स्तनपान के दौरान घर में मां के अलावा दादी, नानी और दोस्तों समेत सभी महिलाएं खान पान को लेकर कुछ न कुछ राय अवश्य देती है। वे खाद्य पदार्थ जिनसे दूरी बनाए रखने है। उसकी एक लंबी चौड़ी लिस्ट हाथ में थमा दी जाती है। ऐसे में दिमाग गोल गोल चक्कर काटने लगता है। वो एक ऐसा वक्त होता है, जब न्यू मॉम को कई प्रकार के फूड्स खाने की क्रेविंग होने लगती है। ऐसी कंडीशन में कोई भी चीज़ ज़रूरत से अधिक खाना हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। जानते हैं वो कौन से फूड हैं, जिन्हें ब्रेस्ट फीडिंग में खाने से बचना चाहिए (Foods to avoid while breastfeeding)।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक डेली मील में कॉफी, सोडा, चॉकलेट और चाय को अत्यधिक मात्रा में लेने से बचें। इससे बच्चे को डायरिया की समस्या होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा बच्चे की नींद भी प्रभावित होती है। आप इन चीजों का सेवन एक नियमित मात्रा में करें। दिनभर में बार बार कैफीन इनटेक से न्यू मॉम के शरीर के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। एनसीबीआई की एक रिसर्च के मुताबिक कैफीन की मात्रा अधिक लेने के चलते अधिकतर 3 से लेकर 6 मीने तक के बच्चों को सोने में दिक्कते आती है। वे भरपूर नींद नहीं ले जाते हैं।
सेंटर फॉर डिजीज़ कंटोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक ब्रेस्टफीड के दौरान अल्कोहल लेने से बचें। अगर आप शराब का सेवन कर रही हैं, तो ब्रेस्ट फीड के लिए दो घंटे का फासला बनाकर चलें। इससे बच्चे के शरीर पर इसके प्रभाव को कमब किया जा सकता है। अगर आप रोज़ाना अल्कोहल ले रही हैं, तो इसका बच्चे के स्वास्थ्य पर कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार अत्यधिक मात्रा में अल्कोहल कंज्यूम करने से ब्रेस्ट मिल्क 20 फीसदी बनना कम हो जाता है। इसके अलावा इसका प्रभाव आपकी नींद की गुणवत्ता पर भी देखने को मिलता है।
अगर आप ज्यादा लाल या काली मिर्च का सेवन करती है, तो इसका असर बच्चे के स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। इससे बच्चे के पेट में दर्द, लूज मोशन और एसिडिटी होने का खतरा रहता है। वे न्यू मॉम्स जिन्हें कुछ चटपटा खाने की क्रेविंग होती है, वे सीमति मात्रा में मिर्च और मसालों का सेवन कर सकती है। रोज़ाना इस तरह का खाना नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकता है, जिससे बच्चा हर वक्त क्रैंकी यानि रोता रहता है। मिर्च की फ्लेवर दूध में मिलने से बच्चा खुद को असहज महसूस करने लगता है। इससे उसकी पाचन क्रिया मंद होने लगती है।
नींबू, संतरा, पाइन एप्प्ल, कीवी और किन्नू विटामिन सी रिच फल होते हैं। इसका सेवन जहां मां के लिए फायदेमंद हो सकता है, तो वहीं शिशु के लिए अनहेल्दी हो सकता है। बच्चों को लूज़ मोशन्स होने का डर रहता है। इससे डाइपर रैश भी बढ़ने लगते हैं। ऐसे में नई माताओं को सेब, पपीता और नाशपती जैसे फलों का सेवन करना चाहिए। इससे बच्चे का पेट हेल्दी रहता है।
आर्टिफिशियल स्वीटनर्स हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से अनहेल्दी होने लगता है। इसके सेवन से न केवल वेटगेन की समस्या बढ़ती है बल्कि कई बच्चों के लिए एलर्जी का कारण भी बनने लगते हैं। केक, पेस्टरी, डोनट्स और तरल पेय पदार्थ बल्ड में शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है। अगर आपको कुछ भी मीठा खाने की क्रेविगं होती है, तो सीमित मात्रा में कुछ भी मीठा खाएं। इसके अलावा आप होममेड स्वीट रेसिपीज़ कसे अपनी डाइट में शामिल करें।
बहुत से फूड्स ऐसे भी होते है, जिससे शरीर में एसिडिटी का खतरा रहता है। ऐसे में राजमा, काले चने, गोभी, आलू और पीनट्स के सेवन से बचें। दरअसल, मूंगफली का सेवन करने से बहुत से बच्चों को एसिडिटी के अलावा एलर्जी का खतरा भी रहता है। ऐसे में ब्रेसट फीड मॉम्स को अपने डाइट में से इस तरह की दालों और सब्जियों को दूर कर देना चाहिए।
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