तिल गुड़ के लड्डू, दही चूड़ा, खिचड़ी खाना, दान-पुण्य, गंगा स्नान और आसमान में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगें- ये हैं मकर संक्रांति (Makar Sankranti rituals) की परंपरा। भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस त्योहार को मनाने का अपना तरीका है। लेकिन इसमें सबसे विशेष है दही-चूड़ा (Dahi chura) का सेवन। सर्दी के मौसम में आज भी चली आ रही यह परंपरा एक तरफ आपकी संस्कृति से जुड़ी है और दूसरी तरफ आपके स्वास्थ्य से। आयुर्वेद में इन दोनों को ही गट हेल्थ के लिए फायदेमंद बताया गया है। पर कुछ खास स्वास्थ्य स्थितियां ऐसी हैं, जिनमें आपको दही खाने से परहेज करना चाहिए।
अक्सर दही को आयुर्वेद में पेट संबंधी परेशानियों से निपटने का तरीका माना गया है। इसके पोषक तत्वों की वजह से यह हेल्दी डाइट का हिस्सा माना जाता है। पाचन में सुधार, वेट लॉस, स्वस्थ हृदय,मजबूत इम्युनिटी, वैजाइनल हेल्थ के लिए उत्कृष्ट, स्वस्थ बाल और चमकती त्वचा जैसे लाभ के वजह से आप में से बहुत से लोग दही का सेवन करते हैं। लेकिन हम बता दें कि यह सबके लिए समान फायदे नहीं प्रदान करता। कुछ विशेष स्थिति से पीड़ित लोगों को भूलकर भी दही नहीं खाना चाहिए।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ रूमेटोलॉजी के अनुसार अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के लिए हानिकारक है दही। डेयरी प्रोडक्ट में मौजूद प्रोटीन इस अवस्था को ट्रिगर कर सकता है। यह शरीर में कुछ ऐसे एंटीबॉडीज का निर्माण करता है जो शरीर के अन्य हिस्सों पर अटैक करते हैं और स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा देते हैं। यह खट्टा खाद्य पदार्थ जोड़ों के दर्द को बढ़ा देता है। इसलिए अगर आप अर्थराइटिस के लक्षण से राहत पाना चाहते हैं, तो अपने डाइट से दही को हटा दें।
2. कमजोर पाचन (Weak Digestion)
अगर आपका पाचन कमजोर है, तो दही आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को चरमरा सकती है। अगर आप एसिडिटी, एसिड रिफ्लक्स और अपच की समस्या से लगातार जूझ रहें हैं तो दही इसे बिगाड़ सकता है। यह कब्ज को बढ़ावा दे सकता है। इसलिए कमजोर पाचन वाले व्यक्ति को दही के सेवन से परहेज करना चाहिए।
यह एक सामान्य पाचन समस्या है जिसमें आप किसी भी डेयरी उत्पाद को पचा नहीं पाते। कई स्थिति में यह गंभीर साइड इफेक्ट का कारण बनता है। अगर आप इस स्थिति का अनुभव करते हैं तो दही का सेवन गैस, ब्लोटिंग और डायरिया का कारण बन सकता है। कई गंभीर मामलों में यह पेट में दर्द और ऐंठन देता है। यदि परेशानी बढ़ने लगे, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
आयुर्वेद के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति पांच तत्वों से बना है, जो प्रकृति के निर्माण खंड हैं: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। स्वास्थ्य इन पांच तत्वों का संतुलन है। जब कोई तत्व खराब हो जाता है, तो रोग होता है। हालांकि, प्रत्येक व्यक्ति में प्रत्येक तत्व समान नहीं होता है। संतुलन बदलता रहता है और यही वह अद्वितीय संतुलन है जिस पर भोजन करते समय विचार करना चाहिए।
आयुर्वेद तीन मुख्य दोषों को वर्गीकृत करता है:
दही में मीठे और खट्टे गुण होते हैं। यह कफ दोष को बढ़ाता है। जिस व्यक्ति का कफ पहले से ही प्रबल है, उसे बहुत अधिक दही खाने से नुकसान हो सकता है। यह अतिरिक्त बलगम के विकास को जन्म दे सकता है।
यही कारण है कि आयुर्वेद रात में दही खाने के खिलाफ सलाह देता है। आपका शरीर रात में स्लीप मोड में रहता है और रात में तापमान कम होता है। तो, कफ-उत्प्रेरण भोजन खाने से शरीर में अधिक बलगम विकसित हो सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंइसके अलावा, आयुर्वेद के अनुसार दही प्रकृति में गर्म भोजन है। दही बैक्टीरिया की मदद से बनता है और इससे गर्मी पैदा होती है। इसलिए सर्दी के मौसम में दही खाना बिलकुल स्वस्थ है।
जो लोग दमा, खांसी और सर्दी, और सांस की अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं, उन्हें रात में दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें बलगम को बढ़ावा देने वाले गुण होते हैं।
अगर आप दही को किसी अन्य खाद्य पदार्थ में मिलाकर खाना पसंद करते हैं, तो सावधान हो जाएं। ये कॉम्बो आपकी सेहत के लिए हानिकारक है।
यह कॉम्बो एक साथ उच्च प्रोटीन सामग्री के कारण अपच और पेट की अन्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। हालांकि यह सभी को प्रभावित नहीं करता है। लेकिन यह उन लोगों के लिए काफी कठिन हो सकता है जो इस कॉम्बो के हानिकारक प्रभावों का अनुभव करते हैं।
दो पशु प्रोटीन स्रोतों का एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दस्त, एसिडिटी और पेट की समस्या हो सकती है।
दही के साथ तैलीय भोजन आपकी पाचन प्रक्रिया को धीमा कर सकता है और आपको सुस्त बना सकता है। यह वास्तविक अर्थों में हानिकारक नहीं है। लेकिन यह आपकी उत्पादकता को कम कर सकता है।
आम और प्याज दोनों ही गर्म प्रकृति के होते हैं जबकि दही ठंडा होता है। इन खाद्य पदार्थों के साथ दही मिलाने से त्वचा पर रैशेज, सोरायसिस और एक्जिमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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