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क्या मांसाहार का वीगन ऑप्शन हो सकता है प्लांट बेस्ड मीट? जानते हैं एक्सपर्ट की राय 

यदि आपको लैक्टोज इनटॉलरेंस हैं या पर्यावरण के प्रति सजग हैं, तो स्वभाविक है कि आपने मांस खाना छोड़ दिया होगा। तो क्या प्लांट बेस्ड मीट आपके लिए हेल्दी विकल्प हो सकता है! 
प्लांट बेस्ड मीट में कैलोरी कम होता है और यह कोलेस्ट्रॉल घटाता है।चित्र:शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 8 Jul 2022, 09:00 am IST
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दुनिया भर में वीगनिज़्म (Veganism) बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पर्यावरण प्रेमी पशुओं की सुरक्षा में मांसाहार से परहेज कर रहे हैं। इसी दिशा में अब लोग प्लांट बेस्ड मीट की तरफ भी रुख कर रहे हैं। ये उन लोगों के लिए भी एक हेल्दी ऑप्शन बन रहा है जो लेक्टोज इनटाॅलरेंस हैं। पर क्या वाकई प्लांट बेस्ड मीट (Plant based meat) पशुओं से प्राप्त मांसाहार जितना ही पौष्टिक हो सकता है? आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।   

लैक्टोज इनटॉलरेंस और पर्यावरण संरक्षण में अपना सहयोग बढ़ाने के लिए लोग इन दिनों पशुओं से प्राप्त आहार को लेना नहीं चाहते हैं। इसके बदले में वे पेड़-पौधों से प्राप्त आहार लेते हैं। ऐसे आहार, जिनके लिए निर्भरता सिर्फ पेड़-पौधों पर हो। सिर्फ पेड़-पौधों से प्राप्त आहार को वीगन डाइट (Vegan diet) भी कहा जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि वीगन डाइट एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और कई स्वास्थ्य समस्याएं भी नहीं होती हैं। 

इन दिनों वीगन डाइट को फॉलो करने वाले(Veganism) लोगों के बीच प्लांट बेस्ड मीट खूब लोकप्रिय हो रहे हैं। प्लांट बेस्ड मीट को एनिमल मीट के विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है। क्या है प्लांट बेस्ड मीट और क्या इससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं, यह जानने के लिए हमने  गुरुग्राम के पारस अस्पताल में चीफ डायटीशियन नेहा पठानिया से बात की

स्वाद और लुक में हैं बिल्कुल सामान्य मीट की तरह 

प्लांट का उपयोग करके प्लांट बेस्ड मीट का प्रोडक्शन किया जाता है। यह कोकोनट ऑयल, वेजिटेबल प्रोटीन एक्सट्रैक्ट और बीट जूस से तैयार होता है। यह सॉय, ह्वीट ग्लूटेन से तैयार किया जाता है। इससे मीट जैसा टेक्सचर देने में मदद मिलती है। इनके अलावा, मटर, मटर प्रोटीन, लेंटिल्स, बीन्स, पोटैटो स्टार्च, नट्स, सीड्स, मशरूम का भी प्रयोग किया जाता है। यदि आपको ग्लूटेन से एलर्जी है, तो प्लांट बेस्ड मीट का प्रयोग करने से पहले इनग्रीडिएंट्स लेवल की जांच कर लें। यह न सिर्फ वास्तविक मांस की तरह दिखता है, बल्कि स्वाद भी उसी के जैसा होता है। इसे मीट को ही ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। 

पारंपरिक मांस की तुलना में कैलोरी और सैचुरेटेड फैट कम होने तथा फाइबर होने के कारण प्लांट बेस्ड मीट को अधिक हेल्दी माना जाता है।

डिमांड में है प्लांट बेस्ड मीट

यदि आप वीगन मीट का प्रयोग करती हैं, तो यह माना जाएगा कि आप पशु क्रूरता को कम करने में सहयोग कर रही हैं। लोग शाकाहार की तरफ अधिक बढ़ रहे हैं। साथ ही ऐसे लोग, जिन्हें मिल्क या मिल्क प्रोडक्ट के प्रति एलर्जी है, उनके लिए प्लांट बेस्ड मीट एक बढ़िया विकल्प है। यही वजह है कि इसकी लोकप्रियता और मांग दिन ब दिन बढ़ रही है। 

वीगन मीट में व्यावहारिक रूप से हर मीट्रिक पर पर्यावरण को महत्वपूर्ण रूप से लाभान्वित करने की क्षमता है। इसमें पारंपरिक मीट की तुलना में लैंड यूज, वाटर यूज बहुत कम होता है। यह क्लाइमेट चेंज को रोकने में भी मदद करता है।

यहां हैं प्लांट बेस्ड मीट के कुछ फायदे 

प्लांट बेस्ड मीट के सेवन से न सिर्फ कॉलेस्ट्रॉल कम होता है, बल्कि फाइबर होने के कारण वजन घटाने में भी मददगार होता है। इनके अलावा, इसके सेवन से और भी कई फायदे मिलते हैं।

  1. यह हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करता है।
  2. शरीर की सूजन में कमी आती है।
  3. कैंसर के खतरे को कम करता है।
  4. यह आंत में उपस्थित माइक्रोबायोम के स्वास्थ्य को सुधार कर पाचन तंत्र में मजबूती लाता है।
  5.  वेट मैनेजमेंट करने वाली महिलाओं के लिए प्लांट बेस्ड मीट का सेवन फायदेमंद है।

प्लांट बेस्ड मीट में होती है कुछ न्यूट्रीएंट्स की कमी

नेहा पठानिया कहती हैं,  “प्लांट बेस्ड मीट के कम पौष्टिक होने की संभावना बनी रहती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड, प्रोटीन और अन्य तत्व जो पशुओं के मांस में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं, वे प्लांट बेस्ड मीट में मौजूद नहीं हो सकते।

यह अत्यधिक प्रोसेस्ड डाइट है। वास्तविक दिखाने और एनिमल मीट जैसा स्वाद पाने के लिए इसमें आर्टिफिशियल फ्लेवरिंग, कलरिंग और दूसरे एडिटिव्स का प्रयोग बहुत अधिक किया जाता है। इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।’ इसलिए रोज की बजाय सप्ताह में 1-2 दिन ही इसका सेवन करें।

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पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देने के कारण वीगन डाइट पॉपुलर हो रहे हैं।चित्र:शटरस्टॉक

यदि आप शाकाहारी हैं और हाई प्रोटीन डाइट लेना चाहती हैं, तो इसके अलावा, अनाज और दालें, अंडे, सोया और टोफू आदि भी ले सकती हैं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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