घर पहुंचते ही सबसे पहले रसोई में जाना और पानी से प्यास बुझाना अधिकतर लोगों के डेली रूटीन में शामिल है। शायद हमने कभी इस बात की तरफ ध्यान नहीं दिया कि पानी पीते (Drinking water) वक्त हम खड़े हैं या बैठे हैं। इसके अलावा पानी ठंडा है या गरम ये भी नहीं सोचते। हैरान करने वाली बात ये है कि पानी पीने का एक तरीका होता है। अगर आप उसे फॉलो करते हैं, तो बहुत सी समस्याओं से दूर रह सकते हैं। ठीक इसी तरह से दूध को पीने का भी एक रूल (Rule of drinking water) है। आइए जानते हैं इस लेख में कि पानी और दूध को पीते वक्त किन खास बातों का रखें ख्याल और जानें, इन्हें पीने का सही तरीका (How should drink water and milk sitting or standing) ।
अक्सर मम्मी हमें इस बात के लिए कई बार टोकती भी हैं कि पानी धीरे धीरे पिया करो, बाहर से एक दम आते ही ठंडा पानी पीने से परहेज करो। पानी बैठकर नहीं पीना चाहिए, वगैरह वगैरह। हम में से ज्यादातर लोग इन सभी हिदायतों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि अगर हम पानी खड़े होकर और दूध बैठकर पीते हैं, तो किन बीमारियों से घिर सकते हैं।
वेलआर्डी के मुताबिक खड़े होकर पानी पीना हमें सामान्य लगता है। अगर आप भी इसी तरह पानी पीते हैं, तो ये आगे चलकर गठिया यानि अर्थराइटिस का कारण बन सकता है। दरअसल, खड़े होकर पानी पीने से बॉडी के अंदर फलूडस का बैलेंस बिगड़ सकता है। साथ ही जोड़ों में तरल पदार्थ अधिक मात्रा में जमा होने लगता है। जो आगे चलकर बीमारी का कारण साबित हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक खड़े होकर पानी पीने से वो पेट के अंदर फैलने लगता है। इससे आगे चलकर पाचन संस्थान बिगड़ सकता है और इसका प्रभाव गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक पर पड़ता है। इसके अलावा स्टैडिंग पोज़िशन में पानी पीने से प्यास अधूरी रह जाती है।
वेलआर्डी के मुताबिक, अगर आप बैठकर पानी पीते हैं तो आपके मसल्स और नर्वस सिस्टम को बहुत आराम प्राप्त होता है। जो नर्वस को तरल पदार्थ और अन्य खाद्य पदार्थों को जल्दी पचाने के लिए ट्रिगर करता है।
जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं तो पानी शरीर के अन्नप्रणाली के निचले हिस्से पर प्रभाव पड़ता है। इससे पेट और अन्नप्रणाली के बीच का जोड़ स्फिंक्टर प्रभावित होता है। इससे पेट में जलन का अनुभव होता है।
किडनी शरीर में पानी की क्लीनिंग के लिए काम आती है। खड़े होकर पानी पीने से किडनी की सफाई नहीं हो पाती है और डस्ट पार्टिकल्स किडनी में जमा होने लगती है। इससे पानी पूरी तरह से प्यूरीफाई नहीं हो पाता है और गंदगी किडनी में जमा होने लगती है। इससे युरिन पास करते वक्त जलन और दर्द महसूस होने लगती है।
आयुर्वेद के हिसाब से दूध खड़े होकर पीना चाहिए। इससे दूध आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है। दरअसल, दूध खड़े होकर पीने से उसका प्रभाव पाचन तंत्र पर नज़र आने लगता है। दूध हमारे शरीर में आयुर्वेद के मुख्य स्तंभ वात्त पित्त और दोष को नियंत्रित करने का काम करता है। अगर आप खड़े होकर गुनगुना दूध पीते हैं, तो शरीर पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
फार्माइज़ी के मुताबिक दूध में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इससे हड्डियां और दांतों को मजबूती मिलती है।
इसके अलावा दूध पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस की शुरुआत को भी रोक देगा।
इसमें पोटेशियम होता है जो आपके दिल के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
इसमें मौजूद विटामिन डी अननेचुरल सैल ग्रोथ को नियंत्रित करता है, जो कैंसर के खतरे को कम करने का काम करता है।
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