शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami 2022) को बासोड़ा पूजा (Basoda puja) के रूप में भी जाना जाता है। यह देवी शीतला को समर्पित एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है। यह हिंदू महीने ‘चैत्र’ के दौरान कृष्ण पक्ष की ‘अष्टमी’ (8 वें दिन) को मनाया जाता है। शीतला अष्टमी आमतौर पर होली के रंगीन त्योहार के 8 दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन बासी खाना (Stale food) खाने की परंपरा है। पर क्या यह रिवाज आपकी सेहत के अनुकूल है? आइए जानते हैं इस विषय पर एक्सपर्ट की राय।
शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami 2022) के दिन परंपराओं के अनुसार, परिवार खाना पकाने के उद्देश्य से आग नहीं जलाते हैं। इसलिए वे एक दिन पहले भोजन तैयार करते हैं और त्योहार के दिन बासी भोजन का सेवन करते हैं। बासोड़ा में ही माता शीतला को बासी भोजन चढ़ाने की अनूठी परंपरा है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि देवी शीतला चेचक, मीजल्स और इसी तरह की अन्य बीमारियों को नियंत्रित करती हैं। इस शुभ दिन पर देवी की पूजा करने से लोग अपने परिवार में विशेषकर बच्चों में महामारी रोगों के प्रकोप को रोक सकते हैं।
आजकल का जीवन बहुत व्यस्त है और दैनिक आधार पर ताजा भोजन पकाने के लिए शायद ही किसी के पास समय हो। अगले दिन ऑफिस ले जाने के लिए आप रात को अधिक सब्ज़ियां बना लेते हैं, क्योंकि सुबह को समय की कमी होती है। यहां तक कि रात में भी सुबह की सब्जियों का सेवन किया जाता है।
यदि भोजन से अच्छी महक आती है, तो आप इसे खाने से नहीं हिचकते। कुछ लोग अन्न का आदर करने या वेस्टेज को रोकने के लिए खाना फेंकना पसंद नहीं करते। बासी खाना खाना भी एक अस्वास्थ्यकर आदत के रूप में नहीं गिना जाता है। लेकिन क्या यह सच है? इसके बारे में जानने के लिए हेल्थशॉट्स ने प्रिवेंटिव हेल्थ न्यूट्रिशनिस्ट और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट कोच, अंशिका श्रीवास्तव से बात की है।
अंशिका कहती हैं, “बासी भोजन के पौराणिक पहलू जो भी हों, लेकिन पोषण की दृष्टि से यह अच्छा नहीं है।” उन्होंने ऐसे खाने से संबंधित स्वास्थ्य दुष्प्रभावों के बारे में कुछ विशेष पहलुओं पर प्रकाश डाला है।
इसमें शामिल है:
1. बासी खाना पोषक तत्वों से भरपूर नहीं होता, क्योंकि इसे लंबे समय तक रखने के बाद इन तत्वों की हानि अधिक होती है।
2. वह कहती हैं, “पका हुआ भोजन 2-3 घंटे से अधिक नहीं रखना चाहिए, क्योंकि खाना पकाने के 2 घंटे के बाद बहुत जल्द ही माइक्रोबियल विकास होता है। जैसा कि आप जानते हैं कि मौसम बदल रहा है और तापमान के दौरान सूक्ष्मजीव बदल जाते हैं। इससे लंबे समय तक रखे खाद्य पदार्थ इन जीवाणुओं से संक्रमित हो सकते हैं। इससे आपको फूड पॉइजनिंग और अन्य गैस्ट्रिक समस्याएं हो सकती हैं।”
3. अंशिका बताती हैं, “आयुर्वेद के अनुसार बासी भोजन तामसिक है। इसलिए इसका प्रभाव मन और शरीर पर भी पड़ता है। ऐसा भोजन करने से आपको सुस्ती, आलस, नींद और थकान हो सकती है।”
4. बासी डेयरी उत्पादों का सेवन न करें क्योंकि इससे दस्त, एसिडिटी या फूड पॉइजनिंग हो सकती है।
5. अंत में वे सुझाव देती हैं, “खाना पकाने के 2-3 घंटे के बाद भी, भोजन को उचित तापमान में रखा जाना चाहिए। ताकि उस समय के बीच में सूक्ष्म जीवों की विषाक्तता से बचा जा सके।”
ताजा पका हुआ घर का खाना खाना बहुत जरूरी है। यह न सिर्फ ताजा होता है, बल्कि स्वाद में भी बहुत अच्छा होता है। समय की कमी या त्योहार के कारण, आप अगले दिन के लिए अतिरिक्त खाना बनाना समाप्त कर दें। इसका तत्काल दुष्प्रभाव नहीं हो सकता है, लेकिन भविष्य में आपकी पाचन क्रिया को नुकसान हो सकता है।
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