साल भर पढ़ाई करने के बाद एग्ज़ाम की तैयारी बच्चों के लिए सिरदर्द का कारण साबित होती हैं। परीक्षाओं की तैयारी के अलावा नतीजों की घोषणा इस तनाव को देखते ही देखते और भी बढ़ा देती है। उम्मीदों और डर को बैलेंस करने के लिए अच्छे अंकों के अलावा हेल्दी मील्स बेहद फायदेमंद साबित होती है। अक्सर कुछ बच्चे एग्ज़ाम स्ट्रेस के चलते ओवरइटिंग करने लगते हैं। अगर आप भी हेल्दी मील्स को विकल्प के रूप में खोज रहे हैं, तो इन टिप्स की मदद ले सकते हैं (Brain foods to increase memory)।
द स्टडी जर्नल की रिर्पोट के अनुसार दैनिक आहार में ब्रेन बूस्टिंग न्यूट्रिएंट्स (Brain foods to increase memory) को शामिल करने से कॉग्नीटिव हेल्थ को बूस्ट किया जा सकता है। साथ ही याददाश्त में भी सुधार आने लगता हैं और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाया जा सकता है। नेशनल यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार मस्तिष्क मारे शरीर के वजन का केवल 2 फीसदी है। मगर वहीं हमारे दैनिक ऊर्जा सेवन का लगभग 20 फीसदी कंज्यूम करता है। खपत करता है। इसकी मदद से ऊर्जा का उपयोग करके ब्रेन सेल्स को ईंधन देने और स्वस्थ मस्तिष्क कार्य को बनाए रखने के लिए किया जाता है।
ब्रेन सेल्स फैट मॉलिक्यूल्स से बने होते हैं और रिसर्च के अनुसार एक शिशु का मस्तिष्क किसी व्यक्ति के आकार का चौथा हिस्सा होता है। ये तीन साल की उम्र तक यह लगभग 80 प्रतिशत और पाँच साल की उम्र तक 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। जानते हैं डायटीशियन डॉ कनिका मल्होत्रा से ब्रेन फूड्स (Brain foods to increase memory) के फायदे और किन फूड्स से एग्ज़ाम प्रेशर को किया जा सकता है कम।
ब्रेन को एक्टिव बनाए रखने के लिए वर्कआउट के अलावा हेल्दी मील भी ज़रूरी है। परीक्षा के दौश्रान अक्सर बच्चों को पड़ने के बाद थकान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन फूड्स की मदद से शरीर में ऊर्जा की मात्रा पूरी होने लगती है। इससे ब्रेन अलर्ट और फोकस्ड रहता है।
वे फूड्स जिन्में ओमेगा 3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन व मिनरल पाए जाते हैं। उससे याददाश्त और एकाग्रता बढ़ने लगती हैं। इससे थकान, कमज़ोर और नींद आने की समस्या हल होने लगता हैं। साथ ही किसी एक कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलने लगती है।
एग्ज़ाम बच्चों के लिए तनावपूर्ण स्थिति का कारण बन जाते हैं। ऐसे में हेल्दी मील का सेवन मूड को नियंत्रित करने और एंग्ज़ाइटी से रात पाने में मददगार साबित होते हैं। वे फूड्स जो मैग्नीशियम से भरपूर हैं। उनका सेवन करने से नर्वस सिस्टम शांत बना रहता हैं।
ऊर्जा बढ़ाने के लिए मीठे स्नैक्स पर निर्भर रहने की जगह उन खाद्य पदार्थों का चयन करें, जिससे एनर्जी के लेवल को मेंटेन किया जा सकता है। इससे परीक्षा के दौरान बढ़ने वाली थकान को भी कम किया जा सकता है।
डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि ब्रेन फूड्स यानि मस्तिष्क खाद्य पदार्थों की गिनती में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे बेरीज और डार्क चॉकलेट का इस्तेमाल किया जाता है। इस से ब्रेन सेल्स् एक्टिव रहते हैं फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बच जाते हैं। इसके अलावा ओमेगा 3 फैटी एसिड की उचित मात्रा को बनाए रखने के लिए मछली और नट्स जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
इससे शरीर को हेल्दी फैट्स की प्राप्ति होती है। इससे लर्निंग और याददाश्त में सुधार आने लगता हैं। वहीं अंडे और एवोकाडो जैसे खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले बी विटामिन मस्तिष्क के रसायनों के उत्पादन में भूमिका निभाते हैं जो मूड और अन्य मस्तिष्क कार्यों को प्रभावित करते हैं। इससे ब्रेन को बी विटामिन और फोलेट प्राप्त होता है।
मस्तिष्क की तीव्र वृद्धि और विकास के लिए हेल्दी फैट्स का सेवन फायदेमंद साबित होता है। दरअसल, एग्ज़ाम के दौरान आहार में हेल्दी फैट्स को शामिल किया जाना चाहिए इससे शरीर में पॉलीअनसेचुरेटेड, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैट्स की आवश्यकता होती है। इसके लिए आहार में अलसी के बीज, बादाम, एवोकाडो, अंडा और मछली को शामिल कर सकते हैं।
अन्य पोषक तत्वों के समान बच्चों के शरीर में विटामिन और मिनरल की भी आवश्यकता होती है। इसके लिए आहार में लाल पीले फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, मटर एस्प्रेगस, बैरीज़ और ब्रोकली को शामिल करें। इससे ब्रेन फंकशनिंग में सुधार आने लगता है और सोचने समझने की क्षमता भी प्रभावित होती है। नियमित रूप से विटामिन को आहार में शामिल करने से मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है।
आहार में प्रोटीन को शामिल करने से शरीर को अमीनो एसिड की प्राप्ति होती है। प्रोटीन रिच फूड्स से ब्रेन को न्यूरोट्रांसमीटर और न्यूरोमॉड्यूलेटर बनाने में मदद मिलती हैं। इसके लिए अपनी मील में अंडे, दालें, बटर, सोया और नट्स व सीड्स को शामिल करें। इससे न केवल कॉग्नीटिव फंक्शनिंग में सुधार होता है बल्कि मूड को रेग्यूलेट भी किया जा सकता है।
फाइबर का सेवन करने से भूख लगने की समस्या हल होने लगती है। साथ ही आंतों के स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने में मदद मिलती है। प्रीबायोटिक फाइबर से आंतों में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे आंतों की कोशिकाओं को पोषण देने में मदद मिलती हैं और बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुरक्षित बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
स्कूल गोईंग चाइल्ड को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम और आयरन समेत मिनरल्स की भी आवश्यकता होती है। इसकी मदद से शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण में भी मदद मिलती है। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार जिन छोटे बच्चों में बचपन में आयरन की कमी या एनीमिया की शिकायत बनी रहती है, उनका शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है।
आहार में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट को शामिल करने से शरीर में एनर्जी का लेवल बना रहता है, जिससे थकान से राहत मिलने लगती है। इसके लिए मील में ओट्स को शामिल करें। इसके अलावा साबुत अनाज, फल और दूध का भी सेवन करें।
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