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चावल के शौकीन हैं और वजन घटाना चाहते हैं, तो आपके लिए हैं ये 5 स्वादिष्ट विकल्प

सफेद चावलों में प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाए जाते है, जो शरीर में ब्लड शुगर लेवल का स्तर बढ़ा देते है। इससे ओवरइटिंग का खतरा बढ़ जाता है, जो शरीर में कैलोरीज़ की मात्रा को बढ़ाने का कारण साबित होते हैं।
Published On: 5 Mar 2025, 10:00 am IST
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Rice ka weight loss par asar
चावल एक कैलोरी डैंस फूड है, जिससे ओवरइटिंग करने से वेटलॉस जर्नी में बाधा उत्पन्न होने लगती है। चित्र: शटरस्टॉक

हम में से बहुत से लोग ऐसे है, जिनका लंच से लेकर डिनर तक चावल के बगैर अधूरा सा लगता है। दरअसल, दक्षिण भारत के अलावा दुनिया की बहुत बड़ी आबादी ऐसी है, जिनके आहार का चावल एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इडली से लेकर बिरयानी और सुशी बनाने तक हर जगह इस सुपरफूड का इस्तेमाल किया जाता है। मगर बात जब वेटलॉस की आती है, तो कहीं न कहीं आहार में इसकी अधिक मात्रा वेटगेन का कारण साबित होती है (How rice affect weight loss)।

अब सवाल ये है कि क्या वाकई मोटापे का कारण साबित होता है। हांलाकि अन्य सभी फूड्स के समान इसमें भी जहां कुछ खूबिया, तो कुछ कमियां भी पाई जाती हैं। दरअसल, वज़न के बढ़ने पर चावल कई कारणों से प्रभाव डालता है। जहां सफेद चावल (How rice affect weight loss) में काबर्स की मात्रा पाई जाती है, तो इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी ज्यादा होता है। इससे न केवल ब्लडशुगर की मात्रा बढ़ती है बल्कि फैट्स एकत्रित होने लगते हैं।

इस बारे में सैपडाइट की फाउंडर डायटीशियन एवं डायबिटीज एजुकेटर डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि चावल के नियमित सेवन से वेटलॉस बाधित होने लगता है। ऐसे में चावल की मात्रा को सीमित करके और फाइबर व प्रोटीन का इनटेक बढ़ाकर वेटलॉस (How rice affect weight loss) में मदद मिलती है। दरअसल, चावल एक कैलोरी डैंस फूड है, जिससे ओवरइटिंग करने से वेटलॉस जर्नी में बाधा उत्पन्न होने लगती है।

Rice ka body par asar
सफेद चावल में काबर्स की मात्रा पाई जाती है, तो इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी ज्यादा होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

इस तरह से चावल वेटलॉस यात्रा को करते हैं बाधित (How rice affect weight loss)

1. हाई ग्लाइसेमिक इंडैक्स

आमतौर पर आहार में शामिल किए जाने वाले सफेद चावलों का ग्लाइसेमिक इंडैक्स 72 होता है, जो सामान्य से उच्च माना जाता है। इसके चलते ये आसानी से ब्लड में एबजॉर्ब होने लगता है, जिससे ब्ल्ड शुगर लेवल का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही शरीर में फैट का स्टोरेज़ बढ़ने लगता है, जो बैली फैट की समस्या का कारण बनने लगता है। वहीं सफेद चावल के मुकाबले ब्राउन राइज़ का ग्लाइसेमिक इंडैक्स लो होता है।

2. लो फाइबर कंटेट

इसमें डाइटरी फाइबर की मात्रा कम पाई जाती है, जब कि काबर्स का उच्च स्तर मौजूद होता है। इससे जहां कैनोरी काउंट बढ़ता है, तो वहीं इनडाइजेशन का सामना करना पड़ता है। ब्लोटिंग, अपच और पेट दर्द की समस्या बनी रहती है। साथ ही मेटाबॉलिक सिन्डरोम का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही वेटगेन की समस्या बनी रहती है।

3. कैलोरी का बढ़ना

न्यूट्रिशन मेटाबॉलिज्म के रिसर्च के अनुसार उच्च कैलोरी टॉपिंग के साथ चावल को जोड़े जाने पर कुल कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है। अतिरिक्त ऊर्जा पेट के क्षेत्र सहित शरीर में हर जगह वसा के रूप में जमा हो जाती है। ऐसे में सीमित और स्मॉल पोर्शन में खाना खाने से शरीर को फायदा मिलता है।

4. पोषण की कमी

चावल का सेवन करने से शरीर को प्रोटीन, फाइबर और अन्य विटामिन और मिनरल की प्राप्ति नहीं हो पाती है। इससे शरीर में कैलोरीज़ की मात्रा बढ़ने लगती है और पोषण का स्तर कम होने लगता है। ऐसे में चावल को दलिया, ओट्स, बाजरा और होल व्हीट फ्लोर से रिप्लेस करके शरीर को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है।

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इन फूड्स से करें चावल को रिप्लेस (Healthy substitute for rice lovers)

1. सफेद की जगह ब्राउन राइज़ खाएं

ब्राउन राइज़ फाइबर से भरपूर साबुत अनाज है, जो तृप्ति को बढ़ावा देता है और पाचन में सुधार लाता है। इसका कम ग्लाइसेमिक इंडेक्सए रक्त शर्करा के स्तर में धीमी और स्थिर वृद्धि करता है। इससे इंसुलिन स्पाइक्स और फैट एक्यूमिलेट होने का जोखिम कम हो जाता है।

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ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह डायबिटीज रोगियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

2. चावल को बाजरे से करें रिप्लेस

बाजरे का सेवन करने से शरीर को आयरन, विटामिन और मैग्नीशियम की प्राप्ति होती है। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे पाचनतंत्र धीमा रहता है और देर तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। इससे कैलोरीज़ जमा होने के जोखिम से बचा जा सकता है। साथ ही शुगर स्पाइक से बचा जा सकता है। बाजरे की खिचड़ी, सूप और थेपला खाने से शरीर को पोषण प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है।

3. क्विनोआ का सेवन

क्विनोआ का सेवन करने से शरीर को उच्च मात्रा में प्रोटीन और फाइबर की प्राप्ति होती है। इससे हड्डियों की मज़बूती बढ़ती है और वेटलॉस में मदद मिलती है। इसका नियमित सेवन करने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वेटलॉस में मदद मिलती है। इसे सूप, सैलेड और वेजीटेबल मिलाकर खाया जा सकता है।

Quinoa ke fayde
क्विनोआ को आहार में शामिल करने से शरीर को उच्च मात्रा में फाइबर की प्राप्ति होती है, जो पाचन में सहायता करता है।। चित्र : अडॉबीस्टॉक

4. दलिया से होगी पोषण की प्राप्ति

आहार में दनिया को शामिल करने से शरीर को विटामिन, मिनरल और अमीनो एसिड की प्राप्ति होती है। इससे पोषण का स्तर बढ़ने लगता है और शरीर पर जमा होने वाली चर्बी से भी राहत मिल जाती है। नियमित रूप से इसे आहार में शामिल करने से फायदा मिलता है।

5. ओट्स है बेहतरीन विकल्प

फाइबर, विटामिन और मिनरल से भरपूर ओट्स से शरीर स्वस्थ रहता है और कब्ज से भी राहत मिल जाती है। इसे चिया सीड्स, फलों और दूध में मिलाकर खाया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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