइक्रो और मैक्रो दोनों तरह के पोषक तत्व चाहिए। इसके अलावा, प्रोटीन और ओमेगा ३ फैटी एसिड भी स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। मछली एक ऐसा आहार है, जो शरीर की कई जरूरतों को पूरा करता है। यह मेंटल हेल्थ को मजबूत बनाता है। साथ ही फिजिकल हेल्थ की कई सारी समस्याओं से बचाव (Fish Health Benefits) भी करता है।
पोषण विशेषज्ञ डॉ. शिखा द्विवेदी बताती हैं, फैटी मछली में हाई क्वालिटी वाले प्रोटीन मौजूद रहते हैं। यह ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन डी और विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन) से भरपूर होती है। यह कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर होती है। यह आयरन, जिंक, आयोडीन, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे मिनरल का एक बड़ा स्रोत है। स्वस्थ आहार के हिस्से के रूप में प्रति सप्ताह कम से कम दो बार मछली खाना चाहिए। मछली प्रोटीन, विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है। दिल के दौरे या स्ट्रोक के खतरे को कम करने में मदद कर सकती है।
डॉ. शिखा द्विवेदी बताती हैं, मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। ये आवश्यक पोषक तत्व हृदय को स्वस्थ रखते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड ब्लड प्रेशर को कम करके अचानक मृत्यु से बचाव करता है। इससे दिल का दौरा, असामान्य हार्ट बीट और स्ट्रोक के जोखिम को कम करके यह स्वस्थ हृदय बनाए रखने में मदद करता है। मछली में पाए जाने वाले दो ओमेगा-3 फैटी एसिड ईपीए (eicosapentaenoic acid) और डीएचए (docosahexaenoic acid) हैं। हमारा शरीर ओमेगा-3 फैटी एसिड का उत्पादन नहीं करता है। इसलिए हमें इसे भोजन के माध्यम से लेना चाहिए। ओमेगा-3 फैटी एसिड हर प्रकार की मछली में पाया जाता है, लेकिन वसायुक्त मछली में विशेष रूप से अधिक होता है। सैल्मन, ट्राउट, सार्डिन, हेरिंग, मैकेरल, टूना फिश इसके बढ़िया विकल्प हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड गर्भावस्था के दौरान हेल्दी ब्रेन फंक्शन में मदद करता है। यह शिशु के विजन और नयूरोंस के डेवलपमेंट में सहायता करता है। यह अवसाद, एडीएचडी, अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया और डायबिटीज के खतरे को कम कर सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग हर हफ्ते मछली खाते हैं, उनके मस्तिष्क के हिस्सों में अधिक ग्रे मैटर मौजूद रहते हैं। यह मस्तिष्क का प्रमुख फंक्शनल टिश्यू होता है, जो भावनाओं और स्मृति को नियंत्रित करता है।
ओमेगा फैटी एसिड से मेंटल हेल्थ को भी फायदा पहुंच सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड अवसाद के लक्षणों में कमी लाता है। ओमेगा फैटी एसिड कुछ अवसाद रोधी दवाओं में भी प्रयोग होता है। ये वसा ब्रेन को अधिक कुशलता से कार्य करने में मदद करते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज ऑटोइम्यून बीमारी है। प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ शरीर के ऊतकों पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। इसके कारण ऑटोइम्यून डिजीज होती हैं। ओमेगा-3 और विटामिन डी से भरपूर फिश आयल के सेवन से बच्चों में टाइप 1 मधुमेह का जोखिम कम हो जाता है। इसके साथ वयस्कों में भी ऑटोइम्यून डायबिटीज का खतरा कम होता है।
मछली के सेवन से रुमेटीइड गठिया और मल्टीपल स्केलेरोसिस का खतरा भी कम हो सकता है। मछली के सेवन से इन्फ्लेमेशन घटते हैं और बोंस मजबूत होते हैं। सैल्मन, सार्डिन, पिलचर्ड, ट्राउट, मैकेरल और हेरिंग जॉइंट पेन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
ऐसी मछली का चुनाव करें, जिसमें प्रदूषक तत्व कम हों। साथ ही, कम तेल-मसाले से तैयार मछली खाने से स्वास्थ्य को अधिक फायदे मिलते हैं।
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