कच्चा आंवला, आंवले की चटनी, आंवले का अचार, आंवला का मुरब्बा, आंवला जूस, आंवला चूर्ण। आंवला की न जानें कितनी रेसिपी हैं। यह हर रूप में फायदेमंद है। इसलिए भारत में इसका प्रयोग वर्षों से होता आ रहा है। अब जब मौसम बदल रहा है, तो कच्चा आंवला खाकर पानी पीने की हिदायत नानी-दादी से मिलने लगती है। सचमुच आंवले में मौजूद विटामिन सी हमारे इम्यून सिस्टम को स्ट्रोंग कर सीजनल कोल्ड-कफ होने ही नहीं देता है। इसलिए हमारे यहां आंवला नवमी मनाई जाती है। आइये इस आंवला नवमी (Amla Navami) जानते हैं आंवले के सेहत (health benefits of amla) लाभ।
छठ पूजा के 2 दिन बाद हिंदू समुदाय में आंवला (आमला) नवमी मनाई जाती है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। इस अवसर पर उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में आंवला के पेड़ के नीचे भोजन पकाया और सपरिवार खाया जाता है। इस दिन को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। दरअसल, आंवला कई रोगों से अक्षय यानी बचाव करता है, इसलिए इसे अक्षय फल कहा जाता है।
आयुर्वेद में आंवला के महत्व को विस्तार से बताया गया है। अब कई रिसर्च और स्टडी भी यह मान चुके हैं कि आंवला के पोषक तत्व पूरे शरीर को कई फायदे दिलाते हैं। यह फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ और सोशल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है।
यदि आंवला (आमला) नवमी के दिन उत्तर भारत के किसी एक गांव जायेंगी, तो ज्यादातर परिवार को आमला पेड़ के नीचे मिलजुलकर खाते हुए देख पाएंगी। पंजाब के सांझा चूल्हे जैसा दृश्य उपस्थित करने वाला यह दिन सुपरफ़ूड आमले के कई फायदों को बताता है। इस दिन न सिर्फ मिल-बांट कर खाया जाता है, बल्कि कई लोगों और कई विषयों पर स्वस्थ बातचीत सोशल कम्युनिकेशन को बढ़ावा देती है।
शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि सोशल कम्युनिकेशन अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे मानसिक रोगों से बचाव के लिए बेहद जरूरी है। यही वजह है कि गावों का आंवला नवमी को सेलिब्रेट करने का चलन बड़ी तेजी से शहर की रेजिडेंशियल सोसायटीज में भी बढ़ रहा है। पेड़ पौधों के महत्व को देखते हुए इन दिनों आंवला के पेड़ सोसाइटी कंपाउंड में खूब लगाये जा रहे हैं।
आंवला (Indian Gooseberry) का वैज्ञानिक नाम Emblica Officinalis है। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में यह व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।इसके फायदों पर 2016 में महेंद्र प्रकाश कपूर, कोजी सुजुकी, टिम डेरेक, डी माकोटो ओजेकी, त्सुतोमु ओकुबोआ आदि ने आमला के रोग निवारक गुणों पर विस्तृत शोध किया।
अध्ययन के दौरान 18 सप्ताह के लिए स्वस्थ वयस्कों को प्रति दिन 500 मिलीग्राम आंवला दिया गया था। इसके बाद वस्कुलर फंक्शन, ब्लड हीमेटोलोजी, ओक्सिडेटिव, इन्फ्लामेट्री बायोमर्केर, ग्लूकोज लिपिड प्रोफाइल, यूरिनेलीसिस और लीवर हेपेटोटोक्सिसिटी मापा गया। आंवला के सेवन ने ब्लड की फ्लुडिटी में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया। एचडीएल में महत्वपूर्ण सुधार के साथ-साथ वॉन विलब्रांड कारक को कम करने, 8-हाइड्रॉक्सी-2′-डीऑक्सीगुआनोसिन (8-ओएचडीजी) के साथ-साथ ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के थ्रोम्बिन (टीएम) बायोमार्कर को कम करने के गुण भी पाए गये।
यह गुड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढाने और बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में सहायक पाया गया। आंवला के सेवन के बाद स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं देखा गया। आंवला से एंडोथेलियल वर्क में सुधार हुआ और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करने में सक्षम पाया गया।
पबमेड सेंट्रल में शामिल इब्राहीम हुसैन, साइमा ज़मीर और तुषार मदान के स्टडी आलेख के अनुसार आंवला पर विवो और इन विट्रो अध्ययन किया गया।
इसके अनुसार आंवला एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक और एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक प्रभावों वाला है। स्टडी में इसके कई न्यूरोलॉजिकल विकारों में भी लाभकारी चिकित्सीय गतिविधियों का भी पता चला है। वर्तमान समीक्षा नवीनतम वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर कई न्यूरोलॉजिकल और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों में आंवला के औषधीय प्रभावों के बारे में विस्तार से बताती है। इसकी मदद से भविष्य में आंवला पर कई अनुसंधान हो सकेंगे।
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कस्टमाइज़ करेंआंवला में मौजूद फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सिडेंट फ्री रेडिकल से लड़कर मेमोरी पॉवर को बढ़ा सकते हैं। आंवला में विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं। यह आपके शरीर को नॉरपेनेफ्रिन का उत्पादन करने में मदद करती है। नॉरपेनेफ्रिन को न्यूरोट्रांसमीटर माना जाता है, जो डिमेंशिया से बचाव करता है।
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