गर्मी का बढ़ता प्रभाव स्किन और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देता है। ऐसे में एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर गोल्डन स्पाइस यानि हल्दी का चुटकी भर सेवन शरीर को कई फायदे पहुंचाता है। इसमें मौजूद कर्क्यूमिन कंपाउड एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों का एक पावरहाउस है। इसे पानी, दूध, करी, सूप और स्मूदी में मिलाकर पिया जाता है। आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर स्वाद और पोषण की भरपूर प्राप्ति होती है। जानते हैं हल्दी के फायदे और इसे आहार में शामिल करने की टिप्स भी (Tips to add turmeric in diet)।
इस बारे में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि हल्दी भारत का एक पारंपरिक मसाला है जिसमें कर्क्यूमिन कंपाउड पाया जाता है। पीले रंग की हल्दी का स्वाद हल्का कसैला होता है। ये न केवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि सूजन को कम करने में मदद करती है। साथ ही दर्द से भी राहत मिल जाती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो अपनी रासायनिक संरचना के कारण मुक्त कणों को बेअसर कर सकता है। न्यूरल रीजनरेशन रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार हल्दी याददाश्त और संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ा सकती है। सूजन और ऑक्सीडेटिव क्षति के जोखिम को कम करने में मदद करती है जो अल्जाइमर का कारण साबित होती है।
शरीर में बढ़ने वाले मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए हल्दी को आहार में शामिल करें। इसमें पाया जाने वाला बायोएक्टिव कंपाउड सूजन के अलावा सामान्य दर्द को शांत करने में मदद करता है। इसके अलावा हृदय रोग और अर्थराइटिस जैसी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।
हल्दी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। फ्री रेडिकल्स शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा कर सकते हैं और कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाने का काम करते हैं। जर्नल ऑफ एंटीऑक्सीडेंट्स की रिपोर्ट के अनुसार कर्क्यूमिन मुक्त कणों को बेअसर करने, ऑक्सीडेटिव क्षति को कम करने और ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने में मदद करता है।
हल्दी का शरीर पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इसके सेवन से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। दरअसल, कर्क्यूमिन पित्त के उत्पादन को बढ़ाकर लीवर की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। इससे फैट्स को बर्न करने और विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद मिलती है।
हल्दी पित्त उत्पादन को उत्तेजित करने और वसा को जल्दी पचाने में मददगार साबित होता है। इससे आंत की सूजन को कम करने में मदद मिलती है। मेटाबोलिक ब्रेन डिजीज की रिपोर्ट के अनुसार, हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट और एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण पाचन तंत्र को शांत करने और पाचन विकारों के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में हल्दी वाला दूध बेहद कारगर साबित होता है। इसमें मौजूद एंटी सेप्टिक और एंटी बायोटिक गुण शरीर में संक्रमण के प्रभाव को कम करके पोषण के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसे तैयार करने के लिए एक गिलास गर्म दूध में कच्ची हल्दी को मिलाएं और उसका सेवन करें।
पाचनतंत्र को मज़बूत बनाने और सूजन व दर्द से राहत पाने के लिए सुबह उठकर खाली पेट हल्दी शॉट्स का सेवन फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए गुनगुने पानी में कच्ची हल्दी को मिलाकर उबालें और फिर पानी को छानकर सेवन करें। इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए शहद को भी एड कर सकते हैं।
कच्ची हल्दी का अचार भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित होता है। इससे शरीर में दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से शरीर हेल्दी और फिट बना रहता है। सबसे पहले राई और मेथीदाना भूनकर पाउडर तैयार कर लें। अब कढ़ाई में हींग व राई का तड़का लगाकर कच्ची हल्दी को छीलकर डालें। साथ ही तैयार पाउडर, नमक, लाल मिर्च और सौंफ डालकर हिलाएं।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हल्दी शरीर को पोषण प्रदान करती है। इसे कॉफी के स्ट्रांग फ्लेवर के साथ मिलाकर पीने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। इससे मौजूद करक्यूमिन कंपाउंड शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा मानसिक स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने में मदद करता है। इसके लिए कॉफी को तैयार कर लें और उसमें चुटकी भर कच्ची हल्दी ग्रेट करके एड कर दें।
शरीर को पोषण प्रदान करने के लिए इसे सूप और करी के रूप में इस्तेमाल करें। इसके लिए सूप तैयार करने के लिए चुटकी भर हल्दी को एड कर दें। इससे गट हेल्थ को मज़बूती मिलती है और पाचन संबधी समस्याओं को हल किया जा सकता है।
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