ग्लूटेन फ्री डाइट (Gluten Free Diet) एक ऐसी डाइट है जिसमें ग्लूटेन नामक प्रोटीन वाले खाने से परहेज किया जाता है,जैसे-गेहूं, बियर आदि। यह उन लोगों के लिए है जो सीलियक डिजीज या ग्लूटेन सेंसेटिविटी पीड़ित हैं, ये मूल रूप से पश्चिम देशों में ज्यादा है। लेकिन अब उनके जैसी लाइफ स्टाइल और खान पान बढ़ने के कारण भारत में भी इसका असर है। पबमेड सेंट्रल में 2021 में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार सीलियक रोग (CD) को लंबे समय तक एशिया में असामान्य माना जाता रहा है। हालाँकि, कई अध्ययनों ने पाया कि भारत और मध्य पूर्व के देशों में, CD पश्चिमी देशों के समान है और यह और बढ़ सकता है।
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में चीफ डायटिशियन, प्रिया पालीवाल, बताती हैं कि “ग्लूटेन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और स्पेल्ट में पाया जाता है। इसका नाम लैटिन शब्द “ग्लू” से आया है। जब इसे पानी के साथ मिलाया जाता है, तो यह आटे को चिपचिपा बनाता है।
यह गोंद जैसी विशेषता ग्लूटेन को एक चिपचिपा नेटवर्क बनाने में मदद करती है, जिससे रोटी बेक होने पर उठती है। यह रोटी को चबाने लायक और एक बनावट देने मे मददगार है।
डाॅ प्रिया आगे कहती हैं,ग्लूटेन से एलर्जी तब होती है जब आपका शरीर ग्लूटेन प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है, जिससे गंभीर एनाफिलेक्टिक रिएक्शन हो सकता है। सही निदान के लिए गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं में एक्सपर्ट से मिलना जरूरी है। उससे पहले कुछ लक्षणों पर ध्यान दें, जैसे-
यदि इनमें से कोई लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से सलाह लें और आवश्यक टेस्ट्स करवाएं।
ग्लूटेन-फ्री डाइट के कई लाभ हैं, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो ग्लूटेन से संबंधित विकारों से ग्रस्त हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
कई लोग ग्लूटेन के बिना बेहतर डाइजेशन का अनुभव करते हैं, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या कम होती है।
कुछ व्यक्तियों का कहना है कि गग्लूटेन को डाइट से हटाने से उनकी एनर्जी में सुधार होता है और थकान कम होती है।
सेलिएक रोग वाले लोगों में, ग्लूटेन-फ्री डाइट आंतों को ठीक करने में मदद कर सकता है, जिससे न्यूट्रीशन बेहतर एब्जार्र्ब होता है।
कुछ लोग पाते हैं कि ग्लूटेन-फ्री डाइट उन्हें स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने में मदद करता है, जिससे वजन कम और कंट्रोल होता है। यह भी देखेंवेट लॉस की योजना बना रही हैं, तो ग्लूटेन को करें अपने आहार से दूर करें, हम बता रहे हैं कारण
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कस्टमाइज़ करेंग्लूटेन को डाइट से हटाने से कुछ लोगों में एक्जिमा या सोरियासिस जैसी त्वचा की स्थितियों में सुधार हो सकता है।
इसके नुक़सान के बारे में डाॅ प्रिया कहती हैं कि “ग्लूटेन फ्री डाइट अपनाना महंगा हो सकता है और यदि इसके लिए सही से योजना नहीं बनाई गई, तो यह महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट्स की कमी भी पैदा कर सकता है। यह उन लोगों के लिए जरूरी है जिनको सेलिएक रोग या अन्य ग्लूटेन-सेंसटिविटी हैं, लेकिन यह सभी के लिए ठीक नहीं हो सकता। इस के कुछ दुष्प्रभाव हैं:
यदि सही से योजना नहीं बनाई गई, तो इस डाइट में फाइबर, आयरन, कैल्शियम और विटामिन बी जैसे आवश्यक न्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है।
कई ग्लूटेन-फ्री फूड्स प्रोसेस्ड होते हैं, जिनमें अधिक चीनी और अनहेल्दी फैट हो सकता है।ये रहे 2020 के सबसे खराब फूड ट्रेंड्स, जिनसे तत्काल छुटकारा पा लेना है जरूरी
भोजन के सीमित विकल्प होने के कारण घर के बाहर खाना या सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना मुश्किल हो सकता है। जिससे आपको अलग थलग महसूस हो सकता है।
कुछ लोग खाने को ग्लूटेन फ्री समझ कर ज्यादा खा लेते हैं, जिससे उनका वजन बढ़ सकता है।
इसीलिए यह डाइट अपनाने से पहले एक्सपर्ट से सलाह करना उचित है। और फाइबर और विटामिन्स की जरूरत को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेना जरूरी।
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