राजस्थानी बाजरे की खिचड़ी सिर्फ अपने स्वाद की वजह से ही नहीं अपने गुणों की वजह से भी देशभर में मशहूर है। इसे विशेषकर सर्दियों के मौसम में ज्यादा खाया जाता है। इसे उत्तर भारत में खासकर राजस्थान में बहुत ज्यादा खाया जाता है क्योंकि यहां पर इसकी पैदावार बहुत ज्यादा मात्रा में होती है।
सर्दियों के मौसम के दौरान राजस्थान के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक प्रसिद्ध पारंपरिक बाजरे की खिचड़ी है, जो न केवल अपने स्वाद के कारण, बल्कि अपने फायदे के लिए भी जानी जाती हैं। तो यहां है राजस्थानी बाजरे की खिचड़ी की सबसे पुरानी, सरल और पारंपरिक रेसिपी के साथ इसके कुछ फायदे।
ये बनाने में आसान और खाने में स्वादिष्ट है। और एक लेजी वीकेंड का परफेक्ट साथी है।
आयरन, फॉस्फोरस, प्रोटीन, विटामिन से भरपूर बाजरा आपकी डाइट में शामिल करने के लिए एक बेहतरीन डिश है।
250 ग्राम- बाजरा
100 ग्राम- मूंग दाल (हरा चना) या मूट दाल
50 ग्राम- घी
1 चम्मच- नमक
2 लिटर – पानी
टिप – अगर आपकी बाजरे की खिचड़ी ज्यादा गाढ़ी हो जाए, तो इसमें गर्म पानी मिलाकर अच्छे से मिक्स करें।
एक कप (लगभग 150 ग्राम) बाजरे के आटे में 6 ग्राम प्रोटीन होता है, 2 ग्राम फाइबर और 40 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है।
इसमें फॉलेट, आयरन, मैग्नीशियम, थियामिन, नियासिन, फॉस्फोरस, जिंक, रिबोफ्लेविन और विटामिन बी6 भरपूर मात्रा में मौजूद होता है।
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साथ ही बाजरा ग्लूटेन मुक्त भी होता है। इसलिए अगर आप ग्लूटेन फ्री चुनते हैं, तो बाजरा आपके लिए बहुत फायदेमंद है। बाजरा एंटीऑक्सीडेंट, पोलीफेनॉल्स और फाइटोकेमिकल का भी उच्च स्रोत है। यानी बाजरा सिर्फ पोषक तत्व ही नहीं देता, बल्कि उनके अवशोषण को भी सुनिश्चित करता है। यही कारण है कि बाजरा इतना फायदेमंद माना जाता है।
तो देर किस बात की, आसानी से बनने वाली खिचड़ी का आनन्द उठाएं।
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