डार्क चॉकलेट सालों से तरह-तरह के स्वादिष्ट बेवरिजेज, कुकीज, केक, इत्यादि को बनाने में प्रयोग होता आ रहा है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे चॉकलेट पसंद न हो। फिटनेस फ्रीक के बीच तो यह और भी ज्यादा लोकप्रिय है। एक डार्क चॉकलेट न केवल आपका मूड बूस्ट कर सकती है, बल्कि आपको पीरियड क्रैम्प्स में भी राहत दिला सकती है। पर क्या डायबिटीज रोगियों के लिए इसका सेवन सुरक्षित है? आइए जानते हैं इसे बेहद जटिल सवाल का जवाब।
डार्क चॉकलेट कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है। कोको बीन्स से बने डार्क चॉकलेट के एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी इसकी गुणवंता को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। डार्क चॉकलेट ब्लड प्रेशर, स्किन संबंधी समस्याओं से लेकर मेंटल हेल्थ बूस्ट करने तक में मददगार है।
डार्क चॉकलेट में 50 से 90% तक कोको सॉलिड, कोको बटर और शुगर होता है। वहीं मिल्क चॉकलेट में 10 से 50% तक कोको सॉलिड, कोको बटर, मिल्क और शुगर होता है। डार्क चॉकलेट में दूध का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
डार्क चॉकलेट आयरन, कॉपर, मैग्निशियम, जिंक और फास्फोरस का एक अच्छा स्रोत है। डार्क चॉकलेट में 70% से अधिक मात्रा में कोको पाया जाता है। कोको में मौजूद फ्लेवनॉल्स एक प्रकार का प्लांट केमिकल है, जो आपकी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। कोको फ्लेवनॉल्स की एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी इन्फ्लेमेटरी और फ्री रेडिकल प्रॉपर्टीज, डार्क चॉकलेट की गुणवत्ता को और ज्यादा बढ़ा देती हैं।
डायबिटीज के मरीजों को अक्सर मीठे की क्रेविंग होती हैं, ऐसे में अन्य मीठे पदार्थों की जगह डायबिटीज फ्रेंडली डार्क चॉकलेट खा सकती हैं। पब मेड द्वारा किये गए एक अध्ययन में देखा गया कि डार्क चॉकलेट में मौजूद कोको पॉलीफेनोल्स के एंटीऑक्सीडेंट इफेक्ट इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित रखते हैं। साथ ही डायबिटीज की संभावना को भी कम करने में मददगार होते हैं।
न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड अकैडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा के अनुसार कोको पॉलीफेनोल्स शरीर में वैसे हारमोंस पैदा करते हैं, जो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को कंट्रोल रखने में मदद करता है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है, की डार्क चॉकलेट में शुगर होता है, तो ऐसे में अधिक मात्रा में इसका सेवन हानिकारक हो सकता है।
डार्क चॉकलेट की प्रॉपर्टीज ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन को व्रत रखने में मदद करती है। पब मेड के रिसर्च के अनुसार डार्क चॉकलेट के कोको में मौजूद फ्लेवनॉल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते हैं, साथ ही ब्लड सरकुलेशन के लिए भी फायदेमंद होते हैं। डार्क चॉकलेट मैग्नीशियम का एक अच्छा स्त्रोत होता है, इसलिए ब्लड प्रेशर के मरीज इसका सेवन कर सकते हैं।
डार्क चॉकलेट में कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे कई पोषक तत्व मौजूद हैं, जो स्किन के लिए अत्यधिक फायदेमंद होते हैं। मैंगनीज कोलेजन नामक एक प्रोटीन प्रोड्यूस करता है, जो हमारे स्किन को यंग और हेल्दी रहने में मदद करता हैं। साथ ही पब मेड के रिसर्च के अनुसार डार्क चॉकलेट में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो स्किन को सूरज की हानिकारक किरण अल्ट्रावॉयलेट रेज से प्रोटेक्ट करता है। वहीं स्किन इन्फेक्शन और एलर्जी में भी कारगर हो सकता है।
डार्क चॉकलेट में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स हार्ट हेल्थ को संतुलित रखने में मदद करता हैं। फ्लेवोनॉयड नाइट्रिक ऑक्साइड प्रोड्यूस करता है, जो ब्लड वेसल्स को रिलैक्स रखने के साथ ब्लड के प्रेशर को नियंत्रित रखता है। वहीं कई रिसर्च में यह देखा गया है कि डार्क चॉकलेट में कार्डियोप्रोटेक्टिव इफेक्ट होता है। यदि आप किसी तरह के हृदय रोग से पीड़ित है, तो एक सीमित मात्रा में डार्क चॉकलेट का सेवन कर सकती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंडार्क चॉकलेट में मौजूद कोको बटर शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता हैं। कोको बटर में ओलिक एसिड पाया जाता है, जो मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स होते है, यही फैट ऑलिव ऑयल में भी पाया जाता है। जो हृदय के लिए फायदेमंद होते है। हालांकि, इस बात का भी ध्यान रहे कि कोको बटर में अधिक मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है। जिसका अधिक सेवन हार्ट के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
यदि आप डायबिटीज से ग्रसित हैं और आपको मीठे की क्रेविंगस होती हैं, तो आप सीमित मात्रा में डार्क चॉकलेट का सेवन कर सकती हैं। इस सीमित मात्रा का अर्थ है दिन भर में डार्क चॉकलेट के दो छोटे स्लाइस। इससे ज्यादा चॉकलेट खाना आपको नुकसान दे सकता है।
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