गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। मगर बढ़ रही मिल्क एलर्जी और लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या के चलते लोगों का आर्कषण वीगन मिल्क की ओर बढ़ रहा है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से वीगन डाइट काफी ट्रेन्ड में है और प्लांट बेस्ड मिल्क की ओर लोगों का रूझान तेज़ी से बढ़ने लगा है। पर्यावरण पर डेयरी फार्मिंग के चलते पड़ने वाला प्रभाव और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं के कारण प्लांट बेस्ड मिल्क की लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ रही है। काजू, बादाम, आलू, साबुत अनाज और सोयाबीन समेत कई प्रकार के दूध बाज़ार में उपलब्ध हैं। मगर सवाल ये है कि क्या प्लांट बेस्ड मिल्क भी डेयर मिल्क (Vegan milk vs dairy milk) के समान ही पौष्टिक हैं? और इससे हमें पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है, जानते हैं एक एक्सपर्ट से।
प्लांट बेस्ड मिल्क उस तरल पदार्थ को कहते हैं, जो पौधों और खाद्य पदार्थोंं से प्राप्त होता है। इसे प्लांट मिल्क या नॉन डेयरी मिल्क भी कहा जाता है। ये मिल्क पूरी तरह से शाकाहारी, लेक्टोज़ फ्री और डेयरी फ्री होते हैं। बाज़ार में दूध की कई किस्में मौजूद होती है। धीरे-धीरे डेयरी प्रोडक्ट्स को आहार से दूर करने के साथ वीगन मिल्क की डिमांड भी बढ़ रही है। लोग डेयरी प्रोडक्ट्स की जगह फाइबर से भरपूर और फैट रहित खाद्य पदार्थों का सेवन करना पसंद कर रहे हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार डेयरी मिल्क में प्लांट बेस्ड मिल्क के मुकाबले चार गुना सेचुरेडेट फैट ज्यादा पाया जाता है। साथ ही शरीर को तकरीबन दो गुना ज्यादा शुगर की प्राप्ति होती है। साथ ही डेयरी मिल्क में वीगन मिल्क की अपेक्षा 3 गुना ज्यादा प्रोटीन भी पाया जाता है। पशुओं से प्राप्त होने वाले दूध में से गाय के दूध में सर्वाधिक प्रोटीन पाया जाता है।
इस बारे में डायटीशियन डॉ एकता सिंघल का कहना है कि बादाम, सोया और जई का दूध पौष्टिकता के मामले में पशुओं से प्राप्त दूध के बराबर माना जाता है। इनके फोर्टिफाइड होने पर इनमें डेयरी मिल्क के सामन कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। दरअसल, गाय या भैंस के दूध से एलर्जी, लैक्टोज इंटोलरेंस, कैलोरी इनटेक और हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के कारण लोग वीगन मिल्क को आजमा रहे हैं।
डॉ एकता मानती हैं कि वीगन मिल्क अपने स्वाद के कारण भी काफी जयादा लोकप्रिय हो रहे हैं। जहां बादाम का दूध एक बेहतर स्वाद प्रदान करता है, वहीं सोया मिल्क बेहद मलाईदार होता है। ओट मिल्क की कंसिस्टेंसी बेहद स्मूद होती है। ये दूध केवल पीने के लिए ही नहीं, बल्कि खाना पकाने, बेकिंग और पेय पदार्थों में भी प्रयोग किए जा सकते हैं।
कैलोरीज़ 150
प्रोटीन 8 ग्राम,
कार्ब्स 12 ग्राम,
शुगर 12
फैट 8 ग्राम पाए जाते हैं।
30 से 60 कैलोरीज
प्रोटीन 1 ग्राम
कार्ब्स 1 ग्राम
फैट्स 3 ग्राम पाए जाते हैं
कैलोरीज 80 ग्राम
कार्ब्स 4 ग्राम
फैट्स 4 ग्राम
प्रोटीन 7 ग्राम पाए जाते हैं
पोषण से भरपूर 1 कप गाय का दूध पीने से शरीर को प्रोटीन, कैलोरीज़, फैट्स, कैल्शियम, विटामिन और मिनरल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा गाय के दूध में पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड शरीर में हृदय रोगों और डायबिटीज़ के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। इसमें अन्य पोषक तत्वों के अलावा बीटा कैरोटीन और विटामिन ई जैसे एंटीऑक्सीडेंटस भी पाए जाते हैं, जो शरीर की संक्रमण से रक्षा करते हैं।
बढ़ते बच्चों में दांतों का टूटना और हड्डियों की मज़बूती बढ़ने लगती है। ऐसे में दूध का सेवन उनके शरीर को भरपूर पोषण देने में कारगर सिद्ध होता है। दूध में पोटेशियम और मैगनीशियम के अलावा कैल्शियम भी उच्च मात्रा में पाया जाता है। यूएसडीए के अनुसार 1 कप गाय का दूध पीने से 30 फीसदी कैल्शियम की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है। इससे हड्डियों और दांतों की मज़बूती बढ़ने लगती है।
गाय का दूध पीने से शरीर में विटामिन डी की 21 फीसदी कमी पूरी होती है। दरअसल, विटामिन डी की मदद से कैल्शियम अवशोषण और बोन मिनरलाइजेशन को बढ़ावा मिलता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार गाय के दूध के सेवन से शरीर में डायबिटीज़ के खतरे को कम करने में मदद मिलती है। दरअसल, गाय का दूध पीने से शरीर में हेल्दी फैट्स और प्रोटीन की मात्रा का स्तर बना रहता है, जिससे ब्लड शुगर बैलेंस को बनाए रखने में मदद मिलती है। दरअसल, डायबिटीज़ के बढ़ने से हृदय रोगों और किडनी के रोग का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ बच्चे पशुओं से प्राप्त दूध को पचा नहीं पाते। इससे उनमें अलग-अलग तरह के एलर्जी रिएक्शन होने लगते हैं। ऐसा दूध में मौजूद लेक्टोज के प्रति संवेदनशीलता के कारण होता है। अगर आपका बच्चा भी लेक्टोज इनटॉलरेंस है, तो पीडियाट्रीशियन से सलाह लेकर उसके लिए दूध का सही विकल्प चुनें।