वज़न का तेज़ी से बढ़ना चिंता की लकीरों का कारण बनने लगता है। धीरे धीरे होने वाले वेटगेन (weight gain) से राहत पाने के लिए अधिकतर लोग फैंसी डाइट और अलग अलग तरह की एक्सरसाइज़ (exercise) की मदद लेते हैं। मगर उम्मीद के मुताबिक नतीजे न मिल पाने के कारण मन परेशान रहने लगता है। अगर आप भी वेटलॉस जर्नी (weight loss journey) पर है और किसी आसान और हेल्दी विकल्प की तलाश में हैं, तो सीड्स इसमें बेहद मददगार साबित हो सकते हैं। एंटीऑक्सीडेंटस (antioxidants) से भरपूर सीड्स शरीर को कई प्रकार से फायदा पहुंचाते हैं। जानते हैं किन सीड्स की मदद से वेटलॉस जर्नी (Seeds for weight loss) को बनाया जा सकता है आसान।
चाहे आइसक्रीम हो या सैलेड टॉपिंग के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सीड्स (seeds) से शरीर को कैल्शियम, प्रोटीन और आयरन की प्राप्ति होती है। इसमें मौजूद ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स की मात्रा न केवल डाइट को हेल्दी बनाती है बल्कि शरीर में जमा होने वाली कैलोरीज़ (calorie storage) की समस्या भी हल कर देती है। मॉडरेट ढंग से सीड्स का सेवन से शरीर एक्टिव रहता है और बार बार लगने वाली भूख को नियंत्रित (appetite control) करने में भी मदद मिलती है।
इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि सीड्स का सेवन करने से शरीर को मोनोअनसेचुरेटिड (monounsaturated fats) और पॉलीअनसेचुरेटिड फैट्स (polyunsaturated fats) की प्राप्ति होती है। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (mental health) को मज़बूती मिलती है और शरीर में एनर्जी का स्तर भी बना रहता है। सीड्स में एंटीऑक्सीडेंटस और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो गट हेल्थ (gut health) को फायदा पहुंचाता है और कैलोराज़ की स्टोरज़ कम होने लगती है। इसमें मौजूद हेल्दी फैट्स से शरीर में ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर (blood pressure) और कोलेस्ट्रोल (cholesterol) को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
चिया सीड्स का सेवन करने से सॉल्यूबल (soluble) और इनसॉल्यूबल फाइबर (insoluble fiber) की प्राप्ति होती है। इसे रोज़ाना खाने से पेट में गुड बैक्टीरिया की ग्रोथ बढ़ती है। इससे गट हेल्थ को मज़बूती मिलती है और टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती हैं। इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा डाइजेशन को इंप्रूव (improve digestion) कर एब्जॉर्बशन को धीमा कर देती है। इससे बार बार भूख लगने की समस्या हल हो जाती है। इसके सेवन से शरीर में आयरन, मैग्नीशियम और जिंक की कमी पूरी हो जाती है। इसका नियमित सेवन करने से पेट की चर्बी (belly fat) को कम किया जा सकता है।
चिया सीड्स (chia seeds) को 3 से 4 घंटे तक पानी में सोक करके रखें। जब उसकी आउटर लेयर पर जेली जैसी संरचना बन जाएं, तो उसका सेवन करे। चिया सीड्स को पानी में मिलाकर और दही में डालकर भी खा सकते है। इसके अलावा सैलेड को गार्निश भी किया जा सकता है।
वे लोग जो ओवरइटिंग (overeating) से ग्रस्त है, उन्हें अपनी मील में पंपकिन सीड्स (pumpkin seeds) को अवश्य शामिल करना चाहिए।इसमें पाई जाने वाली प्रोटीन और फाइबर की प्रचुर मात्रा भूख को नियंत्रित करती है। इसके अलावा मसल्स बिल्डिंग और टिशू रिपेयर में भी मददगार साबित होते हैं। इससे शरीर को सिलेनियम, मैग्नीशियम, जिंक, फाइबर और प्रोटीन की प्राप्ति होती है। जिंक से मेटाबॉलिज्म को बूस्ट (boost metabolism) करने में मदद मिलती है, जिससे कैलोरीज़ के इनटेक को सीमित किया जा सकता है।
इस हाई फाइबर स्नैक (high fiber snacks) को मॉडरेट ढ़ंग से खाने से शरीर को फायदा मिलने लगता है। इसे रोस्त करने मील में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा ओटमील और योगर्ट में एड करके इसे खा सकते हैं। साथ ही ओवरनाइट सोक (overnight soaked) करके इसका सेवन किया जा सकता है
ओमेगा 3 फैटी एसिडत्र फाइबर और प्रोटीन से भरपूर ये सुपरफूड (superfood) शरीर को वज़न करने में भरपूर मदद करता है। इसमें मौजूद एस्ट्रोजेनिक गुण हृदय संबधी समस्याओं को दूर करते है। इसके अलावा क्रेविंग को भी समाप्त करते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली फाइबर की मात्रा गट हेल्थ को बूस्ट करती है और ओवरइटिंग से बचाती है। यूएसडीए के अनुसार इसमें 25 फीसदी सॉल्यूबल और 75 फीसदी इनसॉल्यूबल फाइबर पाया जाता है।
इसे रोस्ट करके खाने के अलावा स्मूदी और दही में मिलाकर खा सकते हैं। इसके अलावा अलसी के बीज (flax seed) को पीसकर भी किसी भी रेसिपी में एड किया जा सकता है। अलसी के बीज को पानी में सोक करके जेल फॉर्म में भी खाया जा सकता है।
हेल्दी फैट्स, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर सूरजमुखी के बीज शरीर को एक्टिव बनाए रखने में मदद करते है। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे शरीर में बढ़ने वाली थकान और आलस्य की समस्या हल हो जाती है। इसके सेवन से डाइजेशन बूस्ट होता है जिससे अपच, ब्लोटिंग (bloating) और कब्ज की परेशानी (constipation) से मुक्ति मिल जाती है। इसके सेवन से हार्मोन संतुलित रहते हैं और ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने में मदद मिलती है।
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कस्टमाइज़ करेंसैलेड, स्मूदी और पोहे में एड करके इसका सेवन कर सकते है। इसके अलावा ओटमील और दही में मिलाकर इसे खाने से भी शरीर को फायदा मिलता है। इसे रॉ और रोस्टिड दोनों प्रकार से ही खाया जा सकता है।
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