क्या आप उन लोगों में से हैं जो बिना कॉफी के अपने दिन की शुरुआत तक नहीं कर सकते? तो आपके लिए यहां एक खुशखबरी है। हाल ही में इंटरनल मेडिसिन नामक जनरल में प्रकाशित एक शोध ने इस बात का खुलासा किया है।
दिन में 3 बार ली गई फिल्टर कॉफी टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को कम करती है। शायद कॉफी लवर्स को यह सब सुनने में बहुत ही इंटरेस्टिंग लग रहा होगा। लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया है कि केवल फिल्टर कॉफी के लिए ही यह बात साबित होती है बॉयल्ड कॉफी के लिए नहीं।
शोधकर्ताओं ने इन दोनों कॉफी के बीच के कनेक्शन को बारीकी से ऑब्जर्व किया और पाया कि कॉफी तैयार करने की विधि और उसका चुनाव आपके स्वास्थ्य पर कितना असर डालता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी और उमिया यूनिवर्सिटी स्वीडन के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए कुछ बायोमार्कर्स का इस्तेमाल किया।
उमिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिकॉर्ड लैंडबर्ग, जो इस शोधकर्ताओं की टीम का हिस्सा है। वह कहते हैं, “हमने स्टडी में भाग लेने वाले अलग-अलग लोगों के ब्लड सैंपल्स लिए। जिसमें हमने कुछ स्पेसिफिक मॉलिक्यूल जैसे बायोमार्कर्स की पहचान की। हमें पता चला कि यह विभिन्न प्रकार की कॉफी पीने का संकेत था। यही बायोमार्कर टाइप-2 डायबिटीज के लोगो में खतरों की गणना करने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।
लैंडबर्ग कहते हैं, “अब नतीजे बिल्कुल स्पष्ट हैं कि फिल्टर कॉफी टाइप-2 डायबिटीज के खतरों को बढ़ने से रोकती है। इसके ऐसे मरीजों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। लेकिन फिल्टर कॉफी के मुकाबले बॉयल्ड कॉफी का ऐसा कोई इफेक्ट नहीं देखा गया।”
क्लासिक आहार प्रश्नावली के साथ मिलकर बॉयल्ड और फिल्टर कॉफी पर डायबिटीज के खतरों को अलग करने के लिए मेटाबॉलोमिक्सल (metabolomics) नामक एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
इस स्टडी के नतीजे बताते हैं कि वह व्यक्ति जो दिन में एक कप फिल्टर कॉफी पीते हैं, उनके मुकाबले जो प्रतिदिन दो से तीन कप पीते हैं, उनमें 60% टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है।
मेटाबॉलोमिक्सर एक शानदार तकनीक साबित हुई। इसके जरिए न केवल कुछ स्पेसिफिक खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के बारे में पता लगाया जा सकता है। बल्कि इसके द्वारा यह भी पता किया जा सकता है कि इन पदार्थों के खाने से हमारे मेटाबॉलिज्म पर क्या असर पड़ता है।
इस शोध के मुख्य लेखक लिंन ची कहते हैं, “हमें इसके द्वारा हर वह महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है, जो किसी बीमारी के खतरे को तथा कोई भी खाद्य पदार्थ उस बीमारी को कैसे प्रभावित करता है, इसका पता लगा सकें।
अगर हम पहले हुए कुछ शोधों की बात करें, तो हमेशा से यही कहा जाता रहा है कि बॉयल्ड कॉफी के कारण हृदय संबंधी समस्या हो सकती हैं। इसमें मौजूद डिटरपेंस (diterpenes) वैस्कुलर डिजीज होने का खतरा भी पैदा कर सकता है।
अब यदि हम खासतौर से हाल ही में हुए इस शोध की बात करें, तो इसके अनुसार कॉफी का केवल स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव ही नहीं पड़ता, बल्कि इसके कई अच्छे नतीजे भी मिल सकते हैं।
लैंडबर्ग कहते हैं, “जब आप कॉफी को फिल्टर करते हैं तो इसमें मौजूद डिटरपेंस फिल्टर में कैप्चर हो जाता है। बदले में आपको कॉफी के हर छोटे फायदे भी मिलते हैं जैसे कि फेनोलिक सब्सटेंस। इस तरह से यदि फिल्टर कॉफी को संयमित रूप से पिया जाए तो इसके सकारात्मक स्वास्थ्य लाभ ही होते हैं।
इसके अलावा इस शोध में कॉफी से जुड़ी बहुत सारी बातों का जिक्र किया गया है। जैसे कॉफी का प्रभाव का पता केवल फिल्टर के द्वारा ही नहीं किया जा सकता। बल्कि इसके कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं जैसे इसकी बींस किस क्वालिटी की है? इसे आप कितनी मात्रा में पीते हैं?
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