प्रेगनेंसी में अधिकतर महिलाओं को फूड क्रेविंग होने लगती है। किसी का मन चावल खाने का करता है, तो कोई खट्टा खाना पसंद करता है, कई महिलाएं दिनभर कच्ची सब्जियां और फल खाती है, तो कोई आइसक्रीम खाने के लिए बेकरार रहता है। ऐसे वक्त में सबसे ज्यादा तादाद मीठा खाने की क्रेविंग (craving for sweets) से जूझ रही महिलाओं की होती है। आइसक्रीम शरीर में कैलोरीज़ को बढ़ाने का काम करती है। आइए जानते हैं आइसक्रीम से जुड़ी कुछ अहम बातें और इसके नुकसान भी (ice cream cravings in pregnancy) ।
फ्रंटियर इन के एक रिसर्च के मुताबिक बहुत सी महिलाओं को प्रेगनेंसी में अचार या फिर आइएक्रीम खाने का मन करता है। इसका मुख्य कारण हार्मोंस में आने वाला बदलाव माना जा रहा है। रिसर्च की मानें, तो यू एस में 50 से लेकर 90 फीसदी महिलाएं क्रेविंग का शिकार होने लगती है।कई बार ये क्रविंग पहले चरण के साथ खत्म हो जाती हैं। कुछ मामलों में ये दूसरे ट्रायमिस्टर में पीक पर रहती है।
इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फासफोरस और फाइबर पाया जाता है। इसके अलावा इसमें शुगर और कैलोरीज़ भी मौजूद होती है। घर पर दूध, फ्रोजन फ्रूटस और क्रीम की मदद से आप खुद भी आइसक्रीम तैयार कर सकती है। इसमें किसी प्रकार की मिलावट का कोई खतरा नहीं रहता है। इसके अलावा आप इसमें अपने हिसाब से शुगर एड कर सकते हैं।
आइसक्रीम खाना हर किसी को पसंद है। प्रेग्नेंसी में कई बार ये क्रेविंग अचानक से बढ़ जाती है। मीठा खाने की शौकीन महिलाएं फ्रूटस और फलेवर्स से भरपूर आइसक्रीम का भरपूर आनंद लेती है। बहुत बार ज्यादा आइसक्रीम खाने से गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज़, मोटापा और सर्दी खांसी का भी शिकार होना पड़ता है। इसके अलावा इसे बनाने में पूरी प्रोपर हाइजीन का ख्याल न रख पाने से महिलाओं को कई प्रकार के संक्रमणों के पनपने का खतरा भी बढ़ने लगता है। इसे खाने से पहले डॉक्टरी सलाह बेहद ज़रूरी है।
डॉ रितु का कहना है कि अक्सर गर्भवती महिलाओं को कर्ल्ड आइसक्रीम्स की जगह वनीला फ्लेवर खाने की सलाह दी जाती है। इसमें रंग डालने का खतरा सबसे कम होता है। दूध से तैयार होने वाली आइसक्रीम शरीर में कैल्शियम, विटामिन्स और मिनरल्स की कमी को पूरा करने का काम करती है। इसके अलावा इसमें कार्ब्स और प्रोटीन की भी मात्रा होती है। अगर आप कुछ हेल्दी विकल्प की तलाश कर रहे हैं, तो योगर्ट से तैयार लो फैट शुगर फ्री आइसक्रीम को खाने में प्रयोग करें
इस बारे में एमडी, डीएनबी, एफएनबी, जे के हास्पिटल, जनकपुरी, कंस्लटेंट, डॉ शिवानी सिंह कपूर का कहना है कि गर्भावस्था में 10 से 15 फीसदी महिलाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज़ का खतरा रहता है। ऐसे में कुछ भी मीठा खाने से बचना चाहिए। वहीं अगर आप डायबीटिक नहीं हैं, तो इससे शरीर में मिल्क कंसप्शन होता है। इससे प्रेगनेंसी में नेचुरल आइसक्रीम्स का सेवन फायदेमंद साबित होता है।
दरअसल, प्रिजर्वेटिव और आर्टिफिशल कलर्स से मुक्त होने के कारण ये महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होती है। वहीं जिन आइसक्रीम्स में स्वीटनर और कैफीन एडिड होती है, उन्हें खाने से भी परहेज़ करना चाहिए।
डॉ रितु का कहना है कि कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के वक्त डिहाइड्रेशन और वॉमिटिंग की समस्या रहती है। ऐसे में उन्हें आइसक्रीम खाने की सलाह दी जाती है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को खाने की चीजों में से स्मैल आने लगती है। इस कंडीशन में उन्हें फ्रूटस और आइसक्रीम जैसी रिफ्रेशिंग चीजें खाने के लिए कहा जाता है। ताकि उनके शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व भी प्राप्त होते रहें।
आइसक्रीम में शुगर कंटेट अधिक होने से गेस्टेशनल डायबिटीज़ का खतरा रहता है। अगर आपके माता पिता या भाई बहन डायबिटिक है, तो आपको इस बात का ख्याल रखना ज़रूरी है। साथ ही अगर आप पीसीओएस के ग्रस्त रह चुकी है, तो भी आपको शुगर होने की संभावना रहती है।
आइसक्रीम में शुगर कंटेट अधिक होता है। इसे खाने से शरीर में अनचाहा फैट और कैलोरीज बढ़ने लगती है। इससे वज़न तेज़ी से बढ़ने लगता है। अगर आप पहले से ही ओवरवेटे की समस्या से जूझ रही है, तो इसे सीमित मात्रा में ही खाएं। दरअसल, ओवरवेट होने से डिलीवरी के दौरान काम्प्लीकेशंस बढ़ सकती हैं।
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