हम में से कई लोगों की डाइट का जरूरी हिस्सा है फ्रेश जूस। हमारी तेज़ और व्यस्त जीवनशैली में अकसर फ्रेश फ्रूट जूस को सोडा और कार्बोनेटिड ड्रिंक्स का हेल्दी विकल्प माना जाता है। जो समय बचाने के साथ ही पोषक तत्वों के होने का यकीन भी दिलाता है।
फलों के रस को वजन घटाने और डिटॉक्स के लिए भी फायदेमंद बताया जाता है। आखिरकार, फलों और सब्जियों से निकाले गए रस में विटामिन, खनिज और अन्य प्लांट बेस्ड पोषक तत्व होते हैं। इसलिए, अकसर पोषक तत्वों को ग्रहण करने के लिए दिन की शुरूआत फलों और सब्जियों से करने की सलाह दी जाती है।
हालांकि, टोरंटो के पोषण विज्ञान विभाग के विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार, जब हम फलों और सब्जियों का रस निकालते हैं, तो उसमें मौजूद स्वस्थ फाइबर छूट जाते हैं। क्योंकि रस निकालने के दौरान पल्प से फाइबर और छिलके अलग कर लिए जाते हैं।
फल और सब्जी में से फाइबर का यह नुकसान, वास्तव में, हमारे रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देता है। जबकि फल या सब्जी को उसके समग्र रूप में ग्रहण करना हमारे लिए डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं नहीं होने देता।
पल्प में फलों या सब्जियों के सभी पोषक तत्व होते हैं। पर यह पूरी तरह सच नहीं है। फलों और सब्जियों के पोषक तत्व उनके छिलकों में भी मौजूद होते हैं। पर जब हम इनका जूस निकालते हैं तो इनमें से छिलकों के साथ ही रेशे भी निकल जाते हैं। जिससे सिर्फ फाइबर ही नहीं बल्कि कई पॉलीफेनोल और एंटीऑक्सिडेंट जैसे तत्वों का भी नुकसान होता है।
एंटीऑक्सीडेंट सूजन और एंजाइमों को संतुलित करके पाचन को दुरुस्त करते हैं। तो अगर आप ताजा जूस लेते हैं, तब भी ये कुछ देर में घटने लगते हैं।
फाइबर के नुकसान को कम करने के लिए, आपको कुछ पल्प बनाए रखना चाहिए। इसके लिए आप किसी जूसर का इस्तेमाल करने की बजाय फूड प्रोसेसर या ब्लेंडर का उपयोग कर सकती हैं क्योंकि यहां जूस में फाइबर युक्त पप्ल मौजूद रहता है।
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, साबुत फलों को मिलाकर तैयार रस में एंटीऑक्सीडेंट और फेनोलिक यौगिक जूसर में तैयार जूस की तुलना में ज्यादा होते हैं।
जूस हमें पोषक तत्वों को ग्रहण करने में मदद कर सकता है पर यह साबुत फल और सब्जियों की जगह नहीं ले सकता।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको इस तथ्य के प्रति भी सचेत रहना चाहिए कि जब रस में प्राकृतिक शर्करा होता है, तो वह भी कैलोरी का सोर्स हो सकता है। इसलिए, अगर आप अपना ब्लड शुगर कंट्रोल में रखना चाहती हैं तो आपको फलों के रस की बजाए पप्ल को प्राथमिकता देनी चाहिए। वरना यह ब्लड शुगर के साथ कोलेस्ट्रोल संबंधी समस्याएं भी बढ़ा सकता है।
जूसिंग में कुछ लाभ होते हैं जैसे रस के प्रति औंस पोषक तत्वों की अधिक एकाग्रता, फलों और सब्जियों की खपत में वृद्धि, और पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाया जाता है। इसके बावजूद इसमें फाइबर और फलों-सब्जियों में मौजूद अन्य महत्वपूर्ण यौगिकों को खो भी देता है। इसलिए जूस की बजाए हमेशा पल्प या साबुत फल खाने को ही चुनना चाहिए।
जब हम सभी फल-सब्जियों को एक निश्चित मात्रा में ग्रहण करते हैं, तो हमें ज्यादा पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है।
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