आपने अक्सर लोगों को कहते हुये सुना होगा कि ”आज मैं डाइटिंग कर रही हूं, इसलिए मैं चावल नहीं खाऊंगी!” या चावल खाने से मोटे हो जाते हैं!” पुराने जमाने से ही दाल – चावल – रोटी – सब्जी को एक बैलेन्स्ड डाइट कहा जाता है। मगर आजकल इसकी परिभाषा कुछ बादल गई है। खासकर चावल को लेकर लोग मिथ पर भरोसा करते हैं और सही जानकारी से दूर हो जाते हैं।
शायद यही कारण है कि आज के ट्रेंडिंग फैड डाइट में चावल का सेवन बिल्कुल भी शामिल नहीं है। मगर यह सच नहीं है! चावल में फैट कम होता है और यह कोलेस्ट्रॉल फ्री होते हैं। इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट के कारण यह ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत हैं।
एक्सपर्ट रुजुता दिवेकर कहती हैं कि चावल को हमेशा दोपहर के वक़्त खाना चाहिए क्योंकि नाश्ते के बाद हमें सबसे ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है। साथ ही, दोपहर में हमारा पाचन तंत्र ज़्यादा सक्रिय रेहता है, इसलिए चावल को पचाना भी आसान हो जाता है।
कार्बोहाइड्रेट के बाद, प्रोटीन चावल में पाया जाने वाला दूसरा सबसे प्रचुर पोषक तत्व है। चावल के प्रोटीन को अन्य अनाजों की तुलना में उच्चतम गुणवत्ता वाला माना जाता है। इतना ही नहीं एक मुट्ठी ब्राउन राइस में 2.7 ग्राम प्रोटीन होता है।
चावल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है और इसका उच्च जीआई स्कोर हो सकता है। यदि आपको मधुमेह है, तो आप सोच सकते हैं कि आपको इसे छोड़ देना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आपको मधुमेह है तो भी आप चावल खा सकते हैं। हालाँकि, आपको इसे बहुत बार खाने से बचना चाहिए।
यह बिल्कुल भी सच नहीं हैं! हालांकि, इंग्लैंड में क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, अगर आप चावल को अच्छे से न पकाएं तो यह शरीर में टॉक्सिन्स पैदा कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें कीटनाशक हो सकते हैं। इसलिए, चावल को अच्छे से कुछ घंटे भिगोकर उसके बाद पकाना ज़रूरी है।
चावल आमतौर पर दुनिया भर में ग्लूटेन से जुड़ा होता है। यह समझ में आता है क्योंकि चावल एक कार्बोहाइड्रेट है, और अधिकांश लोग कार्बोहाइड्रेट को ग्लूटेन के साथ जोड़ते हैं। मगर चावल वास्तव में ग्लूटेन फ्री है। यदि आप ग्लूटेन इंटोलेरेंट हैं, तो भी आप बिना किसी डर के चावल खा सकते हैं।
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