कन्तोला या कड़वे करेले (Spiny Gourd) को कभी खाया है? भारत के कुछ जगहों पर इसे ककोरा या चठेल भी कहते हैं। जंगली करेला इसे ही कहा जाता है। इसका छिलका रूखड़ा होता है, लेकिन स्वाद लाजवाब होता है। कम तेल में भुना कन्तोला मुंह में कुरकुरा स्वाद दे जाता है। करेले परिवार का सदस्य होने के बावजूद यह कड़वा नहीं होता है। मानसून में इसकी अधिकता होती है। लेकिन यह हर मौसम में उपलब्ध होती है। स्वास्थ्य के लिए इसके फायदे बहुत अधिक (spiny gourd aka kantola health benefits) हैं।
इसके बावजूद यह सब्जी उतनी लोकप्रिय नहीं है, जितनी होनी चाहिए। इसके स्वाद और स्वास्थ्य के महत्व को देखते हुए एशियाई देशों में इस पर खूब रिसर्च हो रहे हैं।
जर्नल ऑफ ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स में प्रकाशित शोध के अनुसार, कांटेदार करेला या कन्तोला पर थाईलैंड के आनुवंशिक विविधता पादप विज्ञान और कृषि संसाधन विभाग में रिसर्च किया गया। शोध के अनुसार कांटेदार करेला या कन्तोला (Momordica dioica) एशिया में उगाई जाती है। पर इसका उपयोग कम होता है।
इसे बेबी कटहल (Jackgruit), जीएसी फ्रूट, मीठी लौकी, कोचिनचिन लौकी भी कहा जाता है। पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में भोजन और पारंपरिक दवा के रूप में इसका लंबे समय से उपयोग किया जाता रहा है। इसके छिलके में फाइटोकेमिकल्स बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध होते हैं। विशेष रूप से-लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन जैसे फाइटोकेमिकल्स। बीटा कैरोटीन आंखों के स्वास्थ्य के अलावा कई कैंसर और हृदय रोग से बचाव करता है। वहीं लाइकोपीन सेल डैमेज को रोकता है। इससे प्रोस्टेट कैंसर से भी बचाव हो पाता है।
कुछ लोगों को इसके बीज का स्वाद अधिक बढ़िया लगता है। बीज की झिल्ली में भी बायोएक्सेसिबल कैरोटीनॉयड (लाइकोपीन और बीटाकैरोटीन) मौजूद होता है। ये फाइटोकेमिकल्स प्रोस्टेट कैंसर, पेट के कैंसर और सेरेब्रल थ्रॉम्बोसिस जैसी कई बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं। इनके अलावा, कन्तोला का तेल वियतनाम की महिलाओं और बच्चों द्वारा सबसे अधिक सेवन किया जाता है। यह न सिर्फ शरीर की चर्बी को कम कर सकती है, बल्कि बच्चों के लिए जरूरी पोषक तत्व भी।
ढाका की यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सत्यनारायण तालुकदार ने कन्तोला के पोषक तत्वों पर शोध किया। इसके अनुसार, इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, जिंक, आयरन, सोडियम, फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें एसेंशियल विटामिन जैसे कि एस्कॉर्बिक एसिड, कैरोटीन, थियामिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन भी कम मात्रा में मौजूद होते हैं।
यह एंटी एंटीऑक्सिडेंट और फ्लेवोनोइड्स का एक समृद्ध स्रोत है। इसमें एंटीलिपिड पेरोक्सीडेटिव गुण होते हैं। यह फैट ऑक्सीडेशन को रोकते हैं। इससे फैटी लिवर के कारण होने वाले रोगों का जोखिम कम हो पाता है।
ठंड के मौसम में कोल्ड, कफ होना आम बात है। किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से बचने के लिए डाइट में शामिल करें कन्तोला। यह एंटी एलर्जिक, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लामेट्री होता है। यह मौसमी इन्फेक्शन से बचाव करने में मदद कर सकता है।
बीटा केरोटीन, लयूटिन, जेंथीन फ्री रेडिकल्स को खत्म करते हैं। । यह एंटी एजिंग का काम करता है। लो कैलोरी होने के कारण इसे वेट लॉस डाइट में शामिल किया जा सकता है। इससे स्किन स्वस्थ होती है। यदि आपको किसी प्रकार की स्किन प्रॉब्लम है, तो अपनी डाइट में शामिल करें कन्तोला के बीज।
कन्तोला को पैन में कम तेल, नमक, हल्दी और गोल मिर्च पाउडर के साथ भूनकर सब्जी रूप में खा सकती हैं।
स्किन प्रॉब्लम को दूर करने के लिए कन्तोला के बीजों को भूनकर खा सकती हैं।
कन्तोला को उबाल लें। इसे ब्लेंड कर लें। नींबू, काला नमक, काली मिर्च पाउडर और हाफ टी स्पून के साथ कन्तोला सूप का मजा ले सकती हैं।
कन्तोला को स्वाभाविक रूप से पकने दें। लाल होने पर इसे काटकर फल रूप में खाएं। पाचन तंत्र के लिए बढ़िया होगा।
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