उत्तर पूर्व भारत एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे हाल के वर्षों में हेल्दी-टेस्टी फ़ूड और अपने अद्वितीय स्वाद प्रोफ़ाइल के लिए खूब प्रसिद्धि मिली है। वास्तव में उत्तर पूर्व में व्यंजनों को पकाने का पारंपरिक तरीका और तकनीक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। यहां भोजन में बांस और बांस के कोंपल का प्रयोग किया जाता है। क्या यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से फायदेमंद (Bamboo Shoots Benefits) है, यह जानने के लिए हमने बात की ट्राइबल गूरमेट की फाउंडर और खाद्य विशेषज्ञ तनीषा फनबुह से।
तनीषा फनबुह कहती हैं, ‘उत्तर पूर्वी व्यंजनों को पकाने की पारंपरिक तकनीक काम में लाई जाती है।इसमें स्टीम देना (Steaming), बॉयल करना (Boiled Food) और कच्चा यानी रॉ (Raw Food) खाना शामिल हैं। पोषक तत्वों को संरक्षित करने के लिए ऐसा किया जाता है। नियमित भोजन के एक बड़े हिस्से में ताजा सलाद, ताजी चटनी और हरी सब्जियां शामिल होती हैं।
मौसम के अनुसार, भोजन में जंगली जड़ी बूटियों जैसे पेनीवर्थ, फिश मिंट, रोज़ेला के पत्तों और एलियम का प्रयोग किया जाता है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। भोजन में बांस, बांस की पत्तियों और बांस के अंकुर या कोंपल (Bamboo Shoot) का खूब प्रयोग किया जाता है।
भोजन के रूप में उपयोग किए जाने पर बैंबू शूट महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ देते हैं। इनमें हाई प्रोटीन, अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट, कई महत्वपूर्ण मिनरल्स और विटामिन होते हैं। ताजा बैंबू शूट में थायमिन, नियासिन, विटामिन ए, विटामिन बी 6 और विटामिन ई भी मौजूद होते हैं।
बैंबू शूट को सरसों के तेल में पकाकर अचार बनाया जाता है। हाई फाइबर और बहुत कम कैलोरी होने के कारण यह बैड कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद कर सकता है। यह वजन घटाने में मदद के साथ-साथ हार्ट डिजीज के रिस्क को कम कर सकता है। इसमें सिलिकॉन कंटेंट अधिक होने के कारण जॉइंट प्रॉब्लम में आराम मिलता है। बैंबू शूट का स्टू भी बनाया जाता है। यह डिश खट्टा स्वाद और सुगंध वाला होता है। बैंबू शूट का प्रयोग स्वादिष्ट सूप, स्नैक्स, करी, सलाद, अचार, एरोमा वाले चावल, स्प्रिंग रोल और अन्य उबले या स्टीम किये हुए व्यंजन बनाने में भी किया जाता है।
कुछ खाना पकाने के लिए बांस का उपयोग एक बर्तन के रूप में भी किया जाता है। आम तौर पर बांस से तैयार बर्तन में मीट डाल दिया जाता है। इसे फिर रोल किये हुए स्ला लामेट पत्तियों (Sla Lamet Leaves) या केले के पत्तों के साथ सील कर दिया जाता है। इसे सीधे कोयले की धीमी आंच पर पकाया जाता है। उत्तर-पूर्व में मांस को पकाने के लिए यह तरीका काम में लाया जाता है। इससे स्वाद और पौष्टिकता दोनों बरकरार रहती है। इसका उदेश्य बांस की पौष्टिकता और एरोमा को भोजन के साथ जोड़ना होता है। भोजन को फरमेंट और प्रीजर्व करने के लिए भी बांस के कोंपल का प्रयोग किया जाता है।
तनीषा बताती हैं, नॉर्थ ईस्ट रीजन में भोजन में बांस के पौधे का उपयोग कई तरीकों से किया जाता है। यह पोषण, स्वास्थ्य और चिकित्सा के दृष्टिकोण से सुपरफूड है। इसमें स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं। इसलिए इसका उपयोग खाद्य पदार्थों को फोर्टीफाइ करने के लिए भी किया जाता है।
ध्यान दें कि ताजी टहनियों को बनाने से कुछ समय पहले पानी में भिगोकर रख देना चाहिए। सही तरीके से ट्रीटमेंट के बाद ही उन्हें पकाना चाहिए, क्योंकि उनमें जहरीले गुण भी पाए जाते हैं।’
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