पैकेज्ड फ्रूट जूस चुन रही हैं तो जानें इनसे होने वाले ये 4 नुकसान

साबुत फल की बजाय अगर आप अपने ब्रेकफास्ट, स्नैक या लंच में पैकेज्ड फ्रूट जूस शामिल कर रही हैं तो इस अन्हेल्दी आदत को छोड़ना ही बेहतर रहेगा। 
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हानिकारक हो सकता है पैकेज्ड जूस। उसकी जगह ताजे फलों के रसका सेवन करें। चित्र: शटरस्‍टॉक
Updated On: 16 Jun 2022, 08:23 pm IST
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फलों को उनके शानदार स्वाद और सेहत से भरपूर गुणों के कारण हम सब अपनी डाइट में शामिल करने की कोशिश करते हैं। मेरी मां हमेशा ही फलों को साबुत खाने पर जोर डालती रही हैं पर हम फलों की बनी स्मूदी हो या जूस हर ऑप्शन ट्राई  करते हैं ताकि स्वाद का नयापन और फलों का पोषण दोनों बना रहे। रोजमर्रा के बिजी शेड्यूल के बीच फलों को काटना छीलना या उनका फ्रेश जूस निकाल कर पीना कई बार नहीं हो पाता ऐसे में हम पैकेज्ड फ्रूट जूस चुनते हैं पर क्या वाकई पैकेज्ड फ्रूट जूस आपके शरीर के लिए फायदेमंद हैं? 

मां का जूस को न कहना इसे लेकर मेरे मन में हमेशा ही संशय बनाए रखता फिर जब सवाल पैकेज्ड फ्रूट जूस का आया तो इसने मुझे भी सोच में डाल दिया और इसलिए इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए मैंने बात की एक्सपर्ट से जिन्होंने मां की ही तरह पैकेज्ड फ्रूट जूस न लेने की सलाह दी। 

नई दिल्ली के द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर के क्लिनिकल डायटीशियन विभाग की हेड डाइटिशीयन आशीष रानी के अनुसार हमेशा साबुत फल ही खाए जाने चाहिए और फल खाने का समय और स्थिति न होने पर जूस लिया जा सकता है यह भी ध्यान रखें कि जूस हमेशा फ्रेश फलों से बना हुआ हो। 

तो डियर लेडीज़ आइए जानें कि क्यों एक्सपर्ट पैकेज्ड फ्रूट जूस से बचने की सलाह देते रहै हैं।

 फल क्यों है महत्त्वपूर्ण

 आशीष रानी बताती हैं कि ज्यादातर लोग बेमिसाल स्वाद की वजह से अपने आहार में फल को शामिल करते हैं। एक व्यक्ति को रोजाना 200 से 300 ग्राम फ्रूट थोड़ा-थोड़ा करके लेना चाहिए। फल के ज्यादातर भाग में पानी और फाइबर होता है। इसके आलावा फल में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन के, विटामिन ई,  सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, क्लोरीन, जिंक, सेलिनियम जैसे मिनरल्स और फ्रक्टोज व ग्लूकोज जैसे नेचुरल शुगर समेत अन्य ज़रुरी न्यूट्रीएंट भी मौजूद होते हैं जो हमें फ्रेश और एनर्जेटिक रखने के साथ-साथ हमारी सेहत को बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं।

चलिए जानें कि साबुत फल किस तरह बेहतर हैं फ्रूट जूस या पैकेज्ड फ्रूट जूस से:

1 नहीं होता है फाइबर 

साबुत फल खाने से हमें भरपूर मात्रा में फाइबर मिलता है जो हमारे गट और डाइजेस्टिव हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके आलावा जब हम फलों से फाइबर लेते हैं तो फल में मौजूद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट व फाइटोन्यूट्रीएंट भी हमारी बॉडी तक पर्याप्त मात्रा में मिलता है। फल में मौजूद विटामिन्स, मिनरल्स और तमाम जरुरी न्यूट्रीएंट्स हमारे स्वास्थ को बेहतर बनाए रखने में सहायक होते हैं। वहीं पैकेज्ड फ्रूट जूस में फाइबर कॉन्टेंट जीरो होता है।

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फ्रूट जूस में फाइबर कॉन्टेंट नहीं होता है, चित्र :शटरस्टॉक

2 चीनी से भरा होता है गिलास भर फ्रूट जूस

डायटीशियन आशीष रानी बताती हैं कि ताजे फल का जूस पीने से हमें नेचुरल शुगर फल खाने की तुलना में अधिक मात्रा में मिलता है। दरअसल, जब हम फल खाते हैं तो एक बार में एक से तीन ही खा पाते हैं लेकिन जब हम जूस पीते हैं तो फलों की संख्या बढ़ जाती है यानी एक गिलास जूस में तीन से ज्यादा फल इस्तेमाल हो जाते हैं। 

जूस तैयार करने के लिए फल के अहम भाग फाइबर को पहले ही अलग कर दिया जाता है और उस जूस में नेचुरल शुगर की मात्रा भी बढ़ जाती है जो शरीर के लिए नुकसानदेह है। फलों में मौजूद फाइबर खाने से पेट भरा हुआ महसूस होता है और हमारे गट में  नेचुरल शुगर की मात्रा भी कम अवशोषित होती है। 

3 मिले होते हैं प्रिज़र्वेटिव 

डायटीशियन आशीष रानी बताती हैं कि बाजारों में मिलने वाले पैकेज्ड फ्रूट जूस (canned fruit juice or packaged fruit juice) में ताजे फल के जितना फ्रूट जूस भी नहीं होता है। नेचुरल शुगर के साथ ही मिठास बढ़ाने और प्रिज़र्वेटिव के तौर पर अधिक चीनी मिलाई जाती है। पैकेज्ड जूस में मिले हुए प्रीजर्वेटिव या एडिटीव सेहत के लिहाज से काफी नुकसानदायक होते हैं।

डायटीशियन रानी के अनुसार हमें ताजे और मौसमी फलों को ही खाना चाहिए। अगर किसी वजह से इन्हें नहीं खा नहीं पा रही हैं तो इनसे तैयार किए गए जूस ले सकती हैं। लेकिन याद रहे इसकी मात्रा अधिक न हो। जहां तक बात पैकेज्ड फ्रूट जूस की है तो इसे लेने से बिल्कुल परहेज करें क्योकि इसमें अधिक मात्रा में मिलाया गया शुगर और प्रीजर्वेटिव आपको कई बीमारियां दे सकता है।

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फ्रूट जूस को कहें अलविदा। चित्र:शटरस्टॉक

4 कम हो जाते हैं पोषक तत्त्व

ताजे फल से तैयार किए गए जूस में फाइबर अलग हो जाता है। सोशल मीडिया पर फूड दर्जी (food darzee) नाम से मशहूर फूड, लाइफस्टाइल और वेलनेस एक्सपर्ट डॉ सिद्धार्थ भार्गव बताते हैं कि जब ताजे फल को निचोड़कर, मशीन में डालकर या अन्य तरीके अपनाकर उसका जूस बनाया जाता है तो उस समय हम फल के अहम हिस्से फाइबर को अलग कर देते हैं। इसके आलावा फल में मौजूद खास न्यूट्रीएंट एंटीऑक्सीडेंट की प्रॉपर्टी भी काफी कम हो जाती है। दरअसल हवा के सीधे संपर्क में आने से या जिस मशीन में फल को जूस में बदलने के लिए डाला गया है उस मशीन की गर्मी से एंटीऑक्सीडेंट के काम करने की क्षमता न के बराबर हो जाती है।

जूस से हमें सिर्फ फ्रूट शुगर यानी फ्रक्टोज और कुछ विटामिन्स मिल पाते हैं। फलों में मौजूद फाइबर न मिलने से गट हेल्थ और डाइजेस्टिव सिस्टम को मिलने वाले इसके फायदे उन्हें नहीं मिल पाते ऐसे में खाने के लिए साबुत फल चुनना ही सही निर्णय रहेगा।

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