हम जिस भी खाने का सेवन करते हैं वो शुगर(ग्लूकोस) में बदल जाता है और इससे निकलने वाली ऊर्जा पूरे शरीर मे वितरित हो जाती है, जिससे इंसुलिन हार्मोन विभिन्न कार्य करते हैं। जस्ट डाइट क्लिनिक, दिल्ली, की कंसल्टेंट डायटीशियन और फाउंडर जसलीन कौर, के अनुसार एक डायबिटिक व्यक्ति का शरीर या तो सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या उसका सही मात्रा में उपयोग नहीं कर पाता।
जिसके परिणाम अनुसार, ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और कई तरह की हेल्थ कॉम्प्लिकेशन बढ़ सकती है, जैसे कि हार्ट डिजीज, किडनी प्रोब्लम, नर्व डैमेज, या मोटापा। यही कारण है कि डायबिटिक पेशेंट को रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और डायरेक्ट शुगर का सेवन करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है, जिससे उनके शरीर में ब्लड शुगर इम्बेलेंस की स्थिति न उत्पन्न हो।
चीनी का सेवन एक डायबिटिक व्यक्ति के लिए सही विकल्प नहीं है, लेकिन इसका स्वस्थ विकल्प गुड़ या जैगेरी भी एक सही उपाय है या नहीं इस पर आज तक बहस चल रही है।
सही निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए हम एक्सपर्ट से पूछते हैं कि वे क्या कहते हैं-
न्यूट्रीशनिस्ट और लाइफस्टाइल एडुकेटर, करिश्मा चावला, चेतावनी देती हैं कि, डायबिटीज के व्यक्ति को गलती से भी चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि गुड़ चीनी से बेहतर होता है और शरीर को भारी मात्रा में ग्लूकोस नही प्रदान करता। वे बताती हैं, चीनी के इतर गुड़ के कई और फायदे होते हैं। गुड़ आयरन, मैग्नेशियम और पोटासियम का बड़ा स्रोत होता है।
जवाब है ‘नहीं’
“डायबिटिक पेशेंट को गुड़ का सेवन एक छोटी मात्रा में ही करना होगा, क्योंकि गुड़ भी शरीर मे ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है।” कौर चेतावनी देते हुए सख्त हिदायत देती हैं कि अगर व्यक्ति को डायबिटीज़ है तो उसे गुड़ का सेवन बहुत कम या न के बराबर ही करना चाहिए।
सबसे पहले तो गुड़ का सेवन कम कर के एक दिन में एक या दो टी स्पून ही करना होगा। चावला के अनुसार, नेचुरल हर्ब्स जैसे कि अदरक, तुलसी, इलायची का इस्तेमाल फ़्लेवर के लिए करना चाहिए। वे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का सेवन करने से सख्त मना करती हैं, उनके अनुसार इससे और भी स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं।
कौर स्टेविया के सेवन पर कहती हैं कि केवल घर मे उगी हुई स्टेविया लीव्स का प्रयोग करें, न कि बज़ार में मिलने वाले स्टेविया स्वीटनर्स का।
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