बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में सूजन आने की समस्या आम होती जाती है। हालांकि, यह हमारी कुछ आदतों का ही नतीजा होता है। कुछ आदतें ऐसी होती है, जो समय के साथ शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन का कारण बन सकती हैं। इसका सबसे बड़ा हाथ हमारे खान-पान की आदतों को जाता हैं। तो आखिर कौन से ऐसे फूड्स हैं जो हमारे लिए वॉटर रिटेंशन का कारण बन सकते हैं।
वॉटर रिटेंशन और एडिमा शरीर के हिस्सों में पानी जमने के कारण हो सकता है। वॉटर रिटेंशन शरीर के हिस्से जैसे कि लेग्स, फ़ीट, एंकल, अंडर आइज इत्यादि में होने वाले सूजन का एक प्रमुख कारण हो सकता है। ऐसा कई कारणों से होता है, जैसे कि खाने में नमक की अधिक मात्रा, शराब का सेवन, फाइबर की कमी और पर्याप्त मात्रा में शरीर को पोषण न मिलना। इसके साथ ही दवाइयों के साइड इफेक्ट और गतिहीन जीवनशैली की वजह से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
पैरों का फूलना, इंफ्लामेशन, और ब्लोटिंग वॉटर रिटेंशन के सामान्य कारणों में से एक है। वहीं इन्हें अनदेखा करना आगे चलकर आपके लिए कइ मुसीबतें पैदा कर सकता है। यह हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दर्शाता है। इसके साथ ही यह समस्या शरीर में टॉक्सिन्स की मात्रा को भी बढ़ा देती है। कइ ऐसे खाद्य पदार्थ है, जो कि वॉटर रिटेंशन का कारण बनते हैं। वहीं इसके कारण इंफ्लामेशन जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। यदी फल, सब्जी और अनाज को एक साथ लिया जाए तो यह ब्लोटिंग और स्वेलिंग का कारण बन सकता है।
फल को कभी भी सब्जी और अनाज के साथ नहीं लेना चाहिए। यदि आप फल खा रही हैं, तो अनाज और फल के कंसम्पशन के बीच में कम से कम 2 घंटे का गैप होना जरूरी है। वहीं आयुर्वेद में फल और अनाज के कॉन्बिनेशन को सेहत के लिए हानिकारक बताया गया है। सब्जी और अनाज की तुलना में जल्दी पचता है। ऐसे में इन सभी को एक साथ मिलाकर खाने से ब्लोटिंग और स्वेलिंग कि समस्या हो सकती है।
चीनी और तौर पर सभी रिफाइंड होते हैं। मतलब कि इन सभी पदार्थ में फाइबर की मात्रा नहीं पाई जाती। फाइबर शरीर के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। खास करके डाइजेस्टिव फंक्शन, इंटेस्टाइन और किडनी के लिए। वहीं इन सभी खाद्य पदार्थों के सेवन से कॉन्स्टिपेशन होने का खतरा बना रहता है, जो स्वेलिंग का कारण बन सकते हैं।
रेड मीट में सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा पाई जाती है जो अपच का कारण बन सकते हैं। वहीं इसके कारण स्वेलिंग होने की संभावना बनी रहती है। आजकल ज्यादातर गायों में ग्रोथ हार्मोन इंजेक्ट किए जाते हैं, जिसके कारण दूध अनहेल्दी हो जाता है। यह इंजेक्टेड हार्मोन ह्यूमन बॉडी के लिए नहीं बने होते।
एक स्टडी में पाया गया कि 60% मनुष्य लैक्टोज इनटोलरेंट होते हैं। इसका मतलब यह कि वह जानवरों से प्राप्त किए गए दूध को पूरी तरह पचा नहीं पाते। हालांकि, इसके साइड इफेक्ट्स की जानकारी सभी को नहीं होती। इसके साइड इफेक्ट के रूप में एलर्जी, एक्ने, इनडाइजेशन, ब्लोटिंग और स्वेलिंग जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। दूध हमारे नियमित आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। परंतु इसके कारण स्वेलिंग और इन्फ्लेमेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
शराब न केवल हमारे लीवर और आंतों के लिए खराब होता है, बल्कि यह मल्टी ऑर्गन्स के साथ इंटरेक्ट करके हमारे स्वेलिंग और इन्फ्लेमेशन जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
धूप में बैठने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैड बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद मिलती है। यदि आपको किसी प्रकार का इंफेक्शन है, तो सनलाइट इसका एक सबसे आसान समाधान हो सकता है। वहीं यह स्वेलिंग जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद होता है।
सही समय पर खाना खाना भी शरीर की कई समस्याओं का समाधान हो सकते है। 2 मील के बीच में एक प्रॉपर गैप बनाए रखना, डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं में काफी ज्यादा फायदेमंद होता है। इसलिए फास्टिंग को इन्फ्लेमेशन और स्वेलिंग जैसी समस्याओं से उभरने का एक सबसे अच्छा और सरल उपाय माना जाता है।
हमारा शरीर 60% तक पानी से बना होता है। इसलिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है। जब हम चलते हैं या एक्सरसाइज करते हैं, तो हमारा शरीर वॉटर रिलीज करता है, ऐसे में शरीर को वापस से पर्याप्त मात्रा में पानी मिलना बहुत जरूरी है।
फाइबर से युक्त फल और सब्जियों का सेवन पाचन क्रिया के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। यह हमारी आंतो को स्वस्थ रखता है और वॉटर रिटेंशन जैसी समस्या से बचाव का काम करता है।
इन्फ्लेमेशन और वॉटर रिटेंशन जैसी समस्याओं से बचने के लिए बताए गए टिप्स को हमेशा ध्यान में रखें।
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