नौ दिवसीय नवरात्रि के उपवास (Navratri Upwas) शुरू हो गए हैं। 26 सितंबर से शुरू हुये नवरात्रि के नौ दिन 4 अक्टूबर तक चलेंगे। कई लोग इस दौरान नौ दिन के व्रत (9 day Navratri Fasting) रखते हैं, तो कुछ नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन का उपवास रखते हैं। जब भी उपवास की बात आती है, तो व्रत के खाने का पहले ज़िक्र किया जाता है, क्योंकि ये होता ही इतना स्वादिष्ट और सात्विक है। मगर हर आहार सभी को सूट करे, यह जरूरी नहीं है। कुछ लोगों को इससे भारीपन, कब्ज, घबराहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। साबूदाना के बारे में भी ऐसा हो सकता है। हेल्दी और टेस्टी होने के बावजूद कुछ खास स्थितियों (Sabudana side effects) में आपको इसे खाने से परहेज करना चाहिए।
व्रत के दौरान यह जान लेना ज़रूरी है कि कौन से फूड्स हमारे स्वास्थ्य के लिए सही हैं और कौन से नहीं। तो चलिये आज बात करते हैं साबूदाने (Sabudana) के बारे में, जिसे हर कोई पसंद करता है। साबूदाना वड़े (Sabudana Vada) से लेकर साबूदाने की खीर (Sabudana Kheer) तक हम सभी को यह पसंद है। हम इसके बारे में कम जानते हैं, जैसे कि साबुदाना (Sago) है क्या? इसे कब खाया जाना चाहिए कब नहीं? पर अब यह जानना भी जरूरी है कि किन स्थितियों में इसे नहीं खाना चाहिए आदि।
साबूदाना, स्टार्च से बना एक प्रोसेस किया हुआ और आसानी से पचने योग्य भोजन है। यह ट्रोपिकल पाम ट्री यानी कसावा की जड़ (Cassava Root) से निकाला जाता है। फिर इसे पाउडर के रूप में सुखाकर, इसे पकाया जाता है और इसकी गोलियां तैयार की जाती हैं। इस प्रोसेस में काफी समय लगता है।
यह कार्बोहाइड्रेट का एक समृद्ध स्रोत भी है। साबूदाना के छोटे – छोटे सफेद दाने होते हैं जो बिल्कुल मोती की तरह दिखाई देते हैं। उनका आकार आमतौर पर 2 से 4.5 मिमी होता है। इसे बीमार लोगों के लिए सबसे अच्छा भोजन बताया जाता है। साथ ही, यह ग्लूटेन फ्री भी है।
यूं तो साबुदाना पौष्टिक होता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, फैट और कर्ब्स की अच्छी मात्रा होती है, लेकिन कुछ लोगों को इसे खाने से कुछ समस्याएं हो सकती हैं।
कसावा से बने साबूदाने में विभिन्न यौगिक हो सकते हैं, जैसे कि सायनोजेनिक ग्लूकोसाइड (Cyanogenic Glucoside), जो शरीर में आयोडीन के उपयोग को प्रभावित कर सकते हैं और हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) के लिए थायराइड को बाधित कर सकते हैं।
फूड कैमिस्ट्रि द्वारा 2014 में प्रकाशित जर्नल में बताया गया है कि साइनाइड से कुछ लोगों में तंत्रिका संबंधी विकार हो सकते हैं। शरीर के छोटे आकार और कम वजन के कारण, बच्चों को हाइड्रोजन साइनाइड टॉक्ससिटी का खतरा अधिक होता है।
लेटेक्स से एलर्जी वाले मरीजों को भी साबूदाना से एलर्जी हो सकती है।
बहुत अधिक साबूदाने के सेवन से पाचन संबंधी विकार जैसे सूजन, कब्ज, विशेष रूप से मधुमेह और हृदय रोग से पीड़ित लोगों में समस्या हो सकती है।
साबूदाना एक स्वस्थ कार्बोहाइड्रेट है जो ग्लूटेन फ्री है और सही ऊर्जा प्रदान करता है। मगर यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो इसका अत्यधिक सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए अगर आपको मधुमेह है तो साबूदाना खाना ठीक है, लेकिन मॉडरेशन ज़रूरी है।
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कस्टमाइज़ करेंहमेशा अच्छे ब्रांड का साबुदाना खरीदना चाहिए, खुला नहीं लेना चाहिए।
साबूदाना को पानी में भिगोकर खाने से पहले उबलते पानी में सावधानी से पकाना चाहिए, ताकि इसके सारे टॉक्सिन निकल जाएं।
जरूरी है कि इसे अच्छे से पकाकर खाएं, इसे अधपका या कच्चे रूप में सेवन करना सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
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