हाल ही में कर्नाटक की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के पैनल ने अंडे खाने के ‘दुष्प्रभाव’ के बारे में सरकार के सामने कुछ चौंकाने वाले तथ्य रखे। पैनल ने ‘स्वास्थ्य और कल्याण’ पर अपने पोजीशन पेपर में दावा किया कि अंडे सहित अन्य पशु आधारित उत्पादों के सेवन से भारतीयों में जीवनशैली संबंधी विकार बढ़ रहे हैं। जिनमें मधुमेह, समय पूर्व माहवारी (early menarche) और बांझपन (primary infertility) आदि शामिल हैं।
रिसर्च पेपर में कहा गया, “एक्स्ट्रा- न्यूट्रीएंट्स” के लिए, कम वसा और ज़ीरो ट्रांस-फैट वाले भोजन के साथ सावधानीपूर्वक बैलेंस्ड फ़ूड की आवश्यकता है। इसलिए, मध्याह्न भोजन की योजना बनाते समय, अतिरिक्त कैलोरी और वसा के कारण होने वाले मोटापे और हार्मोनल असंतुलन को रोकने के लिए कोलेस्ट्रॉल-फ्री, एडिटिव्स-मुक्त, जैसे अंडे, फ्लेवर्ड मिल्क, बिस्कुट, आदि खाने से मना किया जाना चाहिए।
भारतीयों के छोटे शरीर के फ्रेम को देखते हुए, अंडे और मांस के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल के माध्यम से मिलने वाली अतिरिक्त ऊर्जा (extra energy) जीवनशैली संबंधी विकारों की ओर ले जाती है।”
इसमें कहा गया है कि भारत में मधुमेह, समय पूर्व माहवारी (early menarche) और बांझपन (primary infertility) जैसे विकार बढ़ रहे हैं। विभिन्न अध्ययनों का दावा है कि पशु-आधारित खाद्य पदार्थ मनुष्यों में हार्मोनल कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं। इसलिए, जीन-आहार की बातचीत यह दर्शाती है कि नस्ल की प्राकृतिक पसंद को ध्यान में रखते हुए भारतीय जातीयता के लिए सबसे अच्छा क्या है।
यह रिसर्च पेपर डॉ के जॉन विजय सागर, प्रोफेसर एवं प्रमुख, बाल और किशोर मनश्चिकित्सा विभाग, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के नेतृत्व में प्रकाशित हुआ।
ये रिसर्च पेपर चाहें कुछ भी कहें, पर हम अंडे और मांस को अब भी सुपरफूड्स की श्रेणी रखते हैं। इसके कारण जानने के लिए हमने प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ राशि चहल से बात की।
राशि कहती हैं, “ इस रिसर्च पेपर पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। क्योंकि अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक आधार अभी तक मुझे दिखाई नहीं दिया है, जो यह साबित करे कि पशु आधारित खाद्य पदार्थ लाइफस्टाइल डिस्ऑर्डर का कारण बनते हैं।”
इसका मुकाबला करने के लिए, मैं अभी भी अंडे को किसी के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानती हूं और इसे इससे बाहर नहीं किया जाना चाहिए। मांस के संदर्भ में, हमें केवल सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि बहुत सारे देश अब जानवरों में स्टेरॉयड डालकर मांस का प्रसंस्करण कर रहे हैं। इसके बावजूद यह सबसके साथ हो, जरूरी नहीं है।”
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, कर्नाटक में पांच साल से कम उम्र के 35 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं और यह संख्या राष्ट्रीय औसत (national average) से सिर्फ एक प्रतिशत कम है। उसके बाद, कर्नाटक सरकार ने विभिन्न समुदायों की आलोचना का सामना करने के बावजूद कुछ जिलों में मध्याह्न भोजन में अंडे देने की घोषणा की थी।
अंडे में सेलेनियम, विटामिन ए, ई, बी5, बी12, आयरन, आयोडीन और फास्फोरस के अलावा विटामिन डी, ओमेगा-3 फैटी एसिड, फोलेट, राइबोफ्लेविन (विटामिन बी2) जैसे आवश्यक पोषक तत्व और खनिज होते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंवे हमें बहुत उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन प्रदान करते हैं, जिसमें सभी नौ आवश्यक अमीनो एसिड सही मात्रा में होते हैं। वे उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करते हैं, जिसे आमतौर पर “अच्छा कोलेस्ट्रॉल” भी कहा जाता है।
वे लेप्टिन के स्तर को बढ़ाकर आपको भरा हुआ महसूस करने में मदद करते हैं, एक हार्मोन जो आपको खाने के बाद संतुष्ट महसूस कराता है, जिससे ऊर्जा का स्तर बढ़ता है ।
एग प्रोटीन से भरपूर सुपरफूड है जो, न सिर्फ हमारी शारीरिक मजबूती के लिए बल्कि हमारे बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।
अंडे की सफेदी त्वचा पर बहुत लाभकारी होती है और इसे कसने में मदद करती है, इसकी मरम्मत को बढ़ावा देती है और अतिरिक्त तेल और मुंहासों को दूर करती है।
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