कुछ लोगों के व्यवहार में अचानक से चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। वे देखते ही देखते बात बात पर गुस्सा आना, चिंतित हो जाना और चीजों पर ध्यान केंद्रित न कर पाने की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं। इसका प्रभाव उनकी मेंटल हेल्थ पर दिखने लगता है। मेंटल हेल्थ को बूस्ट (tips to boost mental health) करने के लिए अक्सर लोग स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक्स की मदद लेते हैं, मगर कुछ फूड्स की मदद से भी इस समस्या को हल करके मूड बूस्ट करने में मदद (mood boosting foods) मिलती है। जानते है, वो फूड्स जिससे डोपामाइन के स्तर को नेचुरल तरीके से बढ़ाया जा सकता है।
शरीर में डोपामाइन की कमी के चलते अनचाही थकान और फोकस की कमी महसूस होने लगती है। कम डोपामाइन का स्तर मूड स्विंग्स (mood swings), नींद की कमी और बार बार भूलने की समस्या का कारण बनता है। इसके अलावा डोपामाइन लेवल (tips to boost dopamine level) का कम होना लो सेक्स ड्राइव की ओर इशारा करता है।
इस बारे में फिटनेस और न्यूट्रिशन कोच शिखा सिंह बताती हैं कि डोपामाइन को फील गुड हार्मोन कहा जाता है। इससे ब्रेन हेल्थ को बूस्ट करने में मदद मिलती है और संतुष्टि व खुशी का एहसास होता है। ब्रेन से रिलीज़ होने वाला डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, इससे मोटिवेशन, मूड, फोकस, ध्यान, याददाश्त और मोटर स्किल्स को नियंत्रण किया जाता है। शरीर में कुछ पोषक तत्वों की उच्च मात्रा शरीर में डोपामाइन के स्तर को बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आहार में विशेष आहार को शामिल करना ज़रूरी है।
आहार में चिकन, अंडे और डेयरी प्रोडक्टस को शामिल करने से शरीर को अमीनो एसिड टायरोसिन की प्राप्ति होती है। इसकी मदद से डोपामाइन का रिलीज़ बढ़ने लगता है। दरअसल, अमीनो एसिड की मदद से ब्रेन केमिकल्स को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा बार बार भूख लगने की समस्या भी हल होने लगती है।
बादाम, अखरोट, अलसी और कद्दू के बीज में टायरोसिन की उच्च मात्रा पाई जाती हैं। इससे डोपामाइन का स्तर बढ़ने लगता है। दिनभर में मुट्ठी भर नट्स और सीड्स को आहार में शामिल करने से डोपामाइन की कमी को पूरा किया जा सकता है। इन्हें रोस्ट करके या फिर ओवरनाइट सोक करके खाया जा सकता है।
दिनभर में डार्क चॉकलेट का सेवन करने से डोपामाइन के स्तर को स्टीम्यूलेट करने में मदद मिलती है। कोको फ्लेवोनोइड्स से भरपूर होता है, जिससे ब्रेन सेल्स को बूस्ट किया जाता है। इसके अलावा शरीर में ब्लड के फ्लो को नियमित बनाए रखने में मदद करता है। कोको का सेवन सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट में फेनिलथाइलामाइन कंपाउड भी पाया जाता है, जो ब्रेन सेल्स को डोपामाइन रिलीज़ करने के लिए उत्तेजित करतह है।
डाइट में केफिर, दही और अन्य फर्मेंटिड फूड्स के सेवन से गट हेल्थ बूस्ट के अलावा डोपामाइन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इससे मूड डिसऑर्डर से बचा जा सकता है और मांइड अलर्ट रहता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार हार्मफुल गट बैक्टीरिया के बढ़ने से भी डोपामाइन के स्तर में गिरावट आने लगती है। ऐसे में प्रोबायोटिक्स का सेवन फायदेमंद साबित होता है।
ग्रीन टी का नियमित सेवन करने से शरीर को एल.थियानीन की प्राप्ति होती है। इससे डोपामाइन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा डिप्रेशन का जोखिम कम हो जाता है। इसमें पाई जाने वाली एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को बढ़ाते है, जिससे डोपामाइन बढ़ता है और कॉग्नीटिव फंक्शन इंप्रूव होने लगता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक हल्दी को आहार में शामिल करने से शरीर को करक्यूमिन तत्व की प्राप्ति होती है, जिससे डोपामाइन के स्तर में वृद्धि होने लगती है। हल्दी एक मूड बूस्टर की तरह काम करती है। इसे व्यंजनों के अलावा पानी में उबालकर या दूध में एड करके ले सकते हैं। इससे शरीर एक्टिव और फोकस्ड रहता है।
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