शरीर में 60 से 70 फीसदी पानी पाया जाता है, जो त्वचा हड्डियों, लंग्स, ब्रेन, त्वचा और किडनी में मौजूद होता है। मगर शरीर में पानी अत्यधिक मात्रा वॉटर रिटेंशन का कारण (causes of water retention) बनने लगती है। इसके चलते हाथों पैरों में सूजन, वज़न का बढ़ना और स्किन संबधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दरअसल, शरीर में सोडियम की बढ़ी हुई मात्रा वॉटर रिटेंशन का कारण बनती है। ऐसे में दवाओं के अलावा कुछ फूड्स ऐसे भी है, जो मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करते है और शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखते हैं। जानते हैं वॉटर रिटेंशन को कंट्रोल करने वाले कुछ डयूरेटिक फूड्स (Diuretic food to avoid water retention)।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि डयूरेटिक्स (Diuretic food) वो खाद्य पदार्थ होते है, जिनकी मदद से शरीर में जमा अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने में मदद मिलती हैं। इनकी मदद से रक्त से पानी निकाला जाता है, जिससे नसों और आर्टरीज़ से बहने वाले तरल पदार्थ की मात्रा कम हो जाती है। इसके चलते वेटलॉस में मदद मिलती है और रक्तचाप कम हो जाता है। इनके सेवन से बार बार यूरिन पास करने की समस्या बनी रहती है, जिससे शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स किया जाता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार नमक से शरीर को सोडियम और क्लोराइड की प्राप्ति होती है। सोडियम शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इससे शरीर में पानी की मात्रा बनी रहती है। मगर अधिक मात्रा में नमक का सेवन करने यानि प्रोसेस्ड फूड खाने से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ने लगती है, जो वॉटर रिटेंशन का कारण साबित होती है।
फाइबर से भरपूर स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, रास्पबेरी और ब्लैकबेरी एक लो कैलोरी फूड है। इससे शरीर को डिटॉक्स रखने में मदद मिलती है। इससे यूटीआइ का जोखिम कम हो जाता है। दरअसल, बैरी मै मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और वॉटर रिटेंशन की समस्या हल कर देती है। बैरीज़ शरीर में नेचुरल डयूरेटिक्स के रूम में काम करती हैं।
सिलेरी या सेलेरी को कच्चा या पकाकर दोनों तरीके से खाया जा सकता है। इसके सेवन से शरीर को विटामिन, मिनरल और पोटेशियम की प्राप्ति होती है। इसमें मौजूद डयूरेटिक प्रॉपर्टीज़ किडनी में बढ़ने वाली स्टोन की समस्या भी दूर कर देते है। इसके सेवन से शरीर को फाइबर और लेक्सेटिव गुणों की प्राप्ति होती है, जिससे कब्ज और ब्लोटिंग कम होने लगती है। इसके सेवन से विषैले पदार्थों को रिलीज़ करके शरीर को वेटलॉस में मदद मिलती है।
तरबूज के सेवन से शरीर को पोटेशियम और अमीनो एसिड की प्राप्ति होती है। इससे ब्लड वेसल्स रिलैक्स हो जाती हैं और सोडियम का लेवल नियंत्रित बना रहता है। इसे आहार में शामिल करने से शरीर में एकत्रित पानी को रिलीज़ करने में मदद मिलती है और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार आने लगता है। इसके अलावा सिट्रूलिन अमीनो एसिड से वॉटर रिटेंशन के चजते बढ़ने वाली सूजन को भी कम किया जा सकता है।
शरीर में बढ़ने वाले पानी के स्तर को बैलेंस करने के लिए एवोकाडो का सेवन करें। इसमें फाइबर, पोटेशियम और विटामिन की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसमें पाई जाने वाली फोलेट की मात्रा तनाव को दूर करने में भी कारगर सातिब होती है, जिससे कोटिसोल का स्तर कम होने लगता है और वेटलॉस में मदद मिलती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से यूरिन के ज़रिए शरीर में जमा अतिरिक्त पानी को डिटॉक्स किया जा सकता है।
एंटीऑक्सीडेंटस और सल्फर कंटेनिंग कंपाउंड से भरपूर प्याज हड्डियों को मज़बूत बनाने के अलावा ब्लड शुगर को मेंटेन रखते हैं। प्याज में पाई जाने वाली डयूरेटिक प्रॉपर्टीज़ से तरल पदार्थों को रिलीज़ करके फ्लूइड को बनने से रोकता है। इसे कच्चा और पकाकर दोनों तरह से खाया जा सकता है।
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