आह… चीनी ! दुनिया में मुझे कुछ भी इतना प्यारा नहीं है, जितना प्यार मुझे मीठे से है। और मैं सिर्फ चॉकलेट के बारे में ही बात नहीं कर रही हूं। मेरी मम्मी की रसोई में छुपे उस कंडेंस्ड मिल्क के जार से लेकर चाशनी में डूबे उन गुलाब जामुन तक- मैं नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने तक में कभी भी मीठा एड कर सकती हूं।
लेकिन चीनी का जो स्वाद मुझे खुश रखता है, वही मेरी सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। इसमें बिल्कुल हैरानी नहीं होगी, अगर मैं कहूं कि ज्यादा मीठे का सेवन वजन बढ़ाने से लेकर मधुमेह तक के जोखिम को बढ़ा देता है। मेरी चीनी की लत ने पीसीओडी के साथ ही मुझमें और भी कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है।
यही कारण है कि जब लॉकडाउन की घोषणा की गई, तो मैंने हर तरह से चीनी छोड़ने का फैसला किया, 40 दिनों के लिए। मुझे पता है – यह काफी मुश्किल होने वाला है, लेकिन मैंने बिस्कुट, डेसर्ट, चीनी और यहां तक कि चाय में भी चीनी छोड़ देने का फैसला किया। चॉकलेट के साथ ही मैंने हर वह खाद्य पदार्थ छोड़ने का निश्चय कर लिया, जिसमें एडेड शुगर होती है। पर इस दौरान मैंने खुद को फल और उन चीजों को खाने की अनुमति दी, जिनमें नेचुरली शुगर है।
मेरे रूटीन में चीनी इस कदर शामिल हो चुकी थी कि, जब मैंने इसे पहले दिन छोड़ने का निश्चय किया, तो मैं लगभग बेहोश ही हो गई। यह हालत तब भी जब मैंने नेचुरल शुगर से भरे आम और केले खाना नहीं छोड़ा था।
कहने की जरूरत नहीं कि पहला दिना वाकई असहनीय थे। मैं चॉकलेट और कंडेंस्ड मिल्क को ललचाई हुई नजरों से देख रही थी। मेरी मम्मी खासतौर से कंडेंस्ड मिल्क की पहरेदारी करती हैं, पर मुझे जैसे ही मौका मिलता है, मैं उसमें उंगली डुबो ही देती हूं। पर आज ऐसा नहीं था, मुझे खुद पर कंट्रोल करना था। इस क्रेविंग को कंट्रोल करने के लिए मैंने बादाम और शुगर फ्री गम के विकल्प पर गौर किया।
मैंने सिर्फ वजन घटाने के लिए चीनी नहीं छोड़ी थी। मैं खुद को और अधिक ऊर्जावान महसूस करना चाहती थी और अपने स्वास्थ्य तंत्र को बेहतर बनाना चाहती थी। बजाए इसके कि चॉकलेट के एक बार के लिए अपने पार्टनर से लड़ते रहो। पहले ही सप्ताह में मैंने जो बदलाव खुद में महसूस किए, वे मेरी आंख खोलने के लिए काफी थे। मैं सचमुच इन्हें देखकर हैरान हो रही थी। आपको बताती हूं कि असल में क्या हुआ :
ईमानदारी से कहूं तो मैं फूडी हूं। मुझे हाई कार्ब डाइट से इतना प्यार है कि मैं बता नहीं सकती। यानी जब मैं मीठा नहीं खा रही होती हूं, तो निश्चित ही मैं पिज्जा के बारे में सोच रही होती हूं। पर हैरानी की बात ये है कि चीनी छोड़ते ही मेरी जंक फूड की क्रेविंग भी अपने आप कम होने लगी।
मैंने थोड़ी सी खोजबीन की और पाया कि हाई शुगर डाइट आपको एक अलग तरह की क्रेविंग में फंसा देती है। इसका श्रेय जाता है उन हैप्पी हॉर्मोन्स यानी सेरोटोनिन, डोपामाइन, और एंडोर्फिन को जो इसमें रिलीज होते हैं। पर अगर आपने एक बार खाया तो आप दोबारा जरूर खाएंगे, यानी नो वन केन ईट जस्ट वन। इसलिए इस क्रेविंग से बाहर आना जरूरी है।
जब मैंने अपने रूटीन से चीनी को बाहर करने का फैसला किया तब मेरे शरीर ने प्राकृतिक तरीके से खुद को संतुष्ट रखने की आदत डाली और मैं इस भयंकर क्रेविंग से बाहर आ गई।
डेसर्ट और मीठे से भरे आहार मुख्य भोजन का हिस्सा कभी नहीं थे – मैं इन्हें हर बार मील्स के बीच में लिया करती थी। तो जब मैंने इन्हें लेना बंद किया, तो मैंने स्वभाविक रूप से कैलोरी में कमी की। जिससे मेरा वजन प्राकृतिक रूप से घटने लगा।
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कस्टमाइज़ करेंयहां तक कि चाय मेरे लिए अब भी हेल्दी थी और मैं उसे अपने समय पर ले रही थी। पर मैं अपनी चाय और कॉफी में चीनी नहीं मिला रही थी। और इनके साथ स्नेक्स के तौर पर रोस्टेड दालें और नट्स का सेवन कर रही थी।
मेरी 40 दिनों तक चीनी न खाने के कारण तकरीबन पांच किलो तक वजन कम किया। मैंने अपने भोजन या व्यायाम में और किसी चीज को नहीं बदला, सिवाए चीनी को छोड़ देने के।
हालांकि शुरूआत में चीनी छोड़ने के दौरान मेरी स्थिति थोड़ी खराब हो रही थी, पर अंत तक मैंने खुद को ज्यादा एनर्जेटिक महसूस किया। मुझे अब उतनी थकान नहीं होती थी। न ही मैं पहले की तरह सुस्त रह गई थी। असल में, मुझे नहीं लगता कि मैंने कभी खुद को इतना एनर्जेटिक महसूस किया होगा जितना अब कर रही हूं। बस एक चीनी छोड़ देने से मेरी लाइफ में इतने पॉजिटिव बदलाव हो रहे थे।
यह भी एक तथ्य है कि जब आप ज्यादा चीनी खाते हैं तो आप ज्यादा थकान महसूस करते हैं, तब और भी जब आ हर डाइट में चीनी भरपूर मात्रा में ले रहे हैं। इससे आप खुद को थका हुआ और नींद का अनुभव करते हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के 2011 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ग्लूकोज ओरेक्सिन को बाधित करता है। यह शरीर में एक न्यूरोपेप्टाइड है जो जागरूकता को बढ़ावा देता है।
लंबे समय से PCOS की शिकार होने के कारण मेरी स्किन अकसर डल ही लगती थी। जबकि इन 40 दिनों के दौरान मेरी त्वचा पर से मुंहासे कम हुए और वह पहले से ज्यादा ग्लोइंग दिखने लगी। वास्तव में, मेरी स्किन यंग और ग्लोइंग दिखने लगी, जिसके लिए अब तक न जाने मैंने कितने ही रुपये खर्च कर दिए थे।
आप सोच रहे हैं होंगे कि ऐसा कैसे हुआ, तो मैं आपको बता दूं कि चीनी कोलेजन और लचीलेपन को नुकसान पहुंचाती है। ये दोनों ही आपकी त्वचा को जरूरी पोषण देकर उसे देर तक जवां बनाए रखते हैं।
किसने सोचा होगा कि मेरी रात के खाने के बाद मिठाई खाने की आदत मेरी नींद की सबसे बड़ी दुश्मन रही होगी। ज्यादा चीनी का सवेन आंखों के आरईएम यानी रेपिड आई मूवमेंट पर असर डालता है। इसे आप गहरी नींद की अवस्था समझ सकते हैं, जब आप सपने देखते हैं। यही कारण है कि मुझे अकसर रात को भूख लगने लगती थी। पर चीनी छोड़ने के बाद मैंने बेहतर नींद ली।
40 दिनों तक चीनी छोड़ने के बाद मेरे शरीर में जो बदलाव आए, वे वाकई आश्चर्यजन थे। पर क्योंकि ज्यादातर भोजन में चीनी शामिल होती है, इसलिए हमेशा के लिए चीनी छोड़ देना व्यवहारिक नहीं है। शुगर फास्टिंग के दौरान मैंने केचप और चिप्स भी छोड़ दिए थे – जिनमें काफी ज्यादा मात्रा में शुगर होती है।
मेरे लिए एक और व्यावहारिक समाधान है, जिसे मैं फॉलो करने वाली हूं। वो यह कि मैं अपने चीनी के सेवन को कंट्रोल करूंगी। मुझे यह सुनिश्चित करना कि मैं अपने दैनिक आहार में ताजे फल के कम से कम दो सर्विंग्स शामिल करूं। चाय के साथ बिस्किट खाने के अपने शौक को मैं सिर्फ एक बिस्किट तक ले आई हूं। मैं अपनी कॉफी में भी बहुत कम चीनी एड करती हूं, और डेसर्ट को सिर्फ सप्ताह में एक बार ही खाने वाली हूं।
सच कहूं तो, मेरी लाइफ से चीनी को किक आउट करना आसान नहीं था, पर यह जरूरी था!