नवरात्रि व्रत के दौरान खानपान में कई प्रकार के बदलाव किए जाते हैं। इन नौ दिनों में आहार में फलाहार का सेवन किया जाता है। उपवास के दौरान सिघांड़े और कुट्टू के आटे का सेवन किया जाता है। इसके अलावा आलू और शहरकंदी का लोग खूब सेवन करते है। असल में कुकिंग के दौरान सही टिप्स का इस्तेमाल न कर पाने से हेल्दी आहार भी शरीर तक पूरा पोषण नहीं पहुंचा पाता है। ऐेसे में फूड को टेस्टी बनाए के अलावा पौष्टिक बनाए रखना भी आवश्यक है। अगर आप भी चाहती हैं कि व्रत के दौरान बीमार न पड़ें और हेल्दी रहें, तो नवरात्रि के 9 दिनों के लिए इस डाइट प्लान (Navratri diet plan for 9 days) को फॉलो करें।
इस बारे में डायटीशियन डॉ शालिनी सिंघल बताती हैं कि व्रत के दौरान शरीर में कमज़ोरी बढ़ने लगती है। ऐसे में डाइट प्लान में हेल्दी मील्स (Healthy meals in navratri diet plan) को प्लान करें। बहुत अधिक कैलोरी लेने से दिनभर ब्लोटिंग का सामना करना पड़ता है। ऐसे में संतुलित आहार लें और तला भुना खाने से बचें। इसके अलावा चीजों को देर तक उबालने से उनके पोषक तत्व नष्ट होने लगते है। साथ ही किसी खाद्य पदार्थ को उबालने के लिए इस्तेमाल किए गए पानी को कुकिंग में इस्तेमाल करने से बचें। उपवास के दौरान मील प्लानिंग करें और दिनभर में 8 से 10 मिलास पानी अवश्य पीएं।
व्रत के दिनों में अक्सर लोग मखानों और उससे तैयार होने वाले व्यंजनों का सेवन करते है। कुछ लोग ड्राई मखाने खाना पसंद करते है। हांलाकि इससे संपूण पोषण प्राप्त होता है, मगर उसे पचाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। वे लोग जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से ग्रस्त है, उन्हें डाइट प्लान में रोस्टिड मखाने खाने की सलाह दी जाती है। इससे स्वाद और टैक्सचर में बदलाव आने के अलावा एंटीऑक्सीडेंटस प्रॉपर्टीज़ का स्तर बढ़ने लगता है।
उपवास के दौरान शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ाने के लिए डाइट प्लान में ड्राई फ्रूट्स को शामिल करना फायदेमंद साबित होता है। ऐसे में बार बार प्यास लगने की समस्या से बचने के लिए ड्राई फ्रूट्स को रोस्ट करने की जगह भिगोकर खाएं। इसके अलावा मूंगफली को भी तलने की जगह ड्राई रोस्ट करके या रेसिपीज़ में मिलाकर खा सकते है। इससे शरीर को उच्च पोषण की प्राप्ति होती है। तेल में भूनकर खाने से वॉटर इनटेक बढ़ जाता है, जो ब्लोटिंग का कारण बनने लगता है।
डाइट प्लान में रिफांइड कुकिंग ऑयल की जगह घी का इस्तेमाल करें। इससे शरीर को विटामिन ए और ई के अलावा गुड फैट्स की प्राप्ति होती है। घी में पाया जाने वाला लॉरिक एसिड मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है। इससे शरीर में पाचन क्रिया उचित बनी रहती है और न्यूट्रिएंट्स की भी भरपूर प्राप्ति होती है।
रोज़ाना आलू और फलों का सेवन करने की जगह घीया, कद्दू, शकरकंदी और फलों की चाट का सेवन करें। इसके अलावा सब्जियों का सूप पीएं। इससे शरीर को विटामिन और मिनरल की प्राप्ति होती है। साथ ही मखाने की खीर, फ्रूट कर्ड और शकरकंदी की चाट बनाएं। 9 दिनों तक सभी चीजों का बार बारी से अपनी मेन्यू में शामिल करें। इससे शरीर को भरपूर पोषण मिलता है।
कुछ लोग उपवास के दौरान चीनी या नमक का त्याग कर देते है। इससे शरीर में कमज़ोरी और थकान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अधिक मात्रा में आहार में रिफांइड चीनी की जगह शहद, गुड़ और फलों का सेवन करें। वहीं नमक की भी नियमित मात्रा आहार में बनाए रखें। इससे शरीर को आयोडीन की प्राप्ति होती है। जहां ज्यादा नमक हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है, तो वहीं कम नमक से मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है।
भूख लगने की समस्या को हल करने के लिए साइट्रिक फ्रूट्स का ज्यादा सेवन एसिडिटी की समस्या को बढ़ा देता है। इसके लिए उपवास के दौरान खाली पेट संतरा और ग्रेप फ्रूट का सेवन करने की जगह केला और सेब खाएं। इसके अलावा पोषण की प्राप्ति के लिए सब्जियों का सूप पीएं। इससे पाचनतंत्र उचित बना रहता है।
स्नैक्स के अलावा डाइट प्लान में लिक्विड भी शामिल करें। इससे बार बार भूख लगने की समस्या से बचा जा सकता है। नारियल पानी, लस्सी और लो फैट दूध पीएं। इससे पाचनतंत्र उचित बना रहता है। इसके अलावा शरीर में पानी की नियमित मात्रा को बनाए रखने के लिए 8 से 10 गिलास पानी पीएं। इससे इलेक्ट्रोलाइटस की मात्रा बनी रहती है।
घर पर नवरात्रि में उपवास के दौरान डाइट प्लान में बाज़ार की मिठाई को घीए की बर्फी, कद्दू की खीर और फ्रूट कर्ड से रिप्लेस करें। इससे शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है और गट हेल्थ उचित बनी रहती है। बाज़ार की मिठाई में होने वाली मिलावट पाचनतंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है।
भोजन में स्वाद को जोड़ने के लिए लाल मिर्च की जगह काली मिर्च का सेवन करें। लाल मिर्च का अत्यधिक सेवन पेट में अल्सर का कारण बनने लगता है। ऐसे में काली मिर्च से पाचन मज़बूत बनता है और इससे लो ब्लड प्रेशर की समस्या से बचा जा सकता है।
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