वजन घटाने के लिए मैंने एक महीने तक चावल और रोटी छोड़ दिए, जानिए क्या रहा परिणाम

चावल और गेंहू अपने दैनिक आहार से हटाने पर वजन तो कम हुआ मगर इसके साथ ही मुझे कुछ दुष्प्रभाव भी महसूस हुए।
चावल और रोटी छोड़ देने से वजन तो कम होता है पर उसके कुछ साइड इफैक्‍ट भी हैं। चि‍त्र : शटरस्‍टॉक
Updated On: 10 Dec 2020, 01:00 pm IST
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अपने छोटी सी फि‍टनेस प्रयोगशाला में मैं ही खोजी वैज्ञानिक हूं और मैं ही प्रयोग का सैंपल चूहा भी। खुद पर तरह-तरह के वेट लॉस प्रयोग मैं अक्सर ही करती रहती हूं। कीटो डाइट से लेकर GM डाइट, कार्बोहाइड्रेट रहित आहार से लेकर एटकिन्स डाइट प्लान- शायद ही ऐसा कोई प्रयोग बाकी होगा, जो मैंने खुदपर ट्राय न किया हो।

और इन प्रयोगों से मिलने वाले अच्छे-बुरे, सन्तोषजनक या असन्तुष्ट करने वाले सभी प्रकार के परिणामों के बावजूद मेरे प्रयोगों में कमी नहीं आयी और हर विफलता के बाद मैं उतनी ही ऊर्जा से अपना परफेक्ट डाइट प्लान खोजती हूं। इन प्रयोगों से इतने सालों में मैंने बहुत कुछ सीखा भी है, मगर उसपर चर्चा बाद में। पहले बात करते हैं मेरे लेटेस्ट डाइट एक्स पेरीमेंट पर।

मैंने एक महीने के लिए चावल और रोटी दोनों छोड़ दिए

सुबह के नाश्ते में गरमा गरम परांठे और खाने में दाल-चावल पसन्द करने वाले मेरे जैसे व्यक्ति के लिए चावल और गेंहू के उत्पाद छोड़ना किसी तपस्या से कम नहीं था। लेकिन क्वारंटीन के दौरान बढ़े वज़न ने मुझे यह निर्णय लेने पर मजबूर कर दिया। मैंने यह सोचते हुए यह कदम उठाया कि पहले इस बढ़े हुए अत्यधिक वज़न से छुटकारा पा लूं, फिर वापस पुराने फिटनेस रूटीन पर लौट आऊंगी।

चावल छोड़ने से वजन सच में कम हुआ पर मेरी एनर्जी भी डाउन हुई। चित्र : शटरस्‍टॉक

तो जो मेरे जैसा कोई भी आम जानकारी-रहित फ़िटनेस लवर करता, वही मैंने भी किया। अपने आहार के मुख्य कार्बोहाइड्रेट स्रोत गेंहू और चावल पर धावा बोल दिया। इस उम्मीद के साथ कि उर्जा के प्रमुख स्रोत कार्बोहाइड्रेट को छोड़ने पर वज़न तेजी से घट जाएगा।

क्या हुआ इस एक्सपेरीमेंट का रिजल्ट?

यह प्रयोग पूरी तरह से फ़ेल हुआ यह कहना झूठ होगा, क्योंकि वज़न तो घटा मगर वजन के साथ साथ मेरी एनर्जी और फोकस भी कम हुआ।
हालांकि मुझे एक हल्कापन भी इस दौरान महसूस हुआ, जो शायद गेंहू में मौजूद ग्लूटेन (मुश्किल से पचने वाला एक प्रोटीन) मेरे आहार में न पहुंचने के कारण था।

मेरे प्रयोग की असफलता पर विशेषज्ञ की राय

फिटनेस एक्सपर्ट और नूट्रिशनिस्ट दीक्षा छाबड़ा कहती हैं, “शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाला मुख्य स्रोत है कार्बोहाइड्रेट, जो शरीर के प्रमुख कार्यों के लिए अतिआवश्यक है।” दीक्षा फिटनेस कंसल्टेशन की फाउंडर दीक्षा फ़िटनेस और वेट लॉस के बीच सामंजस्य बैठाने की बात कहती हैं।

बक़ौल दीक्षा, “जब हम कार्बोहाइड्रेट का पर्याप्त मात्रा में सेवन करते हैं, तो शरीर उससे ऊर्जा लेता है और जमा फैट बर्न नहीं होता। ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का अर्थ है जरूरत से ज्यादा एनर्जी, जो प्रयोग ना होने पर शरीर में फैट के रूप में जमा होने लगती है। परन्तु जब व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट खाना कम या बंद करता है तो ऊर्जा पूर्ति के लिए शरीर प्रोटीन साइट्स को निशाना बनाता है।”

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एक थकान भरे दिन में एनर्जी के लिए आप किस पर भरोसा करती हैं?

इससे एक बात साफ़ होती है, कार्बोहाइड्रेट त्याग देने से फैट बर्न होने के बजाए शरीर में मसल लॉस होने लगता है। जिससे वजन कम तो होता है, लेकिन थकान बढ़ती है और शरीर पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। यही कारण है कि इस डाइट को फॉलो करते वक्त मुझे असहजता हो रही थी।

लो कार्ब डाइट तेजी से वजन घटाती है, पर इससे शरीर की एनर्जी भी डाउन होती है।चित्र: शटरस्‍टॉक

साथ ही, कई रिपोर्ट्स में पाया गया है कि मस्तिष्क को ठीक तरह से काम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट की ज़रूरत होती है।

क्या है सही उपाय?

जैसा कि मैंने पहले ही कहा था कि इस प्रयोग से मैंने क्या सीखा वह मैं आपसे साझा करूंगी। इस प्रकार की प्रयोगशील डाइट प्लान से होने वाला वेट लॉस टिकाऊ नहीं होता।

अंततः वेट घटाने का सबसे कारगर और सही तरीका है जीवनशैली में बदलाव। जैसे नियमित व्यायाम करना, पूरी नींद लेना, एक्टिव रहना और सम्पूर्ण आहार लेना।

दीक्षा छाबड़ा कहती हैं, “चावल और गेंहू का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, जबतक आप उससे एलर्जिक न हों। शरीर की ज़रूरत अनुसार कार्बोहाइड्रेट लेना चाहिए और उसके साथ प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर को भी उचित मात्रा में लिया जाना चाहिए। बैलेंस डाइट का कोई विकल्प नहीं है। इसलिए गेहूँ चावल जैसे अन्न को उचित मात्रा में अपने आहार में शामिल करना चाहिए।”

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