गोंद एक बेहद खास सुपरफूड है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की गुणवत्ता पाई जाती है। इसके साथ ही आप गोंद को अलग-अलग व्यंजनों को बनाने में इस्तेमाल कर सकती है। बहुत से लोग इसे जोड़ो से जुड़ी समस्याओं के उपचार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। क्या आप जानती हैं, जोड़ों की सेहत के लिए इसके क्या फायदे हैं? यदि नहीं तो आज हम आपको बताएंगे। गोंद में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के गुणवत्ता सहित कई खास प्रॉपर्टीज पाई जाती है, जो इसे जोड़ो से संबंधी समस्या, विशेष रूप से गठिया के मरीजों के लिए एक प्रभावी विकल्प बनाती है (Gond for joint pain)।
मैक्स हॉस्पिटल वैशाली के ऑर्थोपेडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट डिपार्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ अखिलेश यादव ने जोड़ों के दर्द के लिए गोंद के फायदों पर बात की है, साथ ही उन्होंने इसे डाइट में शामिल करने का सही तरीका भी बताया है (Gond for joint pain)। तो चलिए जानते हैं, जोड़ों की सेहत के लिए गोंद के फायदे साथ ही जानेंगे इसे डाइट में शामिल करने का हेल्दी तरीका (how to add Gond into diet for joint pain)।
गोंद या काला गोंद एक पारंपरिक आयुर्वेदिक एवं उपाय है, जिसका उपयोग जोड़ों के दर्द और सूजन के इलाज के लिए किया जाता है। यह गोंद के पेड़ की छाल से बनाया जाता है और इसमें फेनोलिक कंपाउंड, फ्लेवोनोइड्स, ट्राइटरपेन्स और सैपोनिन जैसे कंपाउंड होते हैं।
गोंद के एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण, इसे हड्डी एवं जोड़ों की सेहत के लिए बेहद खास बनाते हैं। गोंद में कैल्शियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य का समर्थन करती हैं, और सूजन को कम कर देती हैं (Gond for joint pain)।
गोंद में पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड्स, टेरपेन्स और फेनोलिक एसिड जोड़ों की सूजन को कम करते हैं, गठिया, गाउट और जोड़ों की समस्या से जुड़े अन्य लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
गोंद के दर्द निवारक और एंटी-नोसिसेप्टिव गुण जोड़ों के दर्द और परेशानी को कम करते हैं। वहीं इसके एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण जोड़ों के सूजन को कम करते हैं, जिससे आपको जोड़ों के दर्द से राहत प्राप्त करने में मदद मिलती है।
गोंद जोड़ों में लचीलापन और गति की सीमा को बढ़ा देता है, कठोरता को कम करता है और जॉइंट फंक्शन में सुधार करता है। नियमित रूप से इसके सेवन से बढ़ती उम्र के साथ भी जोड़ों में मोबिलिटी को बरकरार रखने में मदद मिलती है।
गोंद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट की गुणवत्ता ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से प्रोटेक्शन देती है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस हड्डियों के साथ ही जोड़ों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं सेलुलर डैमेज होने से रोकते हैं। इतना ही नहीं ये बढ़ती उम्र के साथ होने वाले जॉइंट डिग्रेडेशन को कम करने में भी मदद करता है।
गोंद की एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी जोड़ों की सूजन और अकड़न को कम करने में मदद करती हैं। वहीं यदि आप इन्हें शुरुआत से अपनी डाइट में शामिल करना शुरू कर देती हैं, तो सूजन आदि जैसी जोड़ों से जुड़ी परेशानी का खतरा कम हो जाता है। इस प्रकार गोंद गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
गोंद को अपने आहार में शामिल करने के लिए, आप गोंद के लड्डू बना सकती हैं, जो गोंद को घी में भूनकर, गेहूं के आटे, सूखे मेवे और गुड़ के साथ मिलाकर बनाया जाने वाला एक लोकप्रिय विकल्प है। हालांकि, इस दौरान ध्यान रहे कि अधिक मीठे के इस्तेमाल से वजन बढ़ता है, इसलिए इसे मॉडरेशन में ही लें। साथ ही गुड से भी बेहतर विकल्प है, खजूर की प्युरी।
एक और तरीका है गोंद के पाउडर को गर्म दूध में घोलकर डाइट में शामिल करना। आप इस मिश्रण को रोजाना अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं। खासकर सर्दियों में इसे लेना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। सूप या दलिया में गोंद ऐड कर इसे अधिक पौष्टिक बनाया जा सकता है।
इसके अलावा गोंद को डाइट में शामिल करने के लिए एक बोतल में पानी भरे, और उसमें गोंद का एक टुकड़ा डाल दें। फिर 3 से 4 घंटे बाद उस पानी को पूरे दिन पिएं।
याद रखें:
गोंद का सेवन सीमित मात्रा में करना ज़रूरी है, क्योंकि ज़्यादा सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं।
गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को गोंद का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधि के साथ नियमित रूप से गोंद का सेवन करने से जोड़ों को मज़बूती मिलती है, और दर्द को प्रभावी ढंग से कम करने में मदद मिलती है।