जाड़े के दिनों में कई अलग-अलग तरह की शाक-सब्जियां मिलती हैं। ये न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि इसके स्वास्थ्य फायदे भी बहुत अधिक होते हैं। इनमें से एक है शलजम। शलजम और शलजम की पत्तियां डायबिटीज के मरीजों के लिए खाई जा सकने वाली सब्जी होती है। ग्लायसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण यह प्री डायबिटिक और डायबिटिक दोनों के लिए (turnip recipes for diabetics) फायदेमंद होती है।
जर्नल ऑफ़ ट्रेडिशनल एंड कॉम्प्लीमेंट्री मेडिसिन में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, इरान के शोधकर्ताओं मोम्मद मेहदी हसन, मोहम्मद हसनपुर-फर्द की टीम ने शलजम पर गहन शोध किया। शोध के निष्कर्ष के अनुसार, प्रयोगात्मक रूप से भी शलजम औषधीय पौधों की एक किस्म है। इसमें एंटीडायबिटिक गुण होते हैं।
पहले के अध्ययनों ने भी यह संकेत दिया था कि शलजम की पत्ती का अर्क मधुमेह वाले जानवरों में हाइपोग्लाइसेमिक क्षमता वाला साबित हुआ। इरान के शोधकर्ताओं ने भी डायबिटिक चूहों पर दवा के साथ इसके प्रभावों का मूल्यांकन किया। परिणाम में दवा के साथ दिया गया शलजम हाइपोग्लाइसेमिक और रीनोप्रोटेक्टिव गतिविधि वाला पाया गया। शलजम की जड़ में भी हाइपोलिपिडेमिक क्षमता पाई गई।
शलजम में विटामिन, कैल्शियम, फोलेट, मैगनीशियम, फोस्फोरस, पोटैशियम, फाइबर और फाइटोकेमिकल्स भी पाए जाते हैं। विटामिन सी से भरपूर शलजम प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं। विटामिन के और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स से भरपूर शलजम कार्डियोवस्कुलर रोगों से बचाव करने में भी मदद करते हैं।
शलजम में 90 प्रतिशत तक पानी रहता है। इसमें मौजूद पानी और फाइबर शरीर से टोक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है। पानी और फाइबर रहे के कारण शलजम ओबेसिटी घटाने में भी मदद करता है।
आपके पसंदीदा आलू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 80-110 के बीच होता है। यह हाई लेवल में आता है। इसमें ब्लड फ्लो में कार्बोहाइड्रेट जल्दी से आ जाते हैं। शलजम का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। कच्चे रूप में शलजम का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 30 होता है। जब इसे पकाया जाता है, तो जी आई 85 तक पहुंच जाता है। इसलिए मधुमेह रोगियों के लिए आलू की बजाय शलजम बेहतर विकल्प होता है ।
यहां ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के लिए एक रेटिंग प्रणाली है। इसके माध्यम से यह पता चलता है कि खाए जाने के बाद प्रत्येक भोजन कितनी जल्दी ब्लड शुगर लेवल को (ग्लूकोज) प्रभावित करता है। जब वह भोजन अपने आप खाया जाता है। जीआई जब 10 से कम होता है, तो कम माना जाता है, वहीं 20 से ऊपर जीआई अधिक माना जाता है।
यदि हेल्दी तरीके से शलजम खाया जाए, तो डायबिटीज पेशेंट के लिए फायदेमंद होगा।
शलजम को कद्दूकस कर लें।
इसमें राई पाउडर, नमक, काली मिर्च पाउडर, बारीक कटी प्याज, हरी मिर्च और धनिया पत्ती मिक्स कर लें।
इसमें मनचाही मात्रा में धी मिलाकर खाएं। चाहें तो कुता हुआ अदरक भी मिक्स कर सकती हैं।
शलजम को छील लें।
इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। हींग, राई का फोडन लगा लें।
प्याज, टमाटर और थोड़ी देर बाद शलजम को भून लें।
शलजम के पत्तों को अच्छी तरह धो कर काट लें।
पानी निचुड़ जाने के बाद इसे नमक के साथ उबाल लें।
मिक्सी में पीस लें।
सरसों तेल, सरसों, हरी मिर्च, हींग का फोड़न डालकर पीसी हुई पत्तियों को डाल दें।
थोड़ी देर भूनने के बाद फ्लेम ऑफ़ कर दें। ठंडा होने पर नींबू का रस निचोड़ दें।
मक्के की रोटी के साथ खाएं।
शलजम के पत्तों का प्रयोग गाजर, टमाटर के जूस में भी कर सकती हैं।
कुछ पत्तों को धो-काटकर गाजर, टमाटर, लहसुन, हल्दी, नमक और कुछ खरे मसाले के साथ कुकर में उबाल लें।
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कस्टमाइज़ करेंइस मिश्रण को मिक्सी में पीस लें।
बचे हुए पानी को मिक्स कर सूप तैयार कर लें।
बटर और काला नमक, जीरा पाउडर, काली मिर्च पाउडर डाल कर पीयें।
शलजम को प्याज, टमाटर के साथ काटकर सलाद के रूप में भी खाया जा सकता है। काला नमक और काली मिर्च पाउडर इसके स्वाद को दूना कर सकता है।
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