डिनर के लिए सबसे अधिक पसंद की जाती है तोरई, लौकी या स्नेक गॉर्ड की सब्जी। तोरी या तोरई (Ridge Gourd) न केवल बनाने में आसान है, बल्कि यह जल्दी पच भी जाती है। यदि आप इसे सिर्फ हल्दी-नमक और एक हरी मिर्च के साथ भी पका लेंगी, तो भी इसका स्वाद आपको परफेक्ट लगेगा। किसी भी प्रकार की दाल या काले चने के साथ पकी हुई तोरी या तोरई तो आपको सम्पूर्ण भोजन के समान पोषक तत्व प्रदान (Ridge Gourd Benefits) करेगी। फाइबर और वाटर से भरपूर यह सब्जी कई रोगों से बचाव करती है। आज हम न्यूट्रीशनिस्ट शिखा द्विवेदी से जानते हैं तोरई या तोरी के फायदे (Tori khane ke fayde)।
तुरई, तोरी या फिर तोरई भारत के साथ-साथ नेपाल, इंडोनेशिया, फिलीपींस, चीन जैसे ज्यादातर एशियाई देशों में मिलती है। यह डाइटरी फाइबर, पानी, विटामिन ए, विटामिन सी, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन बी 6 जैसे जरूरी कम्पोनेंट से यह समृद्ध है। इसमें स्वाभाविक रूप से कम कैलोरी होती है। इसमें जीरो अनहेल्दी सैचुरेटेड फैट और जीरो कोलेस्ट्रॉल होता है। इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और एल्कलॉइड कंपाउंड प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करते हैं। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देता है।
तोरई में बीटा कैरोटीन के रूप में विटामिन ए भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है। इससे आंखों की रोशनी में सुधार हो सकता है। मैकुलर डीजेनरेशन, आंशिक अंधापन और अन्य आंखों के रोगों को रोकने में भी मदद करती है। एंटीऑक्सीडेंट बीटा कैरोटीन ऑप्टिक तंत्रिकाओं और विज़न ब्लड वेसल्स को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है। इससे आंखों को हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाया जाता है।
तोरी या तुरई में स्वाभाविक रूप से कैलोरी कम होती है।जीरो संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल होने के कारण यह फैट बढ़ने नहीं देती है। यह भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा को तुरंत पचाने में मदद करती है। शरीर के ऊतकों में वसा के अतिरिक्त संचय को भी यह रोकती है। तोरई में मौजूद इंसुलिन जैसे पेप्टाइड्स और एल्कलॉइड्स ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इससे शरीर का वजन और चयापचय दोनों नियंत्रित रहता है।
लौकी परिवार की सब्जी तोरई या तुरई के गूदे में प्रचुर मात्रा में पानी होता है। गूदे में प्रचुर मात्रा में सेलूलोज़ मौजूद होता है, जो नेचुरल डाइटरी फाइबर है। तोरई को दाल के साथ उबालकर सूप का सेवन करने या उबालकर चटनी पीस कर खाने या इसके जूस में थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने से भी कब्ज से तुरंत राहत मिल सकती है। , यह पाचन प्रक्रिया को आसान बनाकर बोवेल मूवेमेंट में मदद करता है।
तुरई में विषाक्त अपशिष्ट और नहीं पचे हुए भोजन कणों से रक्त को शुद्ध करने की क्षमता होती है। इसलिए यह लीवर के स्वास्थ्य और पित्त कार्य को बढ़ाने में जरूरी भूमिका निभाती है। पित्त लिवर का एक तरल स्राव है, जो लिपिड या वसा को तोड़ने में मदद करता है। यह पीलिया और लिवर में होने वाले अन्य संक्रमणों का भी प्रभावी ढंग से इलाज करता है।
तुरई में स्वाभाविक रूप से कैलोरी और ब्लड शुगर कम होता है। इसमें आहार फाइबर अधिक होता है। यह गूदेदार हरी सब्जी फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती है, जिसमें हाइपोग्लाइसेमिक गुण होते हैं। यह भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल में अचानक वृद्धि को प्रभावी ढंग से रोकता है। इस प्रकार तुरई पाचन, चयापचय, इंसुलिन कार्यों को उत्तेजित करती है। यह डायबिटीज को नियंत्रण में रखने में मदद करती है।
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कस्टमाइज़ करेंप्रचुर मात्रा में आयरन होने के कारण भोजन के साथ नियमित रूप से तुरई खाने से आयरन की कमी दूर हो जाती है। इसमें विटामिन बी6 प्रचुर मात्रा में होता है। यह आयरन के साथ-साथ शरीर में रेड ब्लड सेल्स कोशिकाओं के उचित संश्लेषण में जरूरी भूमिका निभाता है। यह शरीर के सभी अंगों में ब्लड फ्लो को सुचारू करता है। इससे दर्द और थकान के लक्षण कम होते हैं।
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