बैसाखी (baisakhi) के साथ अगर आपको भी पंजाबी स्वाद (Punjabi food) की याद आ जाती है, तो आज हमारे पास आपके लिए एक रेसिपी है। असल में उल्लास और उत्साह से भरे इस त्यौहार को नाच गाने और तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ मनाया जाता है। खेती से जुड़े इस पर्व में नवान्न को सेलिब्रेट करने की परंपरा है। इसलिए इस अवसर पर नए अनाज की रोटी के साथ नई उड़द दाल की वड़ियां या बड़ियां (Urad dal vadi) भी बनाई जाती हैं। उड़द दाल से बनने वाली ये मसालेदार बड़ियां दुनिया भर में अमृतसर बड़ियों के नाम से मशहूर हैं। तो चलिए आज बनाते हैं अमृतसरी वड़ियां और आलू-बड़ियों की सब्जी।
बैसाखी मुख्य रूप से कृषि पर्व (farming festival) है। खेती से जुड़े इस पर्व को खासकर हरियाणा और पंजाब में खूब धूमधाम से मनाते हैं। रवि की फसल तैयार होने की खुशी में यह त्यौहार उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। बैसाखी (baisakhi) के दिन सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने आनंदपुर साहिब में वर्ष 1699 में मुगलों के अत्याचार से मुकाबला करने के लिए खालसा पंथ की नींव रखी थी। गुरु गोविंद सिंह को उनके साहस और वीरता के लिए जाना जाता है। इन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की मांग की थी। हिंदू धर्म में भी बैसाखी का एक अलग महत्व है। बैसाखी के दिन गंगा मां की आराधना में गंगा स्नान और गंगा पूजा की जाती है।
स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर उड़द दाल आपकी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकती है। छिलके वाली उड़द दाल को काली दाल के नाम से भी जाना जाता है। प्रोटीन, फैट, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, पोटेशियम और कैल्शियम से युक्त उड़द दाल शरीर को जरूरी पोषण (nutrition) प्रदान करती हैं। साथ ही यह आपकी शारीरिक शक्ति को भी बढ़ाती है।
उड़द की दाल (urad dal) औषधीय गुणों से भरपूर होती है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई तरह की दवाओं को बनाने में किया जाता है। उड़द की दाल गर्भवती महिलाओं की सेहत के लिए अधिक फायदेमंद होती हैं। गर्भावस्था में उड़द की दाल का सेवन स्वास्थ्य जोखिम को कम करता है। साथ ही बच्चे और मां दोनों के शरीर को जरूरी पोषण देता है।
फाइबर से भरपूर उड़द की दाल (urad dal) डाइजेशन की समस्या जैसे कब्ज, अपच, डायरिया, पेट में ऐंठन और सूजन की परेशानियों से छुटकारा दिलाने में कारगर होती है। यह बवासीर की समस्या से राहत दिलाने के साथ लीवर को मजबूत रखने का काम करती है। इसमें मौजूदा पोटैशियम, मैग्नीशियम और फाइबर हार्ट के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसके सेवन से आपका हार्ट हेल्दी और आप पूरी तरह फिट रह सकती हैं।
उड़द की दाल (urad dal) कोलेस्ट्रॉल लेवल को बनाए रखती है। जो आपके कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को हेल्दी रखता है। वहीं इसमें मौजूदा पोटैशियम ब्लड सरकुलेशन को नियंत्रित रखने का काम करता है। उड़द आयरन का एक अच्छा स्रोत है। जो ऊर्जा शक्ति को बढ़ाकर आपको एक्टिव रहने में मदद करता है। यदि आपके शरीर मे आयरन की कमी है, तो ऐसे में उड़द की दाल का सेवन बहुत फायदेमंद रहेगा।
मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्शियम और मिनरल्स (nutrition) से भरपूर उड़द की दाल आपकी हड्डियों को मजबूत रखती है। उड़द में मौजूद विटामिन शरीर में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करते हैं। यह जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द मैं भी कारगर होता है। उड़द फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने का काम करता है। जिसके कारण आपकी डायबिटीज कंट्रोल रहती है।
उड़द की दाल से बने इन स्वादिष्ट व्यंजनों को बैसाखी के पकवान में शामिल कर सकती हैं। आइए जानते हैं इन व्यंजनों को बनाने की रेसिपी (tasty recipe) –
पानी में भिगोई हुई उड़द की दाल (आवश्यकता अनुसार)
साबुत धनिया (दाल की मात्रा अनुसार)
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कस्टमाइज़ करेंसौंफ साबुत
खड़े लाल मिर्च
दरदरा काली मिर्च का पाउडर
हींग (आवश्यकता अनुसार)
सबसे पहले मात्रा अनुसार उड़द की दाल को चार से पांच घंटे तक पानी में भिगो कर रख दें।
धनिया, सौंफ और काली मिर्च का दरदरा पाउडर तैयार करें।
जब उड़द की दाल अच्छी तरह फूल जाए, तो उसे पानी से निकाल दें।
अब मिक्सर में बिना पानी डाले उसे पीस लें। ध्यान रहे दाल ज्यादा पतली न हो, दरदरा और गाढ़ा पेस्ट तैयार करना है।
अब किसी बड़े बाउल में पिसी हुई दाल को निकालें, और सभी मसालों को स्वादानुसार उसमें डाल दें। नमक डालना न भूलें। अब इसे हाथों से फैटना है, ताकि सभी मसाले पेस्ट में अच्छी तरह से मिल जाएं।
हथेलियों में तेल लगा कर अपने मन पसंदीदा आकार की बडि़या तैयार करें। अब तैयार की गई बडि़यो को थोड़ी देर सेट होने के लिए रख दें।
कड़ाही में मध्यम आंच पर घी या तेल गरम कर लें। अब उनमें अपनी बनी बड़ियों को डालकर हल्का लाल होने तक तलती रहें।
अब इन्हें टिशू पेपर पर निकालें ताकि इनका एक्स्ट्रा तेल बाहर आ जाए। आपकी बड़ियां तैयार हैं इन्हें गरम गरम खाने का अपना ही मजा होता है। साथ ही इसे सब्जी में डालकर बना सकती हैं। यह आपकी सब्जी का स्वाद दोगुना कर देगा।
अगर आप इसे पारंपरिक तरीके से बनाना चाहती हैं, तो इस बड़ियों को तले नहीं, इन्हें धूप में सुखाएं। कुछ दिन की धूप के बाद ये अच्छी तरह सूख जाएंगी और इनमें फंगस लगने का डर नहीं रहेगा। अमूमन बरसात के मौसम में ये स्टोर फूड की तरह काम आती हैं।
आलू (आवश्यकतानुसार)
उड़द दाल की बनी बड़ी
टमाटर, हरी मिर्च, हरा धनिया और अदरक
जीरा, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, लाल मिर्च, पाउडर, गरम मसाला, काली मिर्च
तेल या घी
हींग, नमक (स्वादानुसार)
टमाटर हरी मिर्च और अदरक को मिक्सी में बारीक पीस लीजिए।
उड़द दाल की बड़ियों को पहले से तैयार कर के रख लें।
कड़ाही में सब्जी की मात्रानुसार तेल या घी डालकर मीडियम आंच पर गर्म होने दें।
गर्म होने पर टमाटर, अदरक के पेस्ट को मीडियम आज पर हल्का सुनहरा होने तक भूनें।
अब कुकर में तेल डाल कर हींग और जीरे का तड़का लगाएं।
फिर इसमें हल्दी, धनिया और लाल मिर्च पाउडर डालकर 2 से 3 मिनट अच्छी तरह भूनें।
इसमें भुना हुआ टमाटर अदरक का पेस्ट डालकर अच्छी तरह पकाएं।
2 से 3 मिनट बाद इसमें कटे आलू और तैयार की गई बड़ियों को डाल कर कुछ देर भूनें।
अगर आपने बड़ियां धूप में सुखाकर तैयार की हैं, तो इन्हें कुछ देर के लिए पानी में भीगने रख दें। इससे यह नर्म हो जाएंगी।
बड़ी और आलू के भुन जाने के बाद स्वाद अनुसार नमक, गरम मसाला डालें। अगर आपको गाढ़ी सब्जी चाहिए तो कम और अगर आप इसकी रसेदार सब्जी बनाना चाहती हैं, तो थोड़ा ज्यादा पानी डालें।
अब इन्हें ढककर अच्छी तरह पकने दें।
पकने के बाद हरी धनिया की पत्तियों से गार्निशिंग कर सकती हैं। आपकी टेस्टी और हेल्दी सब्जी बनकर तैयार है।
बैसाखी (baisakhi) के इस पर्व में स्वादिष्ट व्यंजनों में इस सब्जी को शामिल करने से स्वाद और सेहत दोनों ही बनी रहेगी।
नोट : ये सब्जी मसालेदार होती है, इसलिए खाने के साथ दही या लस्सी परोसना न भूलें।
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